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इटली के नौ सैनिकों से हटा मौत का साया

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के नौ सैनिकों से मौत की सजा के प्रावधान हटा लिए गए हैं। हालांकि इटली ने एंटी पाइरेसी कानून सुआ को लेकर आपत्ति जारी रखी। जिस पर कोर्ट ने मामले को 18 फरवरी को विस्तृत सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया है।

By Edited By: Updated: Mon, 10 Feb 2014 08:51 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के नौ सैनिकों से मौत की सजा के प्रावधान हटा लिए गए हैं। हालांकि इटली ने एंटी पाइरेसी कानून सुआ को लेकर आपत्ति जारी रखी। जिस पर कोर्ट ने मामले को 18 फरवरी को विस्तृत सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया है।

मौत की सजा के प्रावधान हटा लिए जाने के बावजूद इटली का विरोध जारी रहने पर केंद्र सरकार की पैरोकारी कर रहे अटार्नी जनरल ने तल्ख लहजा अख्तियार किया। अटार्नी जनरल ने दो टूक कहा कि इन्होंने दो लोगों की हत्या की है। इन्हें कानूनी प्रक्रिया का तो सामना करना ही पड़ेगा। इसके लिए इन्हें पद्म भूषण व पद्म विभूषण तो दिया नहीं जाएगा।

आरोपी नौसैनिकों और इटली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मुकदमें में देरी का आधार बताते हुए मुकदमा निरस्त करने की मांग की है। इटली ने अर्जी में नौसैनिको पर कांटिनेंटल शेल्फ में समुद्री परिवहन व पोत के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून-2002 [सुआ] लगाने पर भी आपत्ति जताई गई है। इटली का कहना है कि ये कानून तो समूद्री डाकुओं के खिलाफ लगाया जाता है और इसमें मौत की सजा का प्रावधान है।

सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा कि सरकार ने नौसैनिकों पर से सुआ कानून की धारा 3(1)(जी) के आरोप हटा लिए हैं जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है। उन्होंने मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ को संशोधित आरोपों का नोट भी दिया। जिसे देख पर पीठ आइपीसी की धारा 302 में मौत की सजा का प्रावधान होने पर अटार्नी जनरल से सवाल भी किया। लेकिन अटार्नी जनरल ने कहा कि धारा 302 में मौत की सजा तो सिर्फ विरले मामलों में ही दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं इस बारे में दिशानिर्देश तय कर रखे हैं। उधर इटली के नौ सैनिकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुआ लगाए जाने का कड़ा विरोध किया उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा धारा 3(1)(जी) में आरोप वापस ले लेने भर से कुछ नहीं होगा। अंतिम फैसला तो अदालत करती है और अदालत चाहेगी तो उस धारा में भी आरोप तय कर देगी। इसलिए सुआ के आरोप पूरी तरह हटाए जाने चाहिए। कोर्ट ने मामला विस्तृत सुनवाई के लिए मंगलवार को लगाने का निर्देश दिया। हालांकि पीठ ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से मना कर दिया।

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