चीन को साधने की तीन स्तरीय कोशिश
चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में लगातार बढ़ोतरी होने के बावजूद आपसी रिश्तों में धीरे-धीरे घुल रहे तनाव को खत्म करने में अगले दो हफ्ते काफी अहम साबित हो सकते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में लगातार बढ़ोतरी होने के बावजूद आपसी रिश्तों में धीरे-धीरे घुल रहे तनाव को खत्म करने में अगले दो हफ्ते काफी अहम साबित हो सकते हैं। अगले दस दिनों के भीतर भारत और चीन के बीच तीन स्तरीय बातचीत होने जा रही है।
यह बातचीत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के स्तर पर होगी। अमेरिका के साथ सामरिक सहयोग समझौता करने के बाद भारत चीन के साथ सामरिक मुद्दों पर भी अहम चर्चा शुरू करने जा रहा है।
विदेश मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्री स्वराज चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक 18 अप्रैल को मास्को में करेंगी। इस बैठक में मुख्य तौर पर अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा पर होगी। लेकिन माना जा रहा है कि स्वराज जैश के आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रस्ताव का चीन की तरफ से किए गए विरोध का मुद्दा भी उठाएंगी। लेकिन यह मुद्दा प्रमुखता से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में चीन के साथ होने वाली रणनीतिक वार्ता के दौरान उठाया जाएगा। डोभाल की तरफ से चीन को यह बताने की कोशिश की जाएगी कि जैश का नेटवर्क किस तरह से तालिबान से जुड़ा हुआ है और यह दुनिया के तमाम देशों के साथ ही कैसे चीन के कुछ इलाकों में भी आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने का काम कर रहा है।
रक्षा मंत्री पर्रिकर भी चीन जा रहे हैं। उनकी वहां के रक्षा मंत्री के साथ बातचीत होगी। पर्रिकर की यह पहली चीन यात्रा है जो इस रविवार को शुरू होगी। रक्षा मंत्री की मुलाकात चीन में रक्षा विभाग से जुड़े तमाम बड़े अधिकारियों के साथ ही प्रधानमंत्री ली कछ्यांग से भी होगी। भारत और चीन के बीच सुरक्षा से जुड़े कई लंबित मुद्दे हैं जिन पर आगे बातचीत होनी है।
इसमें चीन की तरफ से भारतीय सीमा में अतिक्रमण, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर खास तौर पर चर्चा होगी। इसके अलावा आने वाले दिनों में भारत और चीन के बीच सैन्य अभ्यासों के रोडमैप को लेकर भी दोनों देशों के बीच चर्चा होनी है। हाल के वर्षो में रक्षा क्षेत्र में भारत और चीन के बीच होने वाली यह सबसे अहम बैठक होगी।