एनएसजी पर अड़ियल चीन को मनाने की होगी नए सिरे से कोशिश
एनएसजी पर अडियल चीन के रूख से भले ही भारत अंदरूनी तौर पर खफा हो लेकिन उसे नए कूटनीतिक तरीके से मनाने की कोशिश की जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अजहर मसूद और उसके बाद एनएसजी के मुद्दों पर चीन के अडि़यल रवैये से भारत सरकार भले ही अंदरुनी तौर पर बहुत खफा हो लेकिन उसे मनाने की कूटनीतिक कोशिश आने वाले दिनों में और तेज होगी। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका खास होगी। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ व्यक्तिगत रिश्ता बनाने में जुटे मोदी की अगले दो महीने के भीतर कम से कम दो बार उनसे मुलाकात होगी।
माना जा रहा है कि इन मुलाकातों के जरिए मोदी की कोशिश चीन के साथ द्विपक्षीय रिश्तों में हाल में आये तनाव को न सिर्फ कम करने की होगी बल्कि एनएसजी के मुद्दे पर वह आगे की राह भी निकालने की कोशिश करेंगे।
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सूत्रों के मुताबिक मोदी और चिनफिंग की अगली मुलाकात सितंबर, 2016 के पहले हफ्ते में चीन में ही होगी। मोदी वहां जी-20 देशों की बैठक में भाग लेने जाएंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक होनी तय है। इसके बाद अक्टूबर, 2016 में गोवा में होने वाली ब्रिक्स देशों की बैठक में भी इन दोनो नेताओं की बैठक होनी तय है।
साउथ चाइना सी पर अंतरराष्ट्रीय पंचाट का आदेश आने के बाद चीन ने जिस तरह से एनएसजी में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर विचार विमर्श करने का संकेत दिया है उसे देखते हुए मोदी की चिनफिंग से होने वाली आगामी दोनों मुलाकातों को अहम माना जा रहा है। चीन के विरोध की वजह से ही भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल नहीं हो सका था। माना जा रहा है कि इस वर्ष के अंत तक एनएसजी में प्रवेश के लिए भारत एक बार कोशिश करेगा।
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सनद रहे कि मोदी और चिनफिंग के बीच पिछले दो वर्षो के भीतर विभिन्न अवसरों पर आठ बार मुलाकात हो चुकी है। पिछली मुलाकात जून, 2016 में ताशकंद में हुई थी। दोनों नेताओं के बीच बेहद अच्छे व्यक्तिगत संबंध बनने के संकेत हैं। भारत और चीन के बीच कारोबारी व निवेश के रिश्ते तो काफी मजबूती से बढ़ रहे हैं लेकिन एनएसजी, आतंकी मसूद अजहर पर नकेल कसने जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भारत का पक्ष नहीं लेता है। इस पर भारत अपनी सख्त नाराजगी जता चुका है। देखना है कि चीनी राष्ट्रपति को मनाने की मोदी की नई कोशिश कितना रंग दिखाती है।