गुमशुदा मलेशियाई विमान का तलाशी अभियान अब दक्षिण हिंद महासागर से कजाखिस्तान तक फैल गया है। समंदर के बाद अब नौ दिन से लापता विमान को जमीन पर भी ढूंढने की नई रणनीति तय की जा रही है। नई रणनीति बनने तक भारत ने खोज अभियान में लगे अपने पोत और विमानों को रोक दिया है। रविवार को मलेशिया के पीएम नजीब रजाक न
By Edited By: Updated: Mon, 17 Mar 2014 01:53 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गुमशुदा मलेशियाई विमान का तलाशी अभियान अब दक्षिण हिंद महासागर से कजाखिस्तान तक फैल गया है। समंदर के बाद अब नौ दिन से लापता विमान को जमीन पर भी ढूंढने की नई रणनीति तय की जा रही है। नई रणनीति बनने तक भारत ने खोज अभियान में लगे अपने पोत और विमानों को रोक दिया है। रविवार को मलेशिया के पीएम नजीब रजाक ने प्रधानमंत्री मनमोहन से बात कर मदद का आग्रह किया है। रहस्यमय तरीके से गायब हुए बोइंग विमान का पता लगाने के अभियान में अब 25 देश शामिल हो गए हैं।
अमेरिका के पूर्व उपविदेश मंत्री स्ट्रोब टालबोट ने भारत में 9/11 जैसे हमले के लिए विमान के इस्तेमाल की आशंकाएं जताकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, भारतीय रक्षा खेमे ने इन आशंकाओं को बेबुनियाद ठहराया है। भारतीय नौसेना मुख्यालय के मुताबिक मलेशिया ने अपनी पड़ताल के आधार पर बताया है कि तलाशी मिशन नए चरण में पहुंच गया है। इसके लिए नई रणनीति बनाई जा रही है। लिहाजा, भारत ने 229 लोगों के साथ गायब हुए विमान की तलाश में लगाए अपने आधा दर्जन पोत और इतने ही विमानों को फिलहाल रुकने को कहा है। वैसे अब तलाशी अभियान के लिए चिह्नित उत्तरी व दक्षिणी गलियारे के नए इलाके का बड़ा क्षेत्र भारत के करीब है। इसमें भारत और श्रीलंका के करीब दक्षिणी हिंद महासागर का भी बड़ा इलाका है।
मलेशियाई आग्रह पर इस काम में भारतीय नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के पोत व विमानों को दक्षिण अंडमान सागर तथा बंगाल की खाड़ी के कुछ इलाकों को खंगालने के लिए उतारा गया है। भारत समेत कई देशों की ओर से चल रहे तलाशी अभियान के बावजूद शनिवार को क्वालालंपुर से बीजिंग के लिए रवाना हुई एमएच-370 का कोई निशान नहीं मिला है। भारत पर 9/11 का खतरा
अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की सरकार में उपविदेश मंत्री रहे पूर्व राजनयिक स्ट्रोब टालबोट ने ट्वीट किया है कि विमान की दिशा, ईधन और दायरा भारत के किसी शहर पर 9/11 जैसे हमले की शंकाएं बढ़ाता है। हालांकि, भारतीय वायुसेना के सूत्र इन आशंकाओं को निराधार बताते हुए कहते हैं कि देश की वायुसीमा की हिफाजत के लिए कई स्तर की सुरक्षा प्रणाली मौजूद है। जानकारों की दलील है कि अगर योजना हमले की होती तो विमान अपने रास्ते से भटक खो नहीं जाता। मलेशिया के नागरिक उड्डयन अधिकारियों ने भी आशंकाओं को तूल नहीं दिया है। दो गलियारे में खोज
गुम हुए विमान की तलाश अब दो गलियारों में की जा रही है। इनमें उत्तरी थाइलैंड से मध्य एशिया में कजाखिस्तान व तुर्कमेनिस्तान तक और दूसरा इलाका इंडोनेशिया से दक्षिण हिंद सागर के करीब का है। शनिवार को मलेशियाई प्रधानमंत्री ने सैटेलाइट से हासिल जानकारियों का हवाला देते हुए कहा था कि लापता विमान रडार संपर्क टूटने के बाद भी करीब सात घंटे तक उड़ता रहा।
मलेशियाई विमान को पकड़ने में भारत भी चूका नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लापता मलेशियाई विमान की तलाश भारत के करीब हिंद महासागर क्षेत्र में सिमट रही है। क्वालालंपुर से बीजिंग की ओर चले विमान के भारत की तरफ रास्ता बदलने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, ऐसे में उस रडार तंत्र को लेकर सवालिया निशान लाजिमी हैं, जो भारत ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और अन्य तटीय इलाकों में लगाए हैं। महत्वपूर्ण है कि 26 नवंबर 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के बाद शुरू हुई तटीय निगरानी परियोजना अब तक पूरी तरह कारगर नहीं हो सकी है। देश की साढ़े सात हजार किमी लंबी तट रेखा और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र में करीब 650 करोड़ रुपये की लागत से 46 रडार का नेटवर्क पूरी तरह शुरू नहीं हो पाया है। निर्धारित लक्ष्यों के मुकाबले काफी पीछे चल रही इस योजना के तहत अभी 10 रडार लगाए जाने का काम पूरा होना है। अगले चरण में 1580 करोड़ की लागत से शेष इलाकों में 38 रडार और लगाए जाने हैं। हालांकि, सैन्य सूत्र मानते हैं कि तटीय प्रणाली के तहत लगे रडार कई स्थानों पर तो बिजली उपलब्धता की कमी और बैटरियों की दिक्कत के कारण ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आशंकाएं बरकरार हैं कि दक्षिण अंडमान सागर की ओर मुड़ा मलेशिया एयरलाइंस का विमान रडार नेटवर्क की पकड़ से भी चूक गया है। सूत्रों के अनुसार बीते आठ दिन के सैन्य रडार नेटवर्क की सूचनाओं को खंगाला जा रहा है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भारत का रणनीतिक बल कमान स्थित है। यहां भारत ने कई सैन्य रडार भी लगा रखे हैं, जो समंदर और आसमान की निगाहबानी करते हैं। करीब 200 नॉटिकल मील की क्षमता वाले रडार आकाश में भी वैमानिक गतिविधियों पर नजर रखते हैं। ग्रेट निकोबार द्वीप पर भारतीय नौसेना का वायु स्टेशन आइएनएस बाज है। इस ठिकाने को हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए ही विकसित किया गया है। पढ़े:
गायब रहने के सात घंटे के बाद विमान से आए थे संकेत