कुदरत का कहर: चाहा दूध, मिला बाढ़ का पानी
बीस फुट पानी में डूबा श्रीनगर का इंदिरा नगर इलाका और एक घर की तीसरी मंजिल पर तीन दिन से भूखा-प्यासा बैठा एक परिवार। इस मुश्किल घड़ी में भी किसी तरह खुद को संभाले इस इंतजार में कि कोई तो उन्हें बचाने आएगा, लेकिन तभी परिवार की ढाई माह की बच्ची ने दूध के लिए बिलखना शुरू कर दिया। आसपास बाढ़
जम्मू, [ललित कुमार]। बीस फुट पानी में डूबा श्रीनगर का इंदिरा नगर इलाका और एक घर की तीसरी मंजिल पर तीन दिन से भूखा-प्यासा बैठा एक परिवार। इस मुश्किल घड़ी में भी किसी तरह खुद को संभाले इस इंतजार में कि कोई तो उन्हें बचाने आएगा, लेकिन तभी परिवार की ढाई माह की बच्ची ने दूध के लिए बिलखना शुरू कर दिया। आसपास बाढ़ के पानी के अलावा कुछ नहीं था। बेबसी में परिवार की हिम्मत टूटने लगी, तभी सेना फरिश्ता बनकर आई और पूरे परिवार को नाव से वहां से निकालकर सुरक्षित जगह ले गई। सेना के जवानों ने बच्ची के लिए दूध का इंतजाम भी किया और फिर पूरा परिवार वायु सेना के विमान से जम्मू पहुंच गया।
यहां तकनीकी हवाई अड्डे पर पहुंचे गुरजिंदर सिंह के परिवार के चेहरे पर खौफनाक मंजर का दर्द साफ देखा जा सकता था। अपने बच्चों के साथ बाढ़ में फंसे परिवारों में चंद लोग ही खुशकिस्मत थे जो बुधवार को जम्मू पहुंचे। गुरजिंदर सिंह ने बताया कि कश्मीर में फंसे लोग बाढ़ का ही पानी पीकर अपने सूखे हल्क तो गीला कर रहे हैं, लेकिन हजारों मासूम जिंदगियां ऐसी हैं जो दूध न मिलने से बिलख रही हैं। उनके मुहल्ले में ही दर्जनों परिवारों के छोटे-छोटे बच्चे दूध मांग रहे हैं और परिवार के पास बाढ़ के पानी के अलावा कोई विकल्प नहीं। उन्होंने बताया कि बाढ़ से हुई तबाही से कई बच्चे बीमार भी पड़ गए हैं। हालांकि वायु सेना व सेना के जवान दिन-रात प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रहे हैं और खाद्य सामग्री व दवाइयां भी फेंकी जा रही हैं, लेकिन सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दूध के पैकेट फेंकने की जरूरत है। गुरजिंदर सिंह ने कहा कि अगर सेना कुछ देर और हमें बचाने नहीं आती तो शायद उनका सबकुछ लुट जाता। सेना ने मेरी बेटी के लिए दूध का भी बंदोबस्त किया, जो अमृत के समान था।