Move to Jagran APP

चुंबी वैली में सैकड़ों की संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती, आखिर क्या है मंशा

डोकलाम विवाद के बाद अब चीन ने चुंबी वैली में अपने लगभग एक हजार सैनिकों की तैनाती की है। इसको लेकर कई तरह के सवाल मन में आने लाजमी है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 07 Oct 2017 10:03 AM (IST)
चुंबी वैली में सैकड़ों की संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती, आखिर क्या है मंशा

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। चुंबी वैली में चीनी सैनिकों की मौजूदगी ने एक बार फिर से देश के आम लोगों को चौंका दिया है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि जून से अगस्‍त के बीच में भारत और चीन के बीच करीब 73 दिनों तक डोकलाम को लेकर विवाद गहराया हुआ था। हालांकि बाद में चीन ने इससे कदम वापस खींच लिए थे। लेकिन पहली बारगी एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के उस बयान से आम आदमी को चिंतित होना स्‍वाभाविक है जिसमें कहा गया था कि चुंबी वैली में चीन ने अपने करीब एक हजार जवानों को तैनात किया है। हालांकि एयर चीफ मार्शल ने इस चिंता को दरकिनार करते हुए साफतौर पर कहा है कि भारतीय फौज देश की सीमाओं की हिफाजत करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्‍होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर भारतीय वायुसेना किसी भी स्थिति से निपटने को पूरी तरह से तैयार है।

विवादित इलाके से दस किमी दूर तैनात हैं चीनी सैनिक

इस पूरे मामले पर Jagran.Com से बात करते हुए पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल राज काद्यान ने बताया कि इस बार चीन ने अपनी सेना के जवानों को विवादित डोकलाम इलाके से करीब दस किमी दूर तैनात किया है। यह इलाका तिब्‍बत में आता है जिस पर चीन का नियंत्रण है। उन्‍होंने बातचीत के दौरान यह भी बताया कि चीनी सैनिक इस इलाके में पहले कभी भी सर्दियों में तैनात नहीं रहते थे। चीनी सैनिकों की तैनाती से भारत को  चिंतित होने की  जरूरत नहीं है। उन्‍होंने कहा कि डोकलाम इलाके में भारतीय फौज की तैनाती पूरे वर्ष बनी रहती है। वहीं चुंबी वैली जहां पर चीनी सैनिक तैनात है वह एक ऐसा इलाका है जहां पर यदि चीनी सैनिक रहते भी हैं तो उनका कम्‍यूनिकेशन लगभग नामुमकिन है।

यह भी पढ़ें: अमेरिका-उत्तर कोरिया के युद्ध में सियोल-टोक्योे में ही मारे जाएंगे 20 लाख लोग

डोकलाम के सुदूर दक्षिण में भारतीय सेना की पोस्‍ट

चुंबी वैली के डोकलाम इलाके के पश्चिम में जहां भारत है वहीं पूर्व में भूटान लगता है। यहां पर तीनों देश आपस में मिलते हैं इसलिए ही इसको ट्राई जंकशन भी कहा जाता है। डोकलाम के सुदूर दक्षिण में भारतीय सेना की पोस्‍ट है। एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के बयान से संबंधित सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि चुंबी वैली को लेकर उनका दिया गया बयान दरअसल एक सवाल का जवाब था। उन्‍होंने यह भी कहा कि किसी भी सैन्‍य प्रमुख के लिए अपने देश की जनता को यह बताना बेहद जरूरी होता है कि किसी भी तरह की कमी के बावजूद वह अपने देश की रक्षा करने में सक्षम हैं।

भारत से नाराजगी की उपज था डोकलाम विवाद

पूर्व में हुए डोकलाम विवाद का जिक्र करते हुए जनरल काद्यान ने माना कि यह विवाद वास्‍तव में चीन की उस उपज का नतीजा था जिसमें वह पाकिस्‍तान के साथ बन रहे आर्थिक गलियारे और ओबीओआर में भारत के शामिल न होने से नाराज था। यह विवाद चीन ने भारत को सबक सिखाने के मकसद से ही खड़ा किया था। यहां पर यह बात समझने वाली है कि चीन और पाकिस्‍तान के बीच बन रहा आर्थिक गलियारा भारत के जम्‍मू कश्‍मीर के उस इलाके से गुजरता है जिस पर पाकिस्‍तान ने अवैध रूप से कब्‍जा कर रखा है। भारत ने कई मौकों पर इसका विरोध भी किया है। उन्‍होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे को सुलझाना चीन के लिए इसलिए भी जरूरी था क्‍योंकि उस दौरान ब्रिक्‍स सम्‍मेलन होना था और यदि इसमें भारत शामिल नहीं होता तो चीन को काफी फजीहत झेलनी पड़ती।

 

यह भी पढ़ें: इन वजहों से पाकिस्तान बन जाएगा और खतरनाक, पूरी दुनिया के लिए बन सकता है सिरदर्द 

सामरिक दृष्टि से अहम है डोकलाम

डोकलाम वह इलाका है जिस पर भूटान और चीन दोनों ही देश अपना-अपना दावा करते आए हैं। वहीं भारत इस संबंध में भूटान का साथ देता आया है। जून में पनपे इस विवाद के दौरान भारतीय सैनिकों ने सिक्किम में सीमा पार कर चीनी सड़क निर्माण का काम रोक दिया था। यह सड़क भारत के लिए भू-सामरिक दृष्टिकोण 'चिकन नेक' के इलाके में की जा रही थी जो भारत को उत्तर-पूर्वी राज्‍यों से जोड़ता है। उस वक्‍त जापान समेत अमेरिका ने भी भारत के कथन को सही करार दिया था। इस मुद्दे पर विवाद गहराने और भारत को अन्‍य देशों के मिल रहे समर्थन के बाद चीन पर जो दबाव बना उसके बाद चीन ने विवादित इलाके से अपने बुल्‍डोजर और अन्‍य सामान को हटा लिया था। चीन के अधिकारियों का कहना था कि सड़क निर्माण का काम मौसम के हालात पर निर्भर करेगा।

यह भी पढ़ें: जंग छिड़ी तो महज 24 घंटों में सियोल को तबाह कर देगा उत्तर कोरिया 

मसला सुलझने की उम्‍मीद

दैनिक जागरण के वरिष्‍ठ पत्रकार संजय मिश्रा का भी कहना है कि इस इलाके में चीनी सैनिक सर्दियों में तैनात नहीं रहते हैं। उनका कहना था कि हर वर्ष चीनी सैनिकों को इस इलाके में ट्रेनिंग के लिए लाया जाता है। वह यहां पर सर्दियों के आने तक रहते हैं और फिर यहां से चले जाते हैं। उन्‍होंने यह भी उम्‍मीद जताई है कि वह कुछ समय में यहां से चले जाएंगे। लेकिन उन्‍होने यह भी माना कि इस सीमावर्ती इलाके में कम से कम सैनिकों की तैनाती एक मुद्दा जरूर होती है जिसके लिहाज से चीनी सैनिकों की तादाद कहीं अधिक है। लिहाजा तनाव तो है। मिश्र ने उम्‍मीद जताई है कि जिस तरह से डोकलाम का मुद्दा भारत ने सफलतापूर्वक सुलझाया है उसी तरह से यह मसला भी सुलझ जाएगा।

यह भी पढ़ें: पूरी तैयारी के बाद भी उत्तर कोरिया पर हमला करने से पीछे हट गए थे US प्रेजीडेंट 

यह भी पढ़ें: ट्रंप की एशिया यात्रा में छिपा है किम समेत चीन के लिए भी साफ मैसेज! जानें कैसे