चीन वीडियो के जरिए फैला रहा झूठ और अब कुछ यूं तैयारी में जुटा भारत
चीन लगातार सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ कर भारत के साथ तनाव को कायम किए हुए है। इसके अलावा वह भारत को घेरने के कुछ और भी हथकंडे अपना रहा है। लिहाजा भारत भी अपनी तैयारी कर रहा है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। भारत-चीन विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। चीन लगातार अपनी भारतीय सीमा में घुसपैठ की कार्रवाई को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है। इसका ताजा मामला 15 अगस्त को लद्दाख में देखने को मिला, जब चीनी सैनिकों ने वहां घुसपैठ की कोशिश की। हालांकि इस घुसपैठ की कोशिश को भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया। इस पूरी घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दोनों तरफ के जवान एक-दूसरे के ऊपर पत्थर फेंकते दिखाई दे रहे हैं। इस घटना में दोनों तरफ के कुछ जवानों के घायल होने की भी खबर है।
पहले भी हुई हैं इस तरह की घटनाएं
हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि जब चीनी सैनिकों की तरफ से इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया हो। इससे पहले बाड़ाहोती समेत डोकलाम में भी चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों से धक्का-मुक्की की थी। हालांकि, चीन की तरफ से ऐसी किसी भी घटना से इंकार किया जाता रहा है, लेकिन इस वीडियो के सामने आने के बाद चीन का दावा झूठा साबित होता दिख रहा है। पत्थरबाजी की इस घटना के बाद सोमवार 21 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत लद्दाख में हैं। राष्ट्रपति लद्दाख स्कॉउटस रेजिमेंटल सेंटर एवं रेजिमेंट की पांच बटालियनों को राष्ट्रपति के ध्वज प्रदान करेंगे। इस कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी शिरकत की है।
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भारत को सतर्क रहने की जरूरत
भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व मेजर जनरल पीके सहगल युद्ध की संभावना को दरकिनार करते हैं। उनका साफतौर पर कहना है कि चीन जो भी कवायद कर रहा है वह केवल भारत पर दबाव बनाने की प्रक्रिया के फलस्वरूप है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन की धमकियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लिहाजा भारत को सतर्क रहने की जरूरत है।
इस बीच चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने डोकलाम विवाद पर एक नया वीडियो जारी करके भारत से शांति बनाए रखने की बात कही है। इस वीडियो में एक चीनी महिला सिक्किम में सीमा विवाद पर भारत का मजाक उड़ाते हुए दिखाई दे रही है। इसमें चीनी इलाके में भारतीय सेना द्वारा की गई घुसपैठ का भी झूठ धड़ल्ले से फैलाया जा रहा है। इसमें कहा गया है 18 जून को भारतीय सेना दो बुलडोजर और हथियारों समेत सिक्किम सेक्टर को क्रॉस करके चीनी क्षेत्र में दाखिल हो गई। इसके बाद सैनिकों ने चीन द्वारा बनाई जा रही सड़क के काम में रुकावट डाली।
Will #BRICS shine more brightly in the future? Watch our latest #TalkIndia program for more pic.twitter.com/t7uqJPktS5
— China Xinhua News (@XHNews) 21 August 2017
भारतीय सेना को वापस बुलाने की अपील
वीडियो में यह भी कहा गया है कि ये मामला भारत की ओर से रणनीतिक विश्वास में कमी को दिखाता है। इससे भारत के ही हितों को नुकसान हो सकता है। इस वीडियो में ये भी कहा गया है चीन और भारत दुनिया की दो सबसे पुरानी सभ्यताएं हैं। दोनों की शानदार संस्कृतियां हैं। इसलिए भारत को तुरंत अपनी सेनाओं को चीनी सीमा से वापस बुला लेना चाहिए और भविष्य में होने वाले किसी गलत फैसले को लेकर सावधान रहना चाहिए।
तिब्बत में चीनी सैनिकों की 30 डिवीजन
तिब्बत में चीनी सेना की करीब 30 डिवीजन मौजूद हैं, जिसमें हर डिवीजन में करीब 15 हजार जवान हैं। इसमें करीब 5-6 रेपिड रिएक्शन फोर्स भी शामिल है। गौरतलब है कि भारत की चीन से करीब 4057 किमी की सीमा लगती है। हालांकि इस सीमा पर भारत की तरफ से एयरबेस के साथ-साथ सेना की कई डिवीजन भी तैनात हैं लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से हालात पूरी तरह से हमारे हक में नहीं हैं।
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नेपाल में सबसे बड़ा निवेशक
भारत को घेरने की कवायद के तहत चीन हमारे पड़ोसी देशों को आर्थिक मदद देने का लालच दिखाकर अपनी तरफ लाने की कवायद कर रहा है। ऐसा करके वह भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ा रहा है। पाकिस्तान में बड़ा निवेश कर चीन पहले ही उसे अपना बेस्ट फ्रेंड बना चुका है। इसी रणनीति के तहत चीन अब नेपाल को आर्थिक मदद दे रहा है। इसी के तहत अब चीन नेपाल में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बन गया है। 3 साल पहले ही नेपाल में सबसे बड़े निवेशक के रूप में चीन ने भारत को पछाड़ दिया था। 2017 में नेपाल में चीन ने 8.35 अरब नेपाली रुपये का निवेश किया है। इस दौरान भारत ने नेपाल में 1.99 अरब और दक्षिण कोरिया ने 1.88 अरब का निवेश किया। इसी साल मार्च में नेपाल में हुई इनवेस्टमेंट समिट में नेपाल को 7 देशों से कुल 13.52 अरब डॉलर का निवेश मिला।
