पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर भारत भी करेगा हस्ताक्षर
पेरिस समझौते पर भारत औपचारिक रूप से हस्ताक्षर करेगा। फ्रांस की राजधानी में जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन के दौरान 190 देशों ने समझौते को मंजूरी दी थी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 02 Apr 2016 09:31 PM (IST)
मुंबई। पेरिस समझौते पर भारत औपचारिक रूप से हस्ताक्षर करेगा। फ्रांस की राजधानी में जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन के दौरान 190 देशों ने समझौते को मंजूरी दी थी। इसी महीने 22 तारीख को न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में उच्चस्तरीय हस्ताक्षर समारोह आयोजित होने जा रहा है। इस समारोह में भारत के साथ ही 100 अन्य देश पेरिस समझौते की पुष्टि करेंगे।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को इस आशय की जानकारी दी। मुंबई विश्वविद्यालय में 'सीओपी 21 सहक्रिया का निर्माण, गतिविधि को आकारÓ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी को केंद्रीय मंत्री ने संबोधित किया। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर का पेरिस सम्मेलन भारत की नकारात्मक और ना कहने वाली छवि को बदलने में मददगार रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश जलवायु न्याय संबंधी विचार से भारत की छवि बदली। जलवायु की मौजूदा स्थिति के लिए केंद्रीय मंत्री ने विकसित देशों द्वारा अनियंत्रित कार्बन उत्सर्जन को जिम्मेवार ठहराया। पेरिस समझौते में वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए वैश्विक कार्य योजना तय की गई है। समझौते में कम से कम 55 देशों को कुल वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में से 55 फीसद के लिए जिम्मेवार ठहराया गया है। समझौते के लागू होने से पहले इन देशों को मंजूरी देनी होगी। जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वास्तविकता है। विकसित देशों के अनियंत्रित कार्बन उत्सर्जन के कारण तापमान में वृद्धि होती रही है। अकेले अमेरिका का 30 फीसदी, यूरोप, कनाडा एवं अन्य विकसित देशों का 50 फीसदी और चीन का 10 फीसदी योगदान है। भारत केवल 3 फीसदी कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है। इस समस्या के लिए भारत जवाबदेह नहीं है फिर समाधान में हिस्सेदार बनने को इच्छुक है।