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सीमा तनाव घटाने को मिले भारत-पाक डीजीएमओ

कारगिल युद्ध के बाद वाघा सीमा पर मिले भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों [डीजीएमओ] ने सरहद का तनाव घटाने की पहल की। दोनों पक्षों ने सैन्य प्रतिनिधियों के बीच फ्लैग मीटिंग का स्तर बढ़ाते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दो स्थानों पर ब्रिगेडियर स्तरीय बैठक पर सहमति जताई है। हालांकि, सीमा पर शांति बहाली के उपायों को लेकर दोनों पक्ष आमने-समाने के पाले में ही बने रहे।

By Edited By: Updated: Tue, 24 Dec 2013 09:14 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कारगिल युद्ध के बाद वाघा सीमा पर मिले भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों [डीजीएमओ] ने सरहद का तनाव घटाने की पहल की। दोनों पक्षों ने सैन्य प्रतिनिधियों के बीच फ्लैग मीटिंग का स्तर बढ़ाते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दो स्थानों पर ब्रिगेडियर स्तरीय बैठक पर सहमति जताई है। हालांकि, सीमा पर शांति बहाली के उपायों को लेकर दोनों पक्ष आमने-समाने के पाले में ही बने रहे।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच 30 सितंबर की मुलाकात में बनी सहमति के मुताबिक हुई बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने सरहद पर शांति बनाए रखने का संकल्प जताया। इसके लिए मौजूदा हॉटलाइन व्यवस्था को प्रभावी बनाने के साथ ही निर्दोष नागरिकों के सीमा पार करने पर जल्द लौटाने पर भी रजामंदी जताई गई। सीमा पर तनाव घटाने के लिए दोनों ओर से ब्रिगेडियर स्तरीय सैन्य अधिकारी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दो स्थानों पर बैठक करेंगे। यह बैठक जल्द हो सकती है। फिलहाल दोनों देशों के बीच अमन सेतु और चकां दा बाग में फ्लैग मीटिंग की व्यवस्था है। सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित बैठक के लिए भारत कृष्णाघाटी और बिंबरगली जैसे उन इलाकों में बैठक का प्रस्ताव कर सकता है, जहां संघर्षविराम उल्लंघन की सबसे ज्यादा घटनाओं के साथ ही पांच जवानों के मारे जाने की वारदातें हुई हैं। हालांकि, अमन के नारों के साथ ही जमीनी उपायों को लेकर भारत और पाक के मतभेद बैठक में भी उभरे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में मेजर जनरल आमिर रजा की अगुआई में पाक प्रतिनिधिमंडल ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी मिशन की भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया। बैठक के लिए लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया की अगुआई में वाघा सीमा पार कर पाकिस्तानी जमीन पर पहुंचे दल ने मेजबान के इस पारंपरिक आग्रह को खारिज कर दिया।

करीब सवा दो घंटे की इस सैन्य स्तरीय वार्ता में भारतीय दल ने सीमा पार आतंकियों को मिल रही पनाह और प्रशिक्षण के अलावा घुसपैठ के लिए दी जा रही मदद का मुद्दा भी उठाया। साथ ही भारत ने पाकिस्तानी फौज की ओर से बीते एक साल में करीब 200 बार हुए युद्धविराम उल्लंघनों का भी मुद्दा उठाया। हालांकि, जवाब में पाक सेना की ओर से भी ऐसी ही शिकायतें दोहराई गई। बीते साढ़े ग्यारह महीनों में पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम उल्लंघन के साथ ही कश्मीर घाटी में आतंकवाद की आग फिर भड़काने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। सीमा पर दो भारतीय सैनिकों के सिर काटने की घटना के साथ ही केरन में पाकिस्तानी घुसपैठियों की 15 दिन तक चली मोर्चाबंदी जैसी वारदातें भी हुई हैं।

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