मिसाइल प्रणाली से लैस होंगे टी 90 टैंक:
सेना अपनी मारक क्षमताएं बढ़ाने के प्रयासों के तौर पर अपने टी-90 मुख्य युद्धक टैंकों को तीसरी पीढ़ी को मिसाइल प्रणाली से लैस कर उन्हें और सक्षम बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। सेना के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा समय में टी-90 टैंक लेजर निर्देशित INVAR मिसाइल प्रणाली से लैस हैं और सेना ने उसके स्थान पर तीसरी पीढ़ी की मिसाइलों को लगाने का फैसला लिया है। रूस निर्मित टी-90 टैंक भारतीय सेना के आक्रामक हथियारों का मुख्य आधार है। तीसरी पीढ़ी की मिसाइल से लैस होने के बाद वह दिन के साथ-साथ रात में भी 8 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम होगी। ये मिसाइलें स्थिर लक्ष्यों के साथ-साथ गतिशील लक्ष्यों को भेदने में भी सक्षम होंगी। सेना टी-90 टैंकों के लिए मॉड्यूलर इंजन भी लगाएगी ताकि ऊंचाई पर हमला करने की उसकी क्षमताएं बढ़ सकें।
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पुल से जुड़े नेपाल-उत्तराखंड :
1814-16 में हुए एंग्लो-नेपाली युद्ध के समय ही भारत-नेपाल के बीच इस धारचुला को लेकर संधि अस्तित्व में आ गई थी। नेपाल की काली नदी पर बने ब्रिज से नेपाल और भारत में उत्तराखंड राज्य एक-दूसरे से जुड़े हैं।
सीमा पर सड़क बनाने में तेजी
चीन से गहराते तनाव के बीच सरकार ने सीमाओं पर सड़कें बनाने के काम में तेजी लाने का फैसला किया है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार बढ़ा दिए हैं। रक्षा मंत्रालय के तहत बीआरओ 2015 से सीमावर्ती इलाकों में दुर्गम जगहों को सड़क से जोड़ने के काम में जुटा है। इन सड़कों की कुल लंबाई 3,409 किलोमीटर है। मंत्रालय ने फैसला किया है कि वह सशस्त्र बलों के साथ मिलकर बीआरओ के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्लान तैयार करेगा। डिटेल प्रॉजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर काम होगा। इसके साथ ही जिम्मेदारी तय करने के लिए काम की प्रगति पर ऑनलाइन नजर रखी जाएगी।
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सरकार की रिपोर्ट में सीमावर्ती सड़कों के हालसीमावर्ती सड़कों की हालत खराब होने की रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार की तरफ से यह अहम फैसला लिया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कई प्रॉजेक्ट काफी लेट हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत-चीन सीमा के पास जिन 73 सड़कों की पहचान की गई थी, उनमें से सिर्फ 27 का काम पूरा हो पाया है, जबकि बाकी सड़कों का काम 2022 तक पूरा होगा। पहले इनके 2012 तक पूरा होने का अनुमान था। इन 73 में से 61 सड़कों को बनाने का जिम्मा बीआरओ को मिला है। मंत्रालय को उम्मीद है कि अधिकार बढ़ाने से काम में तेजी आएगी। इन सड़कों की लंबाई कुल 3409 किमी है। सीमावर्ती सड़कों को बनाने की मंजूरी पहले 1999 और फिर 2006 में दी गई थी, लेकिन इनकी प्रोग्रेस काफी धीमी रही है। इसको लेकर सेना प्रमुख ने भी काफी नाराजगी जताई है।
रेल
सीमावर्ती इलाकों में एक तरफ जहां चीन ने 9 और पाकिस्तान ने 5 रेलवे लाइन बिछाने की कवायद की है वहीं भारत के रक्षा मंत्रालय ने 2010 में इस तरह की 14 रेलवे लाइन बिछाने की बात की थी, इसके अलावा सेना ने उत्तर-पूर्वी इलाकों में करीब तीन और जम्मू-कश्मीर में एक रेलवे लाइन की पहचान की थी। लेकिन सरकार आज तक केवल चार को मंजूरी दे पायी है।
एयर
सीमावर्ती इलाकों में स्थित एयरबेस को एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड में तब्दील करना। इस पर सरकार की तरफ से जरूर आगे बढ़ा गया है। लद्दाख में तीन जगह और अरुणाचल प्रदेश में पांच जगहों पर इसको लेकर काम अपने अंतिम चरण में हैं। इसके अलावा लद्दाख में 3500 करोड़ की लागत से एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड बनाने की प्लानिंग अभी पाइपलाइन में है।
रूस के साथ डोकलाम पर बातचीत
ब्रिक्स की तैयारी को लेकर हो रही बैठक में भारत ने रूस के समकक्षों से बात की और डोकलाम, भूटान मुद्दे पर भारत का पक्ष रखा है। भारत ने इस बैठक में साफ किया है कि चीन के गलत रुख की वजह से यह विवाद बढ़ा है। गौरतलब है कि 3 से 5 सितंबर के बीच चीन के जियामेन में ब्रिक्स की बैठक होनी है। रूस इस बात को लेकर काफी आशांवित है कि यह बैठक डोकलाम में चल रहे विवाद को कम करने में अहम भूमिका निभाएगी।