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देश में भी शुरू होगी काले धन के खिलाफ लड़ाई

एक तरफ जहां सरकार विदेश में जमा काले धन को स्वदेश लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, वही संकेत इस बात के

By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Thu, 30 Oct 2014 09:33 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। एक तरफ जहां सरकार विदेश में जमा काले धन को स्वदेश लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, वही संकेत इस बात के हैं कि आने वाले दिनों में देश के भीतर काला धन जमा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को यहां आयकर विभाग के अधिकारियों को कहा कि वह घरेलू काले धन पर भी नजर रखें और काले धन के लिए संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्रों की खास तौर पर निगरानी करें।

यहां केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने घरेलू स्तर पर काला धन जमा करने वालों पर नकेल कसने की सरकार की मंशा का खुलासा किया।

जानकारों का कहना है कि सरकार की तरफ से इस दिशा में आने वाले दिनों में ठोस कदम उठाए जाएंगे। दरअसल, सरकार के पास घरेलू स्तर पर काले धन के उपजाऊ जमीन बने उद्योगों के बारे में पुख्ता जानकारी है।

इस बारे में पूर्व की कई समितियों ने सरकार को ठोस जानकारी उपलब्ध करा दी है। अब आगे की तैयारी की जा रही है कि किस तरह से विभिन्न क्षेत्रों पर नकेल कसी जाए।

वर्ष 2012 में काला धन पर पेश श्वेत-पत्र में भी सरकार ने माना था कि देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां काले धन की फैक्ट्रियां खूब चल रही हैं।

रीयल एस्टेट : देश में काली कमाई को छिपाने का सबसे आसान रास्ता रीयल एस्टेट में हो रहा निवेश ही है। इस क्षेत्र में कई सौदों को कहीं भी दर्ज नहीं किया जाता। स्टांप ड्यूटी की ऊंची दरों के चलते कई सौदे तो बिना लिखत पढ़त ही हो जाते हैं।

सराफा : सराफा और आभूषण बाजार को काले धन को खपाने का सबसे मुफीद ठिकाना माना जाता है। सोने चांदी में निवेश सबसे सुरक्षित भी माना जाता है। इस बाजार में भी होने वाले सौदों की बड़े पैमाने पर लिखत पढ़त नहीं होती। इसे रोकने के लिए कोई ठोस कानून नहीं है। बड़े सौदों में पैन की अनिवार्यता और आयात शुल्क में वृद्धि के अलावा कुछ नहीं किया गया है।

नकद सौदे : नकद में होने वाले सौदे काले धन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। ऐसे सौदों का किसी तरह का ऑडिट नहीं किया जा सकता। लिहाजा किसका पैसा कहां लग रहा है इसे लेकर सरकार के पास कोई जानकारी नहीं होती। हालांकि, ऐसे सौदों की कानूनी रोकथाम मुश्किल है।

वित्तीय बाजार : यहां धन का ट्रांसफर बड़े पैमाने पर होता है। हवाला का बोलबाला है। यह काला धन पैदा करने में बड़ी भूमिका अदा करता है। तमाम उपायों के बावजूद सरकार इस पर नियंत्रण नहीं लगा पा रही है।

शेयर बाजार : वैसे तो शेयर बाजार में हुए सुधारों से काले धन का प्रवेश काफी हद तक रुका है। लेकिन अभी भी ब्रोकर समूह बनाकर ट्रेडिंग करते हैं जिससे काले धन का सृजन होता है।

कंपनी ढांचों का इस्तेमाल : कंपनियां भी काले धन के सृजन में पीछे नहीं हैं। कंपनियां कई तरह से अपना ढांचा इस तरह से बना लेती हैं जिससे कमाई के एक बड़े हिस्से को कर से बचा लिया जाता है।

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