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डाक्टरों से मारपीट पर आइएमए का यूपी सरकार को अल्टीमेटम

कानपुर में पुलिस और प्रशासन की दबंगई के खिलाफ डाक्टरों की हड़ताल ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। एक और जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने इस प्रकरण की जांच कराने की बात कही है वहीं इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन आईएमए ने धमकी दी है कि यदि 4

By Edited By: Updated: Tue, 04 Mar 2014 11:37 PM (IST)

लखनऊ। कानपुर में पुलिस और प्रशासन की दबंगई के खिलाफ डाक्टरों की हड़ताल ने अब नया मोड़ ले लिया है। एक और जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने इस प्रकरण की जांच कराने की बात कही है वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन [आइएमए] ने धमकी दी है कि यदि 48 घंटों के दौरान आरोपी विधायक इरफान सोलंकी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे देश के डॉक्टर हड़ताल में शमिल हो जाएंगे। इस पूरे घटनाक्रम का सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। डाक्टरों की हड़ताल से अब तक करीब दस मरीजों की मौत हो चुकी है।

इस पूरे प्रकरण पर सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने सपा विधायक का जिक्र न करते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज होना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। वहीं दूसरी ओर विधायक इरफान सौलंकी ने इस पूरे प्रकरण में अपनी कोई गलती न बताते हुए कहा है कि यदि यदि उनकी पार्टी के मुखिया उन्हें आदेश देंगे तो वह समझौता करने के लिए तैयार हैं। डाक्टरों के साथ हुई बदसलूकी के बाद से अब तक करीब तीन सौ मेडिकल कॉलेज के टीचर इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं गिरफ्तार हुए डॉक्टरों ने भी अपनी जमानत न लेने की बात कही है।

मामला बढ़ता देख विपक्ष ने भी इस मुद्दे को हाथों-हाथ लेना शुरू कर दिया है। विपक्ष ने हड़ताली डाक्टरों के सुर में सुर मिलाते हुए आरोपी विधायक की सदस्यता को तुरंत खत्म करने की मांग तक कर डाली है। डाक्टरों के साथ हुई ज्यादती के विरोध में सोमवार को गाजियाबाद के भी कई अस्पतालों में डॉक्टरों ने काम ठप कर दिया, जिससे मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों ने कुछ जगहों पर कैंडल मार्च भी निकाला। वहीं बीएचयू में भी डॉक्टर हड़ताल पर रहे और आरोपी विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

सड़क पर उतरे डॉक्टरों ने निकाला कैंडल मार्च

कानपुर प्रकरण की जांच कराएगा प्रशासन

मारपीट का विरोध कर रहे डॉक्टर मांगने लगे एम्स

हड़ताली डॉक्टरों को नहीं मना सके सरकार के दूत

डॉक्टरों की हड़ताल से बेहाल मरीजों के पास अब अस्पताल से जाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है। इस हड़ताल का सीधा असर यहां आने वाले मरीजों पर ही पड़ रहा है। कई अस्पतालों में कराहते मरीज इलाज के इंतजार में तड़प रहे हैं।