Move to Jagran APP

ड्रोन हमले में मारा गया ISIS से जुड़ा भारतीय सरगना शमी अर्मर

आतंकी संगठन आइएस के लिए भारत में भर्ती का काम देखने वाले आतंकी मोहम्मद शफी अर्मर के मारे जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले सीरिया में अमेरिकी ड्रोन हमले में उसकी मौत हो गयी है।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Mon, 25 Apr 2016 10:46 AM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली। आतंकी संगठन आइएस के लिए भारत में भर्ती का काम देखने वाले आतंकी मोहम्मद शफी अर्मर के मारे जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले सीरिया में अमेरिकी ड्रोन हमले में उसकी मौत हो गयी है।

कश्मीर में जिहाद समर्थकों ने पहली बार किया आइएस का विरोध

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मोहम्मद शफी का दूसरा नाम यूसुफ है। यूसुफ को आइएस सरगना अबू बकर बगदादी का दाहिना हाथ था। मोहम्मद शफी या यूसुफ को बगदादी ने भारत में आइएस का काम देखने को कहा था। और वो भारतीय युवकों को आइएस से जुड़ने के लिए प्रेरित करता रहता था।

श्री श्री के प्रस्ताव पर आइएस ने भेजी सिर कटे शव की फोटो !

बताया जाता है कि उसने करीब 30 युवकों की आइएस के लिए भर्ती की थी। उसकी मंशा भारत के सभी राज्यों में आइएस की यूनिट खोलने की थी। एटीएस और एनआइए की गिरफ्त में आए आतंकियों से इस जानकारी की पुष्टि भी हुई थी। एनआइए ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश से आइएस से जुड़े आतंकियों की धरपकड़ भी की थी।

खुफिया अधिकारियों का कहना है कि शफी अर्मर की मौत के बाद भारत में आइएस की मौजूदगी को खत्म करने में और मदद मिलेगी। शफी अर्मर कर्नाटक के भटकल का रहने वाला था। शफी के भाई सुल्तान अर्मर की साल 2015 में ड्रोन हमलों में मौत हो गयी थी।

इंटरपोल में वांछित शफी अर्मर ने अंसार-उल-तौहीद को भंग कर जुनुद-अल खलीफा-ए-हिंद का गठन किया था। अंसार -उल-तौहीद दरअसल इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़ा हुआ था। लेकिन रियाज भटकल और इकबाल भटकल से विरोध के चलते वो अलग हो गया। कुछ समय बाद शफी और उसके भाई ने आइएस से अपने को जोड़ लिया। और भारत में ये आतंकियों की भर्ती में जुट गए।

बताया जाता है कि शफी सोशल साइट्स फेसबुक स्योरस्पॉट, ह्वाट्सएप और स्काइप के जरिए करीब 600 से 700 भारतीय युवकों के संपर्क में था। उन युवकों को शफी आइएस के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता था। वो हवाला के जरिए सीरिया से भारत में फंड भेजता था। शफी ने भारत में आइएस के लिए काम करने वाले मुद्दबिर मुस्ताख शेख को 6 लाख रुपए भेजा था। और उसे अमीर की टाइटल से नवाजा था। सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि कुछ गुमराह भारतीय युवक सीरिया जाने में कामयाब भी हो गए। लेकिन कड़ी निगरानी के बाद भारत में आइएस की गतिविधियों पर लगाम लगी है।

गौरतलब है कि अर्मर भाइयों का नाम पहली बार साल 2013 में सुरक्षा एजेंसियों के सामने आया। इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े यासिन भटकल ने पूछताछ में शमी अर्मर और उसके भाई सुल्तान के आइएस से जुड़ने की खबर दी थी।