चुनावी साल में रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए इससे ज्यादा करना मुमकिन नहीं था। उन्हें भले ही सिर्फ चार महीने के खर्च की मंजूरी मिलेगी, लेकिन रेलवे की पूरे साल की योजना पेशकर उन्होंने हर तबके को साधने की कोशिश की है। अंतरिम रेल बजट में ढांचागत योजनाएं संभव नहीं थीं। सारा दारोमदार नई ट्रेनों और फुटकर सहूलियतों पर होना था।
By Edited By: Updated: Thu, 13 Feb 2014 08:13 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चुनावी साल में रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए इससे ज्यादा करना मुमकिन नहीं था। उन्हें भले ही सिर्फ चार महीने के खर्च की मंजूरी मिलेगी, लेकिन रेलवे की पूरे साल की योजना पेशकर उन्होंने हर तबके को साधने की कोशिश की है। अंतरिम रेल बजट में ढांचागत योजनाएं संभव नहीं थीं। सारा दारोमदार नई ट्रेनों और फुटकर सहूलियतों पर होना था। लिहाजा 17 प्रीमियम ट्रेनों के जरिये उन्होंने यात्रियों के खास वर्ग को लुभाते हुए रेलवे की कमाई का भी इंतजाम कर दिया है। 39 एक्सप्रेस, 10 पैसेंजर ट्रेनों के अलावा उपनगरीय मार्गो पर चार मेमू व तीन डेमू ट्रेनों का एलान कर सामान्य और गरीब तबके की हसरत भी पूरी कर दी है।
नई लाइनें संभव नहीं थीं। इसलिए खड़गे ने सर्वेक्षणों का सहारा लिया है। उन्होंने नई लाइनों के 19 तथा दोहरीकरण के पांच सर्वे समेत रेलवे की पुरानी उपलब्धियों का बखान किया। टैरिफ अथॉरिटी के बहाने रेल बजट में किराये-भाडे़ को छुआ भी नहीं गया। यह खड़गे का पहला रेल बजट था। इसलिए उम्र के बावजूद वह जोश में थे, लेकिन तेलंगाना पर हंगामे के चलते उन्हें अपना बजट भाषण बीच में ही समाप्त करने को विवश होना पड़ा।
रेल बजट की सबसे बड़ी खासियत 'जय हिंद' नाम से प्रीमियम एसी ट्रेनों का एलान है। इनके किराये एयरलाइनों की तरह मांग-आपूर्ति के आधार पर तय होंगे। इसके अलावा जनरल टिकटों की मोबाइल पर बुकिंग, प्रमुख स्टेशनों के आसपास ट्रैक को गंदगी से निजात दिलाने के लिए 'ग्रीन कर्टेन' पायलट प्रोजेक्ट तथा शताब्दी व गोमती जैसी ट्रेनों के चेयरकार यात्रियों को अपग्रेडेशन सुविधा जैसे उपाय नए हैं। प्रीमियम ट्रेनों के जरिये खड़गे ने रेलवे की यात्री सेवाओं को घाटे से उबारने का मूलमंत्र दिया है। साथ ही यात्रियों की उस जमात को कन्फर्म टिकट पाने का वैकल्पिक रास्ता भी, जो लंबी दूरी की राजधानी जैसी ट्रेनों में आरक्षण के लिए परेशान होते हैं। इन्हीं ट्रेनों की बदौलत खड़गे ने नई एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें चलाने का रास्ता भी निकाल लिया है। इसके अलावा वह बढ़े ढुलाई लक्ष्य व घटे परिचालन अनुपात के साथ साढ़े बारह हजार करोड़ से अधिक का फंड बैलेंस दिखाने में कामयाब रहे हैं। रेलवे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की योजना को अंतरिम रेल बजट ने पुख्ता कर दिया है। हाईस्पीड कॉरीडोर जैसे विश्वस्तरीय रेल ढांचों के निर्माण में इसका उपयोग होगा। देखना यह होगा कि नई सरकार इस पर कैसा रुख अपनाती है। यह दावा आश्वस्त करने वाला है कि पिछले पांच सालों में 5,400 मानव रहित क्रॉसिंगों पर चौकीदार तैनात किए जा चुके हैं। स्वदेश में विकसित ट्रेन टक्कर रोधी प्रणाली टीसीएएस को जल्द ही अमल में लाए जाने का एलान भी भरोसा पैदा करने वाला है। रेलवे ट्रेनों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे पहली बार गंभीर प्रयास करते हुए दिखाई दे रहा है। आग से बचाने के लिए पैंट्री कारों में अब एलपीजी स्टोव के बजाय लौ रहित इंडक्शन चूल्हों का इस्तेमाल होगा।
संप्रग-2 सरकार के आखिरी महीनों में रेलमंत्री बने खड़गे को उद्घाटनों व हरी झंडी दिखाने के अलावा ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिला। इसलिए उन्होंने रेलवे में सरकार की पांच साल की उपलब्धियों, प्रधानमंत्री व संप्रग अध्यक्ष की अनुकंपाओं तथा 14 लाख रेलकर्मियों के समर्पित प्रयासों का गुणगान कर अपनी और कांग्रेस की चुनावी नैया खेने की यथासंभव कोशिश की है।