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पहले भारतीय हूं फिर राजस्थानी : चीफ जस्टिस

अंतरराज्यीय जल विवाद मामले की सोमवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की एक टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा बेहद आहत दिखे। साल्वे ने सलाह दी थी कि मामला चूंकि राजस्थान का अन्य राज्यों के साथ पानी के बंटवारे को लेकर विवाद से जुड़ा है इस लिए लोढ़ा खुद को इस केस की सुनवाई से अलग कर लें। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'मैं भारत में पैदा हुआ हूं। लिहाजा पहले मैं एक भारतीय हूं बाद में राजस्थानी।' साल्वे के कथन पर अफसोस जताते हुए उनका कहना था, 'खासतौर से एक ऐसे वरिष्ठ अधिवक्ता के मुंह से ऐसी बात सुनते हुए मुझे दुख हो रहा है, जिसके पास व्यापक कानूनी अनुभव है।

By Edited By: Updated: Mon, 04 Aug 2014 08:12 PM (IST)
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नई दिल्ली। अंतरराज्यीय जल विवाद मामले की सोमवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की एक टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा बेहद आहत दिखे।

साल्वे ने सलाह दी थी कि मामला चूंकि राजस्थान का अन्य राज्यों के साथ पानी के बंटवारे को लेकर विवाद से जुड़ा है इस लिए लोढ़ा खुद को इस केस की सुनवाई से अलग कर लें। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'मैं भारत में पैदा हुआ हूं। लिहाजा पहले मैं एक भारतीय हूं बाद में राजस्थानी।' साल्वे के कथन पर अफसोस जताते हुए उनका कहना था, 'खासतौर से एक ऐसे वरिष्ठ अधिवक्ता के मुंह से ऐसी बात सुनते हुए मुझे दुख हो रहा है, जिसके पास व्यापक कानूनी अनुभव है।'

दरअसल मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली शीर्ष न्यायालय की पीठ उत्तर भारत के अन्य राज्यों से राजस्थान के जल विवाद मामले की सुनवाई कर रही थी। चूंकि लोढ़ा राजस्थान के रहने वाले हैं। इस सच्चाई के मद्देनजर साल्वे ने जानना चाहा कि क्या मुख्य न्यायाधीश खुद को इस केस की सुनवाई से अलग करेंगे? लेकिन न्यायमूर्ति लोढ़ा की तल्ख टिप्पणी के बाद उन्हें सफाई देनी पड़ी। साल्वे ने स्पष्ट किया कि अगर मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इससे एक अच्छी मिसाल कायम होगी।

इस पर न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा, 'मुझे इस केस से खुद को अलग करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन यह सुनकर दुख लग रहा है कि मुझे केस से इसलिए हटना पड़ेगा क्योंकि मैं एक राजस्थानी हूं।' उन्होंने वरिष्ठ वकील साल्वे को याद दिलाया कि वह 13 वर्षो तक बांबे हाई कोर्ट में भी काम किए हैं। इसका यह मतलब नहीं कि उन्हें महाराष्ट्र से जुड़े मामलों से अलग हो जाना चाहिए।

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