अकाल तख्त का आदेश, पहले जैसा हो हरियाणा के गुरुद्वारों का संचालन
एचएसजीपीसी के मुद्दे पर 'पंथक कन्वेंशन' रोकने से बेशक संभावित टकराव टाल गया है, लेकिन रविवार को श्री अकाल तख्त साहिब के लेटरहेड पर जारी एक आदेश में ज्ञानी गुरबचन सिंह ने एक बार फिर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का समर्थन किया है। ज्ञानी गुरबचन सिंह ने आदेश दिए हैं कि हरियाणा के
By Edited By: Updated: Mon, 28 Jul 2014 03:39 AM (IST)
अमृतसर [अशोक नीर]। एचएसजीपीसी के मुद्दे पर 'पंथक कन्वेंशन' रोकने से बेशक संभावित टकराव टाल गया है, लेकिन रविवार को श्री अकाल तख्त साहिब के लेटरहेड पर जारी एक आदेश में ज्ञानी गुरबचन सिंह ने एक बार फिर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का समर्थन किया है। ज्ञानी गुरबचन सिंह ने आदेश दिए हैं कि हरियाणा के गुरुद्वारों का प्रबंध जैसे पहले चल रहा था वैसे ही चलने दिया जाए।
इससे स्पष्ट है कि हरियाणा सिख कमेटी की 41 सदस्यीय कमेटी को गुरुद्वारों का प्रबंध चलाने का अधिकार अकाल तख्त साहिब ने नहीं दिया है। हरियाणा कमेटी की 41 सदस्यीय कमेटी ज्ञानी गुरबचन सिंह के आदेश का कितना सम्मान करती है यह तो समय ही बताएगा, लेकिन ज्ञानी गुरबचन सिंह ने यह आदेश जारी कर एक बार फिर हरियाणा कमेटी के गठन को लेकर एक नया विवाद छेड़ दिया है। यही नहीं जत्थेदार ने पंथक नेताओं को भी आदेश दिया है कि वे इस मामले के हल तक कोई भी बयानबाजी न करें। साथ ही पंथक कन्वेंशन का आयोजन करने वाले शिरोमणि अकाली दल व हरियाणा कमेटी के पदाधिकारियों को विश्वास दिलाया है कि पांच सिंह साहिबान इस पूरे मुद्दे का हल जल्द निकालेंगे। इस बीच 41 सदस्यीय हरियाणा की कमेटी सोमवार को श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने के लिए आ रही है। इस कमेटी में अकाल तख्त साहिब से निष्कासित जगदीश सिंह झींडा व दीदार सिंह नलवी भी शामिल होंगे या नहीं, इसका पता सोमवार को ही चलेगा।
इस बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रधान प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कानूनी रूप ले चुकी हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सच्चाई को मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को मान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने बहुत ही सकारात्मक कदम उठाया है। साथ ही उनका अगला कदम एचएस चट्ठा, जगदीश ¨सह झींडा व दीदार ¨सह नलवी को पंथ में वापसी का होना चाहिए। बाजवा ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब ने दोनों पक्षों को बुलाकर दखल देने का फैसला किया है। ऐसे में जरूरी है कि हरियाणा के तीन नेताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस लिया जाए, नहीं तो वह बातचीत में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।