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लोकतंत्र के जरिये भी संभव है विकास: मोदी

चीन और भारत के बीच तुलना करने से इन्कार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि विकास का लक्ष्य लोकतंत्र के जरिये भी हासिल किया जा सकता है। चीन यदि एक उदाहरण है, तो दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को दूसरा उदाहरण माना जा सकता है। यह नहीं कहा जा सकता कि लोकतंत्र के जरिये विकास संभव नहीं है।

By Edited By: Updated: Sun, 21 Sep 2014 10:26 PM (IST)
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नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच तुलना करने से इन्कार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि विकास का लक्ष्य लोकतंत्र के जरिये भी हासिल किया जा सकता है। चीन यदि एक उदाहरण है, तो दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को दूसरा उदाहरण माना जा सकता है। यह नहीं कहा जा सकता कि लोकतंत्र के जरिये विकास संभव नहीं है।

अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन के लिए फरीद जकारिया को दिए एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि मैंने लोकतंत्र की ताकत देखी है। यदि लोकतंत्र न होता तो मैं किस तरह यहां तक आ सकता था। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अगला चीन है? मोदी ने कहा कि भारत को किसी की नकल करने की जरूरत नहीं है। क्या पूर्वी चीन सागर और दक्षिणी चीन सागर में चीन के व्यवहार से भारत चिंतित है? प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि भारत 125 करोड़ लोगों का देश है। छोटी-छोटी बातों पर भी चिंतित होने से देश चलाना मुश्किल हो जाएगा।

हालांकि, हम समस्याओं को नजरअंदाज भी नहीं कर सकते। हमें चीन की समझ में पूरा विश्वास है और उम्मीद है कि हमारा पड़ोसी मुल्क अंतरराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से आचरण करेगा।

विकास की स्पष्ट रणनीति

मोदी ने कहा कि भारत के पास फिर से विश्व की बड़ी आर्थिक शक्ति होने का अवसर है और उनके पास देश की सवा सौ करोड़ जनता की उद्यम क्षमता को दिशा देने के लिए एक स्पष्ट कार्ययोजना है। उन्होंने कहा कि अतीत में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। आज हम अपने गौरव को खो बैठे हैं। लेकिन, इस समय फिर से भारत के पास उठ खड़ा होने का मौका है।

महिलाओं के सम्मान से कोई समझौता नहीं

प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के खिलाफ ¨हसा पर गाहे-बगाहे राजनीतिक पंडितों की बयानबाजी की आलोचना करते हुए कहा है कि उनके सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। पीएम ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ ¨हसा के मूल कारणों को लेकर राजनीतिक पंडितों द्वारा दिए गए बयानों ने स्थिति को और बिगाड़ने का काम किया है।

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