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मुझे नहीं लगता कि भारत में असिहष्णुता है: तसलीमा नसरीन

बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि भारत एक "असहिष्णुता" वाला देश है, बल्कि उन्हें आश्चर्य होता है कि इस देश में सेकुलरवादी लोग केवल हिंदू कट्टरपंथियों पर ही क्यों प्रश्न उठाते हैं।

By kishor joshiEdited By: Updated: Sun, 07 Feb 2016 02:58 PM (IST)

कोझिकोड। बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि भारत एक "असहिष्णुता" वाला देश है, बल्कि उन्हें आश्चर्य होता है कि इस देश में सेकुलरवादी लोग केवल हिंदू कट्टरपंथियों पर ही क्यों प्रश्न उठाते हैं। उन्होंने कहा कि छद्म धर्मनिरपेक्षता वाला लोकतंत्र सही मायनों में एक सच्चा लोकतंत्र नहीं है।

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केरल में एक साहित्य उत्सव के दौरान असहिष्णुता की बहस के दौरान उन्होंने कहा "मुझे लगता है कि अधिकतर लोग यहां एक दूसरे से प्रेम करते हैं। भारत के कानून असहिष्णुता का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन यहां कई असहिष्णु लोग मौजूद हैं।" एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, "पता नहीं भारत में सेकुलर लोग क्यों हिंदू कट्टपंथियों पर ही सवाल उठाते हैं जबकि मुस्लिम कट्टरपंथियों पर कोई सवाल नहीं उठाता।" उन्होंने कहा कि सभी धर्मो में महिला विरोधी सोच वाली विकृतियां हैं जिस कारण कट्टरपंथियों को बढ़ावा मिलता है।

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उन्होंने कहा कि धर्म को राजनीति से दूर रखना चाहिए। बांग्लादेश में हिंदू और मुस्लिमो के महिलाओं के खिलाफ "अत्याचार" का मुख्य कारण ही कानून का निर्माण करते समय धर्म का प्रभाव रहा। इस चार दिवसीय साहित्योत्सव में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त 150 से ज्यादा लेखक भाग ले रहे हैं, जिसका आज समापन हो रहा है।