महा सवाल: सेना-भाजपा गठबंधन होगा कि नहीं
महाराष्ट्र की भाजपानीत नई सरकार में शिवसेना शामिल होगी या नहीं, इस रहस्य से परदा बुधवार को भी नहीं उठ सका। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री में देर शाम हुई शिवसेना की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो सका। बैठक में शामिल नेताओं ने अंतिम फैसला लेने की जिम्मेदारी उद्धव पर डाल दी। बैठक के बाद शिवस
By manoj yadavEdited By: Updated: Thu, 30 Oct 2014 09:00 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र की भाजपानीत नई सरकार में शिवसेना शामिल होगी या नहीं, इस रहस्य से परदा बुधवार को भी नहीं उठ सका। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री में देर शाम हुई शिवसेना की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो सका। बैठक में शामिल नेताओं ने अंतिम फैसला लेने की जिम्मेदारी उद्धव पर डाल दी।
बैठक के बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत प्रेस से गुरुवार तक इंतजार करने की बात कहकर यह प्रश्न टाल गए कि सेना भाजपानीत सरकार में शामिल होगी या नहीं। माना जा रहा है कि शिवसेना तीन विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला, बिना शर्त सरकार में शामिल होना। दूसरा, राकांपा की तर्ज पर सरकार को बाहर से समर्थन देना। तीसरा, विपक्ष में बैठना। पहले विकल्प में शिवसेना के पास कोई मांग रखने का हक नहीं होगा। यह बात भाजपा स्पष्ट कह चुकी है लेकिन यही एकमात्र विकल्प है, जिसमें शिवसेना को पुन: भाजपा संग खड़े होने का अवसर मिलेगा। ज्यादातर नए विधायक इसी पक्ष में हैं। शिवसेना-भाजपा के बीच खत्म न हो रही इस कटुता में बड़ी भूमिका शिवसेना के मुखपत्र सामना एवं इसके संपादकों की मानी जा रही है। दो दिन पहले ही सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने यह कहकर नरम रुख के संकेत दिए थे कि चुनाव के साथ ही चुनावी कटुता समाप्त हो चुकी है। जब बातचीत के लिए भारत-पाकिस्तान एक साथ आ सकते हैं तो शिवसेना-भाजपा क्यों नहीं। इसके बावजूद बुधवार को ही पार्टी के मुखपत्र सामना ने अपने संपादकीय में काले धन के मुद्दे पर केंद्रकी नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर आग में घी डालने का काम कर दिया जबकि भाजपा का एक वर्ग हमेशा मानता रहा है कि शिवसेना सहयोगी दल है, उसे सहयोगी दल की तरह ही व्यवहार करना चाहिए।