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NSG के बाद भारत शुरू करेगा UNSC में स्‍थायी सीट के लिए मिशन

एनएसजी के बाद भारत यूएनएससी में अपनी स्‍थायी सीट के लिए कोशिश करेगा। इसके लिए वह दुनिया के उन 65 देशों से संबंध मजबूत करेगा जहां आज तक कोई मं‍त्री भी नहीं गया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2016 09:04 PM (IST)
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नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए चीन को साधने में जुटा भारत, आगे की तैयारी में भी लगा है। एनएसजी के बाद भारत की नजर संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर है। जिस तरह से एनएसजी की बेहद कठिन राह होते हुए भी सरकार की तरफ से हरसंभव कोशिश की जा रही है उसी तरह की आजमाइश सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट के लिए भी होगी। इसी उद्देश्य से भारत ने अभी तक अनछुए 65 देशों के साथ संपर्क साधने की तैयारी की है।

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ये देश अनछुए इसलिए हैं कि भारत की तरफ से अभी तक किसी भी राष्ट्राध्यक्ष या बड़े मंत्री ने इनकी यात्रा नहीं की है। वैसे तो ये देश छोटे देश हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुधार में हर सदस्य देश की अहमियत को देखते हुए भारत इनके साथ करीबी रिश्ता रखने की नींव डाल रहा है।

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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वयं ही पिछले रविवार को इस बारे में जानकारी दी। स्वराज ने बताया, 'भारत के तमाम दूतावासों ने बताया है कि दुनिया में 65 ऐसे देश हैं जहां आज तक भारत से कोई उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल नहीं गया। हम इसे समाप्त करने जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय एक विस्तृत कार्ययोजना बना रहा है कि दिसंबर, 2016 तक इन सभी देशों की यात्रा पर कोई न कोई मंत्री जाए। इसके लिए कैबिनेट मंत्रियों और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों की मदद ली जाएगी।'

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विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में देशों के साथ संपर्क साधने की पहली बार कोशिश हो रही है। सनद रहे कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत अभी तक 101 देशों के साथ संपर्क साध चुका है। यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है क्योंकि इसके पहले किसी भी सरकार ने सिर्फ दो वर्षो के भीतर 101 देशों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिश नहीं की है। संपर्क साधने में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की भी भरपूर मदद ली जा रही हैं।

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इन अधिकारियों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बात तो अभी दूर है लेकिन यह जब भी होगा तब इसके छोटे से छोटे देश के वोट का भी महत्व होगा। चूंकि अभी तक बड़े और प्रमुख देशों के साथ ही संपर्क साधा गया है लेकिन छोटे-छोटे दर्जनों ऐसे देश हैं जो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं और समय आने पर उनका सहयोग काफी अहम साबित हो सकता है।

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