मराठवाड़ा सूखा: 100 साल पुराने कुएं सूखे, वाटर टैंकर से भी नहीं बुझ रही प्यास
इस गांव की आबादी करीब 10000 है और यहां रोज दो पानी के टेंकर आते हैं जोकि कुछ मिनटों में ही खत्म हो जाते हैं लेकिन लोगों को पूरा पानी नहीं मिल पाता है।
नई दिल्ली। मराठवाड़ा इन दिनों भीषण गर्मी और सूखे का सामना कर रहा है। ऐसा नहीं है कि मराठवाड़ा में पहली बार इतनी गर्मी पड़ रही है। मराठवाड़ा इससे भी ज्यादा भयानक सूखे का सामना कर चुका है, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ जब चाकूर तालुका के वादवल नागनाथ गांव के 100 साल से ज्यादा पुराने सूख गए हों।
यही नहीं वादवल नागनाथ गांव में मौजूद करीब 80 कुएं सूख चुके हैं। हालांकि कुछ बोरवेल अब भी पानी दे रहे हैं और उनके मालिकों ने खेतों की बजाय लोगों के लिए उन्हें खोल रखा है।
कुछ कुएं जिनमें थोड़ा बहुत पानी बचाें भी है तो उनमें इतनी चिकनाई और कीचड़ जमा हो गया है कि जिसमें उतरकर पानी भरना जान को जोखिम में डालने के बराबर है। गांव के प्रधान बेंडके के मुताबिक पानी भरने के दौरान कुछ लोग फिसलकर गिर भी जाते हैं जिन्हें स्थानीय लोग ही बाहर निकालते हैं।
इस गांव की आबादी करीब 10000 है और यहां रोज दो पानी के टेंकर आते हैं जोकि कुछ मिनटों में ही खत्म हो जाते हैं लेकिन लोगों को पूरा पानी नहीं मिल पाता है।
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शनिवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने औरंगाबाद जिले के सूखाग्रस्त प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान अगले दो सालों में पानी के लिए करीब 68 प्रोजेक्ट को पूरा करने पर चर्चा की गई।
कर्नाटक में भी सूखे की मार
उधर, कर्नाटक के बेलागावी में भी कुछ इसी तरह की पानी की किल्लत देखने को मिल रही है। कुएं सूख गए हैं अगर कहीं पर पानी थोड़-बहुत बचा है तो उसमें नीचे उतरकर पानी भरना पड़ रहा है। महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालकर पानी भरने के लिए रस्सी के सहारे कुएं में उतरती हैं।
कर्नाटक के बेलागावी के करिहल गांव में लगभग सूख चुके कुएं में रस्सी में बांधकर घड़े डाले गए हैं, पानी लगभग खत्म हो गया है।