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दिल खोल कर सीबीएसई कर रहा मार्किंग, जानें- क्‍या है कारण

विभिन्‍न स्‍कूल के बोर्डों के बीच उत्‍तरपुस्‍तिका में अधिक मार्किंग करने का रेस चल रहा है और शायद सीबीएसई भी इस रेस में शामिल हो गया है।

By Monika minalEdited By: Updated: Mon, 04 Jul 2016 01:35 PM (IST)
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नई दिल्ली। बिहार बोर्ड का टॉपर स्कैम और दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में तमिलनाडु बोर्ड से 80 फीसद छात्रों के नामांकन को देखते हुए कहीं सीबीएसई ने भी इस ओर कदम बढ़ाकर अपने छात्रों को दिल खोलकर मार्क्स तो नहीं दे रहा। हो सकता है इसके पीछे सीबीएसई यह सोच रहा हो कि उसके बोर्ड के छात्र पीछे न रह जाएं।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इस साल सीबीएसई ने स्टैंडर्डाइजेशन की प्रक्रिया के दौरान पेपर्स के ऑल इंडिया सेट में बारहवीं क्लास में कमोबेश 16 फीसदी अतिरिक्त मार्क्स दिए जबक दिल्ली वाले सेट में 15 मार्क्स। नौ विषयों में तो 10 फीसदी से ज्यादा अतिरिक्त अंक दिए गए। इसका परिणाम यह हुआ कि जिस छात्र के गणित में वास्तव में 77 अंक आए थे, उनको रिजल्ट शीट में 93 मार्क्स मिले। इसी प्रकार बिजनस स्टडीज के एक छात्र को जहां असल नंबर 80 मार्क्स मिलने थे, उनको अतिरिक्त मार्क्स मिलाकर कुल 92 मार्क्स मिले।

हालांकि सीबीएसई स्ट्रीम के हिसाब से विषय को नहीं बांटता है लेकिन दिल्ली क्षेत्र के फीजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स और इंग्लिश कोर वाले छात्र को कुल मिलाकर 42 नंबर अतिरिक्त मिले जो बेस्ट फोर विषय के कुल अंकों के 10 फीसदी से भी ज्यादा है।

इसी प्रकार ऑल इंडिया लेवल पर अकाउंटेंसी, बिजनस स्टडीज, इकनॉमिक्स, मैथमेटिक्स और इंग्लिश कोर कॉम्बिनेशन वाले छात्र को कुल अतिरिक्त मार्क्स 49 मिले जो सभी विषय के कुल अंक के 10 फीसदी से ज्यादा है।

सीबीएसई सूत्रों ने इसका एक कारण बताया कि अन्य राज्यों के शिक्षा बोर्ड अपने छात्रों को दिल खोलकर ग्रेस नंबर दे रहे हैं, इसलिए ऐसा करना पड़ रहा है। हालांकि अधिकारिक रूप से सीबीएसई ने इस बात का खंडन किया है कि अन्य राज्यों की देखादेखी ऐसा किया जा रहा है। लेकिन, बोर्ड की रिजल्ट कमिटी की मीटिंग की कार्यवाही इस दावे को झूठा ठहराती नजर आती है। इसमें कहा गया है, 'सदस्यों का विचार था कि अन्य राज्यों में दिल खोलकर अतिरिक्त मार्क्स दिए जाने से उच्चतर शिक्षा में सीबीएसई के छात्र वंचित वाली पोजिशन में आ जाएंगे।'

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