आकाश, ब्रह्माोस और तेजस का निर्यात करेगा भारत, नई रक्षा खरीद प्रक्रिया जारी हुई
वह दिन दूर नहीं जब भारत हथियारों के आयातक से निर्यातक देश के रूप में तब्दील हो जाए। हो सकता है निकट भविष्य में हम स्वदेशी तकनीक से तैयार ब्रह्माोस और आकाश मिसाइल प्रणाली सहित हल्के लड़ाकू विमान तेजस का निर्यात भी करने लगे।
पणजी: वह दिन दूर नहीं जब भारत हथियारों के आयातक से निर्यातक देश के रूप में तब्दील हो जाए। हो सकता है निकट भविष्य में हम स्वदेशी तकनीक से तैयार ब्रह्माोस और आकाश मिसाइल प्रणाली सहित हल्के लड़ाकू विमान तेजस का निर्यात भी करने लगे।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के अनुसार, 'एक बार भारतीय वायु सेना की जरूरतें पूरी हो जाएं। हम तेजस का निर्यात कर सकते हैं। यहां तक कि आकाश मिसाइल प्रणाली और ब्रह्माोस को भी दूसरे देशों को बेच सकते हैं।'
गोवा में आयोजित चार दिवसीय डिफेंस एक्सपो-2016 के उद्घाटन के मौके पर सोमवार को उन्होंने यह बात कही। पर्रिकर ने एक्सपो में 47 देशों की 1035 कंपनियों की भागीदारी पर खुशी जताई है। इस मौके पर उन्होंने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) को भी जारी किया।
पणजी से 50 किलोमीटर दूर बेतुल नकेरी गांव में आयोजित रक्षा प्रदर्शनी में पर्रिकर ने कहा कि डीपीपी दरअसल मेक इन इंडिया के एजेंडे को आगे बढ़ाएगा। यह रक्षा उद्योग नेटवर्क विकसित करने के सरकार के लक्ष्य को पूरा करेगा। इससे रक्षा क्षेत्र में आयात पर देश की निर्भरता कम होगी।
उन्होंने बताया कि डीपीपी को रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर लोड कर दिया गया है। हार्ड कापी फार्मेट में यह अगले 15 दिनों में उपलब्ध होगा। रक्षा मंत्री ने पहली बार दिल्ली से बाहर गोवा में हो रहे डिफेंस एक्सपो में कंपनियों की भारी भागीदारी पर खुशी जाहिर की।
उनका कहना है, 'कंपनियों की भागीदारी हमारी उम्मीद से अधिक है। एक्सपो में 47 देशों से 1035 कंपनियों की भागीदारी वास्तव में उत्साहवर्द्धक है।'
पर्रिकर ने बताया कि डीपीपी के तहत काली सूची में डालने की नई नीति अगले महीने जारी की जाएगी। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले से ब्लैकलिस्ट फर्मो को कोई राहत नहीं मिलेगी। इन फर्मो के लिए एक ही विकल्प है कि वे रक्षा मंत्रालय की सतर्कता समिति के समक्ष खुद को पहले बेदाग साबित करें।
इस मौके पर रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि नई रक्षा खरीद प्रक्रिया से हथियारों के मामले में दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी।