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राव ने नेताओं को कहा 'इडियट्स'

भारत रत्न सम्मान पाने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो.सीएनआर राव देश में विज्ञान की उपेक्षा व वैज्ञानिक शोध के लिए बहुत कम धन मिलने से आहत हैं। इस मुद्दे को लेकर कुरेदने पर वह रविवार को गुस्से में इतना कम धन आवंटित करने के लिए नेताओं को 'इडियट्स' तक कह डाला। उन्होंने सख्त लहजे में यह भी कहा कि जितना पैसा स

By Edited By: Updated: Mon, 18 Nov 2013 04:28 AM (IST)
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बेंगलूर। भारत रत्न सम्मान पाने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो.सीएनआर राव देश में विज्ञान की उपेक्षा व वैज्ञानिक शोध के लिए बहुत कम धन मिलने से आहत हैं। इस मुद्दे को लेकर कुरेदने पर वह रविवार को गुस्से में इतना कम धन आवंटित करने के लिए नेताओं को 'इडियट्स' तक कह डाला।

पढ़ें: सचिन की तरह प्रोफेसर राव ने भी शोध में ठोका सैकड़ा

उन्होंने सख्त लहजे में यह भी कहा कि जितना पैसा सरकार ने विज्ञान क्षेत्र को दिया है, हम लोगों ने उससे बहुत अधिक किया है।

प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष राव पुरस्कार की घोषणा के दूसरे दिन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शोध के लिए और संसाधन मुहैया करने की जरूरत पर बल दिया।

एक संवाददाता ने जब देश में हो रहे वैज्ञानिक शोध के स्तर के बारे में सवाल किया पर राव आपा खोते हुए बरस पड़े 'क्यों इन बेशर्म मूर्खो., इन नेताओं ने हम लोगों के लिए इतना कम दिया। इसके बावजूद हम वैज्ञानिकों ने कुछ किया है।' विज्ञान के लिए हमारा निवेश बहुत कम है, देर से मिलता है.. जो पैसा हमने पाया है हमने काम करके दिखाया है। इसके लिए हमें जो पैसा मिल रहा है यह कुल मिलाकर कुछ नहीं है।

चीन की प्रगति के बारे में उन्होंने कहा कि हम भारतीय कड़ी मेहनत नहीं करते हैं, हम चीनियों की तरह नहीं हैं। हम आराम तलबी हैं और उतने राष्ट्रवादी भी नहीं हैं। हमें कुछ अधिक पैसा मिलता है तो हम विदेश जाने को तैयार हो जाते हैं। देश में वैज्ञानिक मिजाज भी नहीं है। सूचना प्रौद्योगिकी के बारे में उन्होंने कहा कि इसका विज्ञान से कोई लेना देना नहीं है। इससे कुछ लोग पैसा बनाते हैं और काम करने वाला पूरा कुनबा नाखुश है।

भारत के भविष्य के बारे में इस शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा कि यह इससे जुड़ा है कि शिक्षा और विज्ञान में भारत कितना खर्च करता है। जिन देशों ने दुनिया में वास्तव में प्रगति की है वे ऐसे देश हैं जो वैज्ञानिक ढंग से आगे हैं। दुर्भाग्य से देश में विज्ञान के लिए उतनी सहायता नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए।

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