यहां पढ़ें अपने देश के संविधान से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां, जानें कैसे है दूसरों से अलग
भारत का संविधान दूसरा का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसको कई देशों के संविधानों के अध्ययन के बाद बनाया गया था। जानें कई और रोचक जानकारियां।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 02 Dec 2019 12:06 AM (IST)
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। हम भारत के लोग। अधिकारों को लेकर बहुत सतर्क, सजग और चौकस हैं। संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों की बात आते ही हमारा लहजा शिकायती हो जाता है। सही मुंह और मूड को बुरा सा बनाकर सरकारों और संवैधानिक संस्थाओं पर तोहमत लगाने लगते हैं। हमें यह नहीं मिल रहा है हमें वो नहीं हासिल है। हमें इसकी आजादी चाहिए हमें उसकी आजादी चाहिए। बहुत खूब। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नागरिकों का यह जोश और जज्बा किसी को भी उनकी जागरूकता की डिग्री पर सोचने को विवश कर सकता है। सोच का दूसरा पहलू भी देखिए। जिस संविधान ने हमें मौलिक अधिकारों को उपहार के रूप में नवाजा है, उसी ने कर्तव्यों के दायित्वबोध की टोकरी का बोझ भी सिर पर लाद दिया है।
कर्तव्यों की बात आते ही औसत भारतीय किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है। बगलें झांकने लगता है या कोई कुतर्क करने लगता है। दरअसल बात बड़ी सीधी सी है। संविधान कोई अनोखी बात नहीं करता।जीवन के तमाम पड़ावों से गुजरते हुए हम तमाम संविधानों की परीक्षा देते हैं। संविधान यानी अनुशासित, मर्यादित और शोभनीय आचरण। इस संविधान कानून कायदों को हम सब बचपन से लेकर अब तक घर, स्कूल, कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थल आदि पर मानते-अवहेलता करते चले आ रहे हैं। संविधान में उल्लिखित कर्तव्यों का जैसे कोई नागरिक अनुपालन करता है, तो ऐसा करके वह दूसरे नागरिक के मौलिक अधिकारों को मुहैया कराता है।
मसलन अगर हम सड़क यातायात के नियमों का अनुपालन करते हैं तो किसी दूसरे नागरिक के जीवन के अधिकार को मुहैया कराते हैं। लेकिन हमारे मन-क्रम और वचन में किसी गलत- सही काम करने से पहले देश के संविधान का अक्स कतई नहीं कौंधता। अगर ऐसा हो तो एक के कर्तव्य पालन से दूसरे के मौलिक अधिकार सुनिश्चित होते रहें। हर नागरिक के मन-मस्तिष्क में संविधान की यही छवि-तस्वीर उकेरने के लिए केंद्र सरकार ने जागरूकता अभियान छेड़ा है। विगत 26 नवंबर को संविधान के 70 साल पूरे होने पर शुरू हुआ यह अभियान अगले एक साल तक चलेगा। ऐसे में हम भारत के लोग संविधान को साक्षी मानकर अपने आचारविचार और व्यवहार में मौलिक अधिकारों की रक्षा के साथ राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन का भी संकल्प लें और राष्ट्र के लोकतांत्रिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखने वाले सजग प्रहरी बनें।
संविधान से जुड़ी रोचक बातें संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को प्रारंभ हुई। उसी दिन सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किया गया लेकिन 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
कामकाज शुरू13 दिसंबर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत करने के साथ सभा की कार्यवाही शुरू हुई। आठ दिन तक उन प्रस्तावों पर बहस होने के बाद सर्वसम्मति से उनको 22 दिसंबर 1946 को पारित कर दिया गया। उसके बाद सभा ने संविधान निर्माण के लिए कई समितियों का गठन किया।
परामर्श समिति की रिपोर्ट परामर्श समिति ने 17 मार्च, 1947 को केंद्रीय और प्रांतीय विधान मंडलों के सदस्यों को प्रस्तावित संविधान की मुख्य विशेषताओं के संबंध में उनके विचारों को जानने के लिए एक प्रश्नावली भेजी गई। उसमें शामिल प्रश्नों के भेजे गए उत्तर के आधार पर परामर्श समिति ने एक रिपोर्ट तैयार की। जिसके आधार पर वीएन राव द्वारा संविधान का प्रारूप तैयार किया गया।
संविधान पारित29 अगस्त 1947 को वी एन राव द्वारा तैयार किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करने के लिए डॉ भीमराव आंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति का गठन किया गया। 21 फरवरी 1948 को समिति ने अपनी रिपोर्ट संविधान सभा में पेश की। पहले और दूसरे वाचन के बाद 7,635 संशोधन पेश किए गए, जिनमें से 2,437 को स्वीकार कर लिया गया। तीसरा वाचन 14-26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया।
मौलिक अधिकार और कर्तव्यभारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘भारत के लोग’ से शुरू होती है। यह बताती है कि देश का संविधान देशवासियों के लिए है। लोगों को बेहतर जीवन देने के लिए संविधान ने हमें कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं। हमें मूल रूप से छह मौलिक अधिकार दिए हैं। इनमें समानता, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार है। अधिकारों की मांग, कर्तव्यों से दूर मौलिक कर्तव्य संविधान के अनुच्छेद-51ए में वर्णित हैं। इन्हें 1976 में अपनाया गया।
- संविधान का पालन करें। उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करें।
- देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें, उसे अक्षुण्ण रखें।
- राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रेरित करने वाले आदर्शों का पालन करें।
- देश की रक्षा करें और समय आने पर राष्ट्र की सेवा करें।
- समरसता और समान भातृत्व की भावना को बढ़ावा दें।
- हमारी साझी संस्कृति का महत्व समझें और उसे सुरक्षित रखें।
- प्राकृतिक पर्यावरण जिसमें जंगल, झीलें, नदियां और वन्यजीवन आता है कि रक्षा और संवर्धन करें। प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञान अर्जन और सुधार की भावना विकसित करें।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों में उत्कृष्टता का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र निरंतर आगे बढ़ते हुए उच्च स्तर की ओर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छुए।
- बच्चों के परिजन और अभिभावक छह से 14 साल के बच्चों को शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराएं।