पीएम मोदी की ग्रामीण विद्युतीकरण योजना ने ऐसे बदले गांवों के रहन-सहन
प्रधानमंत्री ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के चलते उन गांवों में जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची थी इसके पहुंचने के बाद लोगों के रहन-सहन में काफी बदलाव आ रहा है।
हाथरस। देश की राजधानी दिल्ली से महज 250 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव है आनंदपुर। ये कहने को तो महज कुछ सौ किलीमीटर की दूरी पर है लेकिन ये गांव बिजली से कई मील दूर था। लेकिन, प्रधानमंत्री ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की वजह से इस गांव में पिछले ही महीने बिजली लग पायी। अब यहां हर घर में एलईडी बल्ब और बिजली मीटर लग गया है।
80 वर्षीय प्रेमवती देवी बिजली के बल्ब की रोशनी में गेहूं साफ करते हुए बोलती है- “हमने अपने जीवन की अब तक तीन पीढ़ियां देख ली। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि अब हमने यहां बिजली देखी है। रात के अंधेरे में जीना बेहद डरावना था। लेकिन, अब ये सब बदल जाएगा।” प्रेमवती कभी ऐसा नहीं सोचा था कि उसकी जीवन में ऐसा संभव हो पाएगा।
हालांकि, यहां पर चौबीसों घंटे बिजली की सप्लाई तो नहीं रहती है लेकिन ये बात जरुर है कि यहां के लोगों के जीवन को बिजली ने पूरी तरह के बदल कर रख दिया है। तीन साल के आकाश और उसके भाई वाटर कूलर के सामने बैठे हुए ठंडी हवा खा रहे हैं। इस भीषण गर्मी में इस कूलर की हवा से बड़ी राहत मिली है। पिछले महीने तक ये कूलर पैक करके रखा हुआ था।
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जबकि, यहां से महज पचास किलोमीटर की दूरी पर गोलनगर गांव में रहनेवाली मीना देवी अभी भी मिट्टी के तेल वाले लैंप से काम चलाने को मजबूर है। वो ऐसे बदलाव का अभी इंतजार कर रही है। गोलनगर कुछ महीनों से नया ट्रासफॉर्मर लगा हुआ है लेकिन बिजली का कनेक्शन नहीं है। जो भी बिजली यहां पहुंचती है सब अवैध कनेक्शन्स के जरिए। अपने खेतों में सिंचाई के लिए यहां के लोग इस बिजली का इस्तेमाल करते हैं।
इस बारे में ओम प्रकाश का कहना है कि जब ट्यूबवैल ट्रांसफॉर्मर की इतनी क्षमती नहीं होती कि एक साथ कनेक्शन्स चल पाए। जब ट्यूबवैल का स्वीच ऑन रहता है उस वक्त एक बल्ब भी ठीक से नहीं जल पाता है।
एनडीटीवी डॉट कॉम की खबर के मुताबिक बिजली की कमी के चलते यहां के लोगों को जटिल सामाजिक समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ता है। मीना देवी कहती है कि उनके बच्चे के लिए दुल्हन ढूंढना मुश्किल हो जाता है क्योंकि बिजली नहीं होने की वजह से लोग हमारे रिश्ते के प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं।
ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम के मुताबिक पिछले दो साल में अब तक करीब 7,500 गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। जबकि, सरकार ने 2017 तक 18,452 गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा हुआ है।