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गैरकानूनी ई-कैटरिंग को रेलवे की मौन स्वीकृति

रेलवे ने भले ही अभी ई-कैटरिंग शुरू नहीं की हो। लेकिन, ट्रेनों और स्टेशनों पर यह बाकायदा शुरू हो चुकी है। चाहें तो आप भी खाने का ऑनलाइन ऑर्डर दे सकते हैं। आपका मनपसंद खाना आपकी सीट पर पहुंच जाएगा।

By Edited By: Updated: Tue, 05 Aug 2014 11:58 AM (IST)
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नई दिल्ली (संजय सिंह)। रेलवे ने भले ही अभी ई-कैटरिंग शुरू नहीं की हो। लेकिन, ट्रेनों और स्टेशनों पर यह बाकायदा शुरू हो चुकी है। चाहें तो आप भी खाने का ऑनलाइन ऑर्डर दे सकते हैं। आपका मनपसंद खाना आपकी सीट पर पहुंच जाएगा। स्थानीय रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत से बाहर के कुछ कैटर्स इस गैरकानूनी गोरखधंधे को धड़ल्ले से चला रहे हैं। मगर रेल मंत्रालय मूकदर्शक बना हुआ है।

रेलवे में बाहर से खाने की ऑनलाइन सप्लाई करने के लिए कुछ कैटर्स ने बाकायदा वेबसाइटें खोल ली हैं। खानाऑनलाइन ऐसी ही एक वेबसाइट है जो अपने प्रचार के लिए ह्वाट्सऐप जैसे मोबाइल एप्लीकेशनों का सहारा ले रही है। इसकी ओर से मोबाइल यूजर्स को हजारों की संख्या में संदेश भेजकर बताया जा रहा है कि ट्रेन में अपनी पसंद का खाना चाहिए तो इस वेबसाइट पर लॉगऑन कर अग्रिम ऑर्डर बुक कराएं। अगले स्टेशन पर आपकी सीट पर खाना पहुंच जाएगा। वेबसाइट में बाकायदा स्टेशनों, व्यंजनों और ट्रेनों की लिस्ट दी गई है, जिस पर क्लिक कर आप विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं। जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, उनके लिए फोन का विकल्प भी है, जिसके लिए कई मोबाइल नंबर दिए गए हैं। अनेक रेल यात्री इस वेबसाइट का उपयोग करते हुए टेन में खाना प्राप्त कर रहे हैं।

अपनी नाक के नीचे चल रहे इस फर्जीवाड़े को रेल मंत्रालय पूरी तरह गैरकानूनी तो बता रहा है, लेकिन कर कुछ नहीं रहा है। लेकिन दैनिक जागरण के पूछने पर रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इस रहस्य पर से पर्दा उठा दिया। अधिकारी ने कहा कि इन्हें रोकने के लिए कई मर्तबा छापे डाले जा चुके हैं। कुछ लोगों को पकड़ा भी गया है। लेकिन, आगे कार्रवाई नहीं होती। वजह यह है कि रेलवे खुद ई-कैटरिंग शुरू करने वाला है और आगे इनकी जरूरत पड़ेगी। यानी यह सब रेलवे की मौन सहमति से चल रहा है। इससे यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि बाहर से खाने की आपूर्ति के क्या गुण-दोष हैं। बाद में इन्हीं में से कुछ को रेलवे की नियमित ई-कैटरिंग का हिस्सा बनाया जाएगा। रेलवे अधिकारी बेझिझक यह मानते हैं कि लाखों लोगों को बाजार से इतर किफायती कीमतों पर अच्छा खाना खिलाना किसी के भी बस की बात नहीं। रेलवे में रोजाना 5.22 लाख यात्रियों को खाने की जरूरत होती है। इसमें से अभी तक बमुश्किल एक लाख के खाने का इंतजाम हो सका है। मोदी सरकार में प्री-कुक्ड पैकेज्ड फूड पर प्रयोग हो रहा है। अगले हफ्ते तीन ट्रेनों से इसकी शुरुआत होगी। ये हैं-पश्चिम एक्सप्रेस, कर्नाटक एक्सप्रेस और बंगलूर-अहमदाबाद एक्सप्रेस।

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