जानें- क्या है वेस्ट बैंक जिस पर यूएई से समझौते के बाद दावा छोड़ सकता है इजरायल, यूएस का अलग-अलग रहा है रुख
इजरायल और यूएई के बीच में जो ऐतिहासिक समझौता हुआ है उसमें वेस्ट बैंक का मुद्दा बेहद खास है। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपतियों का रुख अलग-अलग रहा है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 15 Aug 2020 08:58 AM (IST)
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए ऐतिहासिक शांति समझौते के बाद राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू वेस्ट बैंक पर अपने कब्जे का इरादा छोड़ सकते हैं। ये समझौता खास भी इसलिए ही है, क्योंकि पिछले कई दशकों से इजरायल का वेस्ट बैंक को लेकर कई देशों से विरोध रहा है। इस क्षेत्र पर इजरायली कब्जे का अमेरिका ने समर्थन किया है। हालांकि, अब जो समझौता हुआ है उसके बाद इजरायल का पीछे हटना इस इलाके के लिए एक बड़ी घटना है। इस समझौते में अमेरिका ने बड़ी भूमिका अदा की है। यहां पर हम आपको उस वेस्ट बैंक के बारे में ही जानकारी दे रहे हैं, जिसको लेकर सबसे अधिक चर्चा हो रही है। एक अनुमान के तौर पर वेस्ट बैंक में करीब 4 लाख इजरायली यहूदी रहते हैं। यहां पर रहने वाले यहूदियों का मानना है कि धार्मिक आधार पर ये क्षेत्र उनके पूर्वजों का है। वहीं, इस क्षेत्र में 24 लाख से अधिक फिलिस्तीनी भी रहते हैं। इसी वजह से इजरायल और फिलीस्तीन में भी कई बार इस क्षेत्र के अधिकार को लेकर तीखी झड़प होती रहती है।
वेस्ट बैंक दरअसल, इजरायल के पूर्व में जॉर्डन सीमा पर स्थित करीब 6,555 वर्ग किमी. का क्षेत्र है। इसके जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर होने की ही वजह से इसे वेस्ट बैंक कहा जाता है। वर्ष 1948 में हुए जब इजरायल और अरब के बीच पहली बार लड़ाई हुई थी उस वक्त जॉर्डन ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था। लेकिन वर्ष 1967 में हुए इजरायल ने इसको छह दिन तक चली लड़ाई के बाद वापस ले लिया था। तब से ही इस क्षेत्र पर इजरायल का अधिकार है। यहां पर उसकी 130 से अधिक स्थाई बस्तियां भी हैं। इसके अलावा भी बीते कई वर्षों में यहां पर दूसरी कई बस्तियां बस चुकी हैं।
हालांकि, दुनिया के अधिकतर देश इजरायल की बस्तियों को सही नहीं मानते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तथा इंटरनेशनल जस्टिस कोर्ट ने भी इसे चौथे जेनेवा कन्वेशन के प्रावधानों का उल्लंघन माना है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के स्थानांतरण को युद्ध अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाता है। वर्ष 1990 में हुई ओस्लो संधि में इजरायल तथा फिलिस्तीन दोनों ने ही आपसी समझौते के माध्यम से इन बस्तियों की स्थिति तय करने का निर्णय लिया, लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन सकी। वर्ष 1967 में इजरायल द्वारा पूर्वी येरुशलम पर कब्जे के बाद ये मुद्दा और अधिक विवादित हो गया था।
वर्ष 1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने वेस्ट बैंक में बसी इजरायली बस्तियों को अवैधानिक माना तथा इनको अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विरुद्ध बताया था। वहीं, 1981 में रोनाल्ड रेगन ने कार्टर के रवैये को गलत बताते हुए वेस्ट बैंक में बसाई इजरायली बस्तियों को वैध बताया था। इतना ही नहीं, अमेरिका ने इसके बाद यूएन में पारित होने वाले हर प्रस्तावों पर इजरायल का साथ दिया था। वर्ष 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका की पूर्व नीति का त्याग कर संयुक्त राष्ट्र में वेस्ट बैंक के मामले पर वीटो करने से इनकार कर दिया था। मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेस्ट बैंक में बनी इजरायली बस्तियों को सही माना और कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करता है।
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