'खुफिया एजेंसियों को पता था कि लश्कर आतंकी थी इशरत'
नारायणन ने कहा है कि खुफिया एजेंसियों को अच्छी तरह पता था कि इशरत जहां आतंकी है और वह लश्कर की एक साजिश का हिस्सा थी।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Thu, 18 Feb 2016 09:01 PM (IST)
नई दिल्ली। संप्रग सरकार के समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे और बाद में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने एमके नारायणन ने कहा है कि खुफिया एजेंसियों को अच्छी तरह पता था कि इशरत जहां आतंकी है और वह लश्कर की एक साजिश का हिस्सा थी।
लश्कर की यह साजिश पाकिस्तान से दुबई, कोच्चि, कश्मीर और आखिर में अहमदाबाद तक आ पहुंची थी। ज्ञात हो कि इशरत 2004 में अहमदाबाद में ही तीन आतंकियों के साथ एक मुठभेड़ में मारी गई थी। एमके नारायणन का यह दावा उन तमाम कांग्रेसी नेताओं के उलट है जो अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली की ओर से लश्कर आतंकी के तौर पर इशरत का नाम लेने के बाद उसे झूठा करार देने में लगे हुए हैं। डेविड हेडली की गवाही के सिलसिले में लिखे गए एक लेख में एमके नारायणन ने कहा है कि हेडली की ओर से इशरत को बतौर लश्कर आतंकी पहचानने का मकसद सिर्फ इस आतंकी संगठन का प्रचार करना भर था। पूर्व एनएसए ने यह भी लिखा है कि हेडली बहुत सारे राज छिपा रहा है।
ये भी पढ़ें- सुशील मोदी बोले - इशरत को बेटी कहने वाले मंत्रियों पर कार्रवाई करें CM नीतीश सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि उसने लश्कर आतंकी सैय्यद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदाल के बारे में कुछ नहीं बताया। इसी तरह उसने भारत की कई यात्राओं के दौरान यहां तैयार किए अपने जासूसों का कोई जिक्र नहीं किया। राहुल भट्ट का नाम पहले ही उजागर हो गया था।
लिहाजा मुंबई की अदालत को दी गई गवाही में उसका नाम लेने के कोई मायने नहीं हैं। उसने पाकिस्तान वाया दुबई से अहमदाबाद तक रची गई साजिश के बारे में न तो कोई नई जानकारी दी और न ही उससे जुड़े किसी शख्स का नाम लिया। हेडली ने "प्रोजेक्ट कराची" पर भी कोई खुलासा नहीं किया, जबकि इसी प्रोजेक्ट के तहत भारतीय मुसलमानों को गुमराह करके उन्हें आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन में शामिल किया जा रहा था।ये भी पढ़ें- इशरत मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को फंसाने की थी पूरी तैयारी एमके नारायणन के मुताबिक चूंकि हेडली और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ यह स्वीकार कर चुके हैं कि आइएसआइ ही जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के आतंकियों को प्रशिक्षित कर रही है इसलिए पाकिस्तान में सेना और आतंकी संगठनों के बीच का भेद और कम हो गया है।