गलत इरादे से कोई काम नहीं करूंगाः देवेंद्र फड़नवीस
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि प्रशासन में कभी-कभार चूक हो सकती है। लेकिन मैं गलत इरादे से कभी कोई काम नहीं करूंगा।
By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Sat, 01 Nov 2014 08:27 AM (IST)
मुंबई, राज्य ब्यूरो। प्रशासन में कभी-कभार चूक हो सकती है। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि गलत इरादे से मैं कभी कोई काम नहीं करूंगा। महाराष्ट्र की पहली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस आश्वासन के साथ शुक्रवार को अपनी पारी की शुरुआत की।
उद्धव ठाकरे की प्रशंसा देवेंद्र फड़नवीस ने शपथ लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के शपथग्रहण समारोह में आने की प्रशंसा की। देवेंद्र के अनुसार यह उद्धव का एक बड़ा कदम था। बकौल फड़नवीस स्वयं उन्होंने उद्धव से समारोह में शामिल होने का आग्रह किया था। शिवसेना के सरकार में शामिल होने को लेकर दोनों दलों में बातचीत चल रही है और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। नए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास है। आम आदमी को अक्सर पारदर्शिता की कमी एवं प्रशासन की अक्षमता के कारण परेशान होना पड़ता है। मैं जानता हूं कि राज्य करोड़ों के कर्ज में डूबा है। मैं हर विभाग की जानकारी लूंगा, ताकि मुझे पता चल सके कि वह विभाग किस हालत में है। देवेंद्र के अनुसार अब तक के जीवन में जब भी मुझपर दबाव आया है, मैंने कभी धैर्य नहीं खोया। आगे भी ऐसा ही होगा। विकास की योजनाओं पर ध्यान देने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि कई योजनाएं हैं, जिन्हें जल्द पूरा किया जाना चाहिए।
नए मुखिया पर एक नजर --देवेंद्र फड़नवीस मराठों के राजनीतिक वर्चस्व वाले राज्य के दूसरे ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं। उनसे पहले मनोहर जोशी शिवसेना से मुख्यमंत्री बने थे। वे राज्य के 27वें मुख्यमंत्री हैं।
--शपथग्रहण समारोह में फड़नवीस काली जैकेट के नीचे हमेशा की तरह सफेद शर्ट की बांहें मोड़े नजर आए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके परिवार के नजदीकी संबंध रहे हैं। --उनकी पत्नी अमृता एक्सिस बैंक की नागपुर शाखा में उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। शपथग्रहण के बाद फड़नवीस की पत्नी अमृता को प्रधानमंत्री मोदी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेते देखा गया। --शपथग्रहण के लिए चुना गया वानखेड़े स्टेडियम जिन शेषराव वानखेड़े के नाम पर बना है, वह भी विदर्भ के ही रहनेवाले थे। इसे संयोग ही कहेंगे कि वानखेड़े बैरिस्टर थे और फड़नवीस भी कानून के स्नातक हैं।