पीओके पर पाक-अमेरिकी सहयोग से भारत खफा
पाक के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर (पीओके) में विकास परियोजनाओं को अमेरिकी मदद मिलने पर भारत ने बेहद सख्त प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तान और अमेरिका से एक सुर में अपनी नाराजगी जताते हुए भारत ने कहा है कि कश्मीर का यह हिस्सा पाक के गैरकानूनी कब्जे में है और भारत
By Amit MishraEdited By: Updated: Fri, 23 Oct 2015 09:42 PM (IST)
नई दिल्ली। पाक के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर (पीओके) में विकास परियोजनाओं को अमेरिकी मदद मिलने पर भारत ने बेहद सख्त प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तान और अमेरिका से एक सुर में अपनी नाराजगी जताते हुए भारत ने कहा है कि कश्मीर का यह हिस्सा पाक के गैरकानूनी कब्जे में है और भारत इसमें किसी भी विकास कार्य का विरोध करता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच गुरुवार को हुई बातचीत में अमेरिका ने पाक के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में पनबिजली परियोजनाओं को वित्तीय मदद देने की बात स्वीकार कर ली है। पाकिस्तान सरकार व मीडिया इसे खूब तवज्जो दे रहे हैं और इसे पाकिस्तान के हिस्से वाले कब्जे पर अमेरिका की अंतिम मुहर के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं। अमेरिका को अपनी चिंताओं से अवगत कराने के बावजूद भारत की बड़ी चिंता यह है कि गुलाम कश्मीर में परियोजनाओं के लिए दिन ब दिन पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलता जा रहा है। कुछ दिन पहले ही चीन ने गुलाम कश्मीर के रास्ते ग्वादर बंदरगाह तक सड़क मार्ग बनाने का समझौता पाकिस्तान से किया है। भारत ने इस पर भी कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। ऊफा (रूस) में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ वार्ता में पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को उठाया भी था। अब अमेरिका ने भी गुलाम कश्मीर में दो परियोजनाओं को आर्थिक मदद देने का प्रस्ताव देकर यह साफ कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय जगत गुलाम कश्मीर पर भारत के दावे को खास तवज्जो नहीं देता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का यह बयान कि, 'सभी देशों को यह बता दिया गया है कि कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के गैरकानूनी कब्जे में है' सिर्फ कूटनीतिक नाराजगी जताना भर ही है।
भारत ने ओबामा और शरीफ की बातचीत के बाद जारी घोषणापत्र में पाक समर्थित आतंकवाद का काफी विस्तार से जिक्र होने पर संतुष्टि जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि आतंक को पाकिस्तान से मिल रहे समर्थन पर अमेरिका ने भारत की बात की ही तसदीक की है। घोषणापत्र से साफ है कि पाकिस्तान को यह कहा गया है कि वह हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा समेत अन्य आतंकी संगठनों को समर्थन देना बंद करें। भारत ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका के साथ जो वादे शीर्ष स्तर पर किए गए हैं, पाकिस्तान उनका पालन करेगा। अब पाकिस्तान को यह समझना पड़ेगा कि आतंकियों को मिल रहे समर्थन से पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच पिछले दो वर्षो में कई स्तरों पर बातचीत हुई है। पाक स्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ दोनो देशों के बीच लगातार सहयोग भी जारी है।