मंगलयान को कक्षा में स्थापित करने के लिए भारत तैयार
वैज्ञानिकों ने मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) के इंजन को शुरू करने की प्रक्रिया रविवार को शुरू की।
By Edited By: Updated: Mon, 15 Sep 2014 09:59 AM (IST)
चेन्नई। मंगलयान को सही तरह से कक्षा में स्थापित करने के लिए इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की नींद उड़ी है। वैज्ञानिकों ने मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) के इंजन शुरू करने की प्रक्रिया रविवार को शुरू की। इसे 21 सितंबर को चार सेकंड के लिए शुरू किया जाएगा। इसके तीन दिनों के बाद एमओएम को धीमा करने और उसे मंगल की कक्षा में स्थापित करने के लिए इंजन को 24 मिनट के लिए शुरू किया जाएगा। यदि सब कुछ सही रहा, तो भारत पहले प्रयास में यान को कक्षा में स्थापित करने वाला पहला देश बन जाएगा।
इससे पहले अमेरिका, रूस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी कई प्रयासों के बाद मंगलयान को सफल बना सके। एमओएम करीब 82 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा है और यह 30 नवंबर 2013 को धरती से छोड़े जाने के बाद से करीब 300 दिन की यात्रा कर चुका है। इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने बताया कि हमें देखना है कि क्या इंजन सही स्थित में है, इसलिए टेस्ट किया। रविवार को बेंगलोर में इसरो के टेलीमीट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क के वैज्ञानिकों ने चार सेंकड के लिए लिक्िवड एपोगी मोटर (एलएएम) इंजन को शुरू करने के लिए ढेरों कमांड दी थीं। रविवार को यह धरती से 21.284 करोड़ किमी और मंगल से 33 लाख किमी दूर था। धरती से संवाद करने में करीब 12 मिनट का समय लगता है। भारत ने 450 करोड़ रुपए की लागत से मंगलयान को भेजा है। यह लागत नासा के मिशन की तुलना में करीब 10 गुना से अधिक कम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने इस मिशन को हॉलीवुड की फिल्म ग्रेविटी के खर्च पर लॉन्च किया है। कक्षा में पहुंचने के बाद एमओएम मंगल ग्रह के वातावरण, खनिज और आकार का अध्ययन करेगा। मगर, इससे भी बड़ी उपलब्िध है कि यह मिशन ग्रहों के अन्वेषण के लिए भारत के शुरुआती चरण के रूप में काम करेगा।