अदालत से ही तय होगा नौसैनिकों का मामला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इटली से साफ-साफ कह दिया कि नौसैनिकों का मामला अदालत में है और अदालत ही इस पर कोई फैसला करेगी। प्रधानमंत्री ने यह बात इटली के पीएम मैटो रेंजी से फोन पर कही। रेंजी ने मोदी को फोन कर नौसैनिकों के मामले के जल्द समाधान का आग्रह किया था।
By Edited By: Updated: Tue, 12 Aug 2014 01:58 AM (IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इटली से साफ-साफ कह दिया कि नौसैनिकों का मामला अदालत में है और अदालत ही इस पर कोई फैसला करेगी। प्रधानमंत्री ने यह बात इटली के पीएम मैटो रेंजी से फोन पर कही। रेंजी ने मोदी को फोन कर नौसैनिकों के मामले के जल्द समाधान का आग्रह किया था।
दिल्ली में जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि इटली के आग्रह पर हुई फोन पर वार्ता के दौरान मोदी ने जोर देकर कहा कि मामले का निष्पक्ष व जल्द निपटारा दोनों पक्षों के हित में होगा। इसमें कहा गया कि रेंजी ने नौसैनिकों के मामले के जल्द निपटारे का आग्रह किया। इस पर मोदी ने उन्हें बताया कि नौसैनिकों की ओर से दायर रिट याचिकाओं के बाद मामला भारत के सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने इटली से न्यायिक प्रक्रिया को अपना कार्य करने देने को कहा। इस संदर्भ में उन्होंने जोर दिया कि भारतीय न्यायपालिका स्वतंत्र व निष्पक्ष है और सरकार को भरोसा है कि फैसले के लिए वह मामले के सभी पहलुओं पर विचार करेगी। गौरतलब है कि इटली के दो नौसैनिकों को 2012 में केरल के तट के नजदीक भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर भारत की अदालत में मुकदमा चल रहा है। दोनों फिलहाल मुकदमे की सुनवाई के लिए नई दिल्ली स्थित इटली के दूतावास में ठहरे हैं। नौसैनिक मैसीमिलानो लातोर व सल्वाटोर गिरोन ने फरवरी 2012 में कथित रूप से दो भारतीय मछुआरों की हत्या की थी। इस घटना के बाद दोनों देशों के कूटनीतिक संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए। नौसैनिकों ने कहा कि उन्होंने समुद्री लुटेरे जानकर गोलियां चलाई, जिसमें दो भारतीय मछुआरों की जान चली गई। भारत ने हालांकि फांसी की संभावनाओं को हटा दिया है, लेकिन नौसैनिकों के खिलाफ समुद्री डकैती-रोधी कानून के तहत मुकदमा चलाने पर अड़ा है। फिलहाल दोषी करार दिए जाने पर उन्हें अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है। रोम का कहना है कि घटना अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में हुई है, लिहाजा नौसैनिकों पर मुकदमा इटली की अदालत में चलाया जाना चाहिए। इटली ने कहा है कि वह मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की भी मदद ले सकता है।