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जानिए, बुरहान वानी के खूंखार आतंकी बनने की पूरी कहानी

बुरहान वानी आतंक का एक बड़ा चेहरा था। उसे हिज्बुल के पोस्टर ब्वॉय के तौर पर जाना जाता था। सुरक्षाबलों के मुताबिक वो अमरनाथ यात्रा में गड़बड़ी फैलाने की फिराक में था।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2016 08:04 AM (IST)
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श्रीनगर। मासूम सा दिखने वाला बुरहान वानी कोई सामान्य आतंकी नहीं था। सुरक्षा बलों ने उसे जिंंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 10 लाख का इनाम रखा था। वो आतंकी संगठनों में खासा लोकप्रिय था। बुरहान वानी को हिज्बुल के पोस्टर ब्वॉय के रूप में देखा जाता था। आतंक की दुनिया में कदम रखने के पहले वो एक सामान्य जीवन बसर कर रहा था।

स्कूल हेडमास्टर का बेटा था बुरहान
कश्मीर का कंधार कहलाने वाले त्राल के शरीफाबाद में रहने वाले स्कूल हैडमास्टर मुजफफर अहमद वानी के घर लगभग 22 साल पहले बुरहान पैदा हुआ था। मुजफफर अहमद वानी खुद भी जमायत ए इस्लामी के एक सक्रिय कार्यकत्र्ता हैं। हिज्ब को कभी जमायत का फौजी विंग भी कहा जाता रहा है और आज भी हिजबुल मुजाहिदीन का अधिकांश कैडर जमायत ए इस्लामी की पृष्ठभूमि से आता है। बुरहान के पिता जमायत द्वारा संचालित एक स्कूल मेंअध्यापक थे,जिन्हें 1990 के दशकके दौरान राज्य सरकार ने बंद कराया और इससे प्रभावित अध्यापकों जिनमें बुरहान के पिता भी थे,सरकारी स्कूलों में समायोजित किया गया था। मुजफ्फर अहमद वानी को बुरहान समेत तीन बेटे थे। एक बेटा खालिद मुजफर वानी पिछले साल त्राल के जंगल में सुरक्षाबलों व आतंकियों के बीच हुई गोलीबारी के दौरान क्रास फायरिंग की चपेट में आकर मारा गया था। तीसरा बेटा नावेद आलम अभी पढाई कर रहा है। इसके अलावा बुरहान की एक बहन है, जिसका नाम इरम है।

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पुलिस की कथित पिटाई ने बनाया आतंकी

बुरहान के आतंकी बनने के बारे में कहा जाता है कि वर्ष 2010 के दौरान जब कश्मीर में हिंसक प्रदर्शनों का दौर चल रहा था उसी दौरान वह एक दिन अपने भाई खालिद के साथ मोटरसाइकिल पर घूम रहा था। एक जगह पुलिस ने नाका लगाया था। दोनों भाइयों को पुलिसकर्मिंयों ने रोका। उन्होंने कथित तौर पर बुरहान को बाजार से अपने लिए सिगरेट लाने भेजा था। इस पर उनकी पुलिसकर्मियों से बहस भी हुई और पुलिसकर्मियों ने खालिद को पीटा था। इसके कुछ ही दिनों बाद बुरहान आतंकी बन गया था। उस समय उसकी आयु 15-16 साल थी। लेकिन उसके पिता पिटाई की बात के बजाय कहते थे कि मेरे बेटे ने भारत के अवैध कब्जे से कश्मीर को आजाद कराने के लए जिहाद का रास्ता चुना है। इसके अलावा कोई और कारण नहीं था।

फेसबुक से आया था चर्चा में

हालांकि बुरहान वानी ख्रियु के इलाके में हुई एक मुठभेड़ के दौरान सैन्यकर्मियों की राइफल लेकर भागने के बाद ही चर्चा में था। लेकिन उसे हीरो बनाया फेसबुक और व्हाटसअप ने। उसने बीते साल लश्कर-ए-ताईबा, जैश व हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकयिों की बैठक के बाद अपने पूरे गुट के साथ फौजी वर्दी में अपनी तस्वीरों केा सोशल मीडिया पर शेयर किया था। इसके बाद वह तेजी से कश्मीर में युवाओं का हीरो बना। यह बैठक पुलवामा जिले के एक बाग में हुई थी ताकि कोई भी संगठन एक दूसरे के इलाके में अनावश्यक रुप से अपनी गतिविधियों को अंजाम न दें और सभी मिलकर चलें।

सरताज के ननिहाल में था ठिकाना

बुरहान ने बमडूरा गांव में अपने साथी सरताज अहमद शेख के मामा गुलाम मोहम्मद शेख के मकान में ठिकाना बना रखा था। गुलाम मोहम्मद शेख कोकरनाग में रहते हैं। यह मकान बीते कुछ अरसे से खाली था। सरताज ने जेल से छूटने के बाद दो साल पहले ही दोबारा आतंकवाद की राह पकड़ी थी।

बुरहान था मोटिवेटर

राज्य पुलिस महानिदेशक के राजेंद्र के अनुसार बुरहान ने खुद किसी बड़ी आतंकी वारदात में हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन वह लश्कर और जैश ए मोहम्मद के बीच दक्षिण कश्मीर में कोआर्डिनेटर की भूमिका निभाने के अलावा सुरक्षाबलों पर हमलों की साजिश रचने में अहम रोल अदा करता था। वह माटिवेटर जबरदस्त था और उसने इंटरनेट व अन्य माध्यमों के इस्तेमाल से कई नौजवानों को आतंकीबनने के लिए प्रेरित किया।

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कश्मीर में खिलाफत राज चाहता था

बुरहान वानी ने गत वर्ष एक वीडियो जारी कर कश्मीर में खिलाफत कायम करने का पक्ष लिया था। करीब एक माह पहले भी उसने वीडियो जारी कर कश्मीर में कश्मीरी पंउित व सैनिक कालोनी का विरोध किया था। वह युवाओं को कश्मीर में जिहाद के लिए प्रेरित करता था।