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सार्क सम्मेलन में बोले नवाज शरीफ, पाक खुद है आतंकवाद का शिकार

सार्क सम्मेलन के दौरान पाक पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की मंशा पर शक नहीं करना चाहिए।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2016 11:22 AM (IST)
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इस्लामाबाद। सार्क देशों के गृहमंत्रियों के सम्मेलन में पाक पीएम नवाज शरीफ ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी प्रतिबद्धता जताई। लेकिन कश्मीर का नारा बुलंद करने वाले अपने बयान पर खामोश रहे। जानकारों का कहना है कि भारत के दबाव का साफ असर उनके संबोधन पर दिखायी दे रहा था। पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है। आतंकवाद के सफाए के लिए पाकिस्तान जर्ब-ए-अज्ब चला रहा है, और इसे हम आगे भी जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मिट्टी का इस्तेमाल सिर्फ अच्छे कामों के लिए ही किया जा सकता है। आतंक के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अहम कामयाबी मिली है। सार्क अपने मकसद को पूरा करने में कामयाब रहा है। सार्क देशों के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं। लेकिन इन सबके बीच ये संगठन अपने उद्देश्यों को पूरा कर रहा है। क्षेत्रीय सहयोग के लिए हमें अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इसमें शक नहीं है कि सार्क के अंदर कुछ देशों में मतभेद है। लेकिन हमें अंतरविरोधों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

पाक के साथ द्विपक्षीय बातचीत नहीं

भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी। केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने कहा कि सार्क सम्मेलन के दौरान तय एजेंडे पर ही बातचीत होगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सार्क देशों के गृहमंत्री पाक पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात करेंगे। भारत ने सार्क टेरर अफेंस मॉनिटरिंग डेस्क को तीन से चार प्रस्ताव मुहैया कराए है।

क्या है STOMD ?

सम्मेलन में राजनाथ सिंह भारत की तरफ से सार्क देशों से आतंकवाद का मिलकर मुकाबला करने के लिए सार्क टेरोरिस्ट ऑफेंसज मॉनिटरिंग डेस्क (STOMD) को एक्टिव करने के लिए जोर देंगे। वर्ष 1995 में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में बने यह डेस्क तकनीकी कारणों से अब तक ऑपरेशनल नहीं हुआ है।

आतंकवाद का मिलजुल कर सामना करने की जरूरत

राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और संगठित अपराध पर लगाम लगाने के लिए दक्षेस देशों के साथ उपयोगी वार्ता की उम्मीद जताई है। बुरहान वानी की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी के बीच राजनाथ सिंह की यात्रा का आतंकी संगठन विरोध कर रहे हैं। ऐसे में भारत और पाकिस्तान के गृहमंत्रियों की संभावना को पहले ही नकारा जा चुका है। लेकिन दक्षेस मंच का इस्तेमाल करते हुए राजनाथ सिंह पाकिस्तान को भारत में आतंकी हमले करने वाले लश्करे तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने को कह सकते हैं।

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सार्क देशों के वीजा इंतजाम पर होगी बात

आतंकवाद के विरोध पर भारत की प्रतिबद्धता का मुद्दा भी सार्क देशों के इस मंच पर उठाए जाएगा. भारत चाहता है कि सार्क देश आतंकवाद को खत्म करने की प्रतिबद्धता पर मजबूत कदम उठाए. सार्क देशों के नागरिकों के लिए वीजा सहूलियतों पर भी बात होगी. पासपोर्ट पर सार्क के स्टीकर लगे होने के आधार पर वीजा तुरंत मिले. इसके लिए कदम उठाने को सहमति बनाए जाने की कोशिश की जाएगी।

'पाक बहाना न बनाए'

लश्कर-ए- तैयबा का प्रमुख हाफिज सईद मुंबई हमले का गुनहगार है, जबकि अजहर मसूद के जैश ए मोहम्मद ने इसी साल पठानकोट एयरबेस में आतंक हमले का आरोप है। लेकिन पाकिस्तान सबूत के अभाव का बहाना बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई से बचता रहा है। आतंकी संगठनों के साथ-साथ दक्षिण एशिया के सबसे बड़े संगठित अपराधी गिरोह डी कंपनी के दाऊद इब्राहिम पर लगाम लगाने का मुद्दा भी उठा सकते हैं। 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके का आरोपी दाऊद पिछले 23 सालों से पाकिस्तान में है और भारत उसे वापस देने की मांग कर रहा है।

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भारत पाकिस्तान को दाऊद के ठिकाने के ढेरों सबूत दे चुका है, लेकिन पाक इसे मानने को तैयार नहीं है। संगठित अपराध को रोकने पर कोई भी चर्चा दाऊद के बिना नहीं हो सकती है। राजनाथ सिंह गुरूवार को होने वाले गृहमंत्रियों की बैठक में ये सभी मुद्दे उठा सकते हैं। इसके पहले बुधवार को गृहसचिवों की बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। गृहसचिव राजीव महर्षि के नेतृत्व में गृह और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को ही इस्लामाबाद पहुंच चुका है।

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