ओडिशा: भारत ने किया स्वदेशी निर्मित पृथ्वी-2 का सफल परीक्षण
DRDO ने स्वदेशी निर्मित पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में स्थित इंटीग्रेटेड टेस्टक रेंज, बालासोर से सुबह करीब 9.40 बजे किया गया।
By Manish NegiEdited By: Updated: Wed, 18 May 2016 01:21 PM (IST)
भुवनेश्वर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) ने बुधवार को स्वदेशी निर्मित पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में स्थित इंटीग्रेटेड टेस्टक रेंज, बालासोर से सुबह करीब 9.40 बजे किया गया। इस दौरान डीआरडीओ के कई वैज्ञानिक भी वहा मौजूद रहे।
परणामु सक्षम पृथ्वी-2 में अपनी तरफ आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता है।
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पृथ्वी मिसाइल की विशेषताएं
- पृथ्वी 2 मिसाइल को साल 2003 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। यह पहली मिसाइल है जिसे डीआरडीओ ने 'इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलेपमेंट प्रोग्राम' के तहत तैयार किया था।
- पृथ्वी 2 देश में निर्मित मिसाइल है। यह मिसाइल 500 किलोग्राम से 1000 किलोग्राम तक का भार उठाने में सक्षम है।
- सतह से सतह पर 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल दो लिक्विड प्रपल्शन इंजन से चलती है।
- यह बैलिस्टिक मिसाइल 500 से 1000 किलो वजनी न्यूक्लियर हथियार से दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकती है।
- यही नहीं, पृथ्वी-2 जमीन से जमीन पर 350 किलोमीटर तक मार कर सकती है। डीआरडीओ ने ओडिशा के अब्दुल कलाम आइलैंड पर एंटी बैलिस्टिक इंटरसेप्टर मिसाइल का कामयाब टेस्ट किया था, जो 2000 किलोमीटर तक हमला कर सकती थी।
- एडवांस टेक्नोलॉजी वाली पृथ्वी-2 मिसाइल में 2 इंजन लगाए गए हैं।
- अग्नि मिसाइलों के बाद यह भारत की सबसे प्रमुख बैलिस्टिक मिसाइल है।
- पृथ्वी 3 - पृथ्वी III का सन् 2000 में आईएनएस सुभद्रा से परीक्षण किया गया था। 1000 किलो के वजनी न्यूक्लियर हथियार के साथ 350 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है।
- वहीं वहीं 500 किलो वजन के साथ यह मिलाइल 600 किलोमीटर की दूरी तय करती है।