जानें, वो भारतीय रक्षा सिद्धांत जिसकी वजह से पाक हुक्मरानों में है बेचैनी
अंदरूनी समस्याओं से घिरे पाकिस्तान के हुक्मरानों को लगता है कि भारत विरोध के जरिए ही पाकिस्तान की राजनीति में अपने आपको प्रासंगिक रख सकते हैं।
नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]। सत्तर साल पहले भारत के मानचित्र पर अंग्रेजों ने एक लकीर खींची और पाकिस्तान का उदय हुआ। पिछले सत्तर साल के इतिहास को देखें तो पाकिस्तान अपने जन्म से लेकर आज तक भारत के खिलाफ चार सीधी लड़ाई लड़ चुका है और पिछले करीब तीन दशक से छद्म युद्ध लड़ रहा है। पाकिस्तान के हुक्मरानों को ये लगता है कि उनके लिए अशिक्षा, बेरोजगारी बड़ी चुनौती नहीं हैं, बल्कि भारत उनका सबसे बड़ा दुश्मन है। नवाज शरीफ के उत्तराधिकारी शाहिद खकान अब्बासी ने अपने परमाणु हथियारों को लेकर दलील दी है। उन्होंने कहा कि भारत के कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत का जवाब देने के लिए पाकिस्तान के सामने परमाणु हथियारों का कोई विकल्प नहीं था।
पाकिस्तान ने भारत की तरफ से किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए परमाणु हथियारों का विकास किया। लेकिन भारत पहले से ही कहता रहा है कि वो किसी संप्रभु राष्ट्र को अस्थिर करने का इरादा नहीं रखता है। पाकिस्तान के हुक्मरान अपनी जनता की परेशानियों को दूर करने की जगह भारत के खिलाफ एकसूत्रीय एजेंडे पर काम करते हैं। लेकिन सबसे पहले ये जानने की जरूरत है कि पाकिस्तान जिस कोल्ट स्टार्ट सिद्धांत की बात करता है वो है क्या ?
क्या है कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत?
कोल्ड स्टार्ट एक सैन्य सिद्धांत है, जिसे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ संभावित युद्ध को ध्यान में रखकर तैयार किया है। कोल्ड स्टार्ट के अनुसार आदेश मिलने के महज 48 घंटों के भीतर हमला शुरू किया जा सकता है। इतने कम समय में हमला करने से भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को आश्चर्यचकित कर देगी। इस पद्धति में भारतीय सेना के अलग-अलग हिस्सों को एकीकृत करने पर जोर दिया गया है। इस तरह का अभियान पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में होगा।
कोल्ड स्टार्ट का सिद्धांत पाक द्वारा परमाणु हमले को रोकना है। इस योजना का मुख्य मकसद शत्रु देश पर जोरदार ढंग से हमला करना है। इसमें बख्तरबंद वाहन और तोपखाना पाकिस्तान के इलाकों में कम से कम समय में प्रवेश कराना है। कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत को पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेनाओं को कुछ हफ्तों तक एक स्थान पर केवल कुछ दिनों तक तैनाती के लिए बनाया गया था। इसका परीक्षण अभी युद्ध में किया जाना बाकी है। इसका उद्देश्य तत्काल लामबंदी और त्वरित हमले से पाकिस्तान आश्चर्यचकित रह जाएगा। इससे पाकिस्तानी प्रतिक्रिया से पहले ही भारत अपने मकसद को हासिल कर सकेगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा युद्ध रोकने से पहले ही भारत अपने उद्देश्यों को हासिल कर सकेगा।
ऐसा कहा जाता है कि सेना लंबे समय से एक सैन्य सिद्धांत पर काम कर रही थी। संसद भवन पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सेनाओं की तैनाती के दौरान कुछ खामियां नजर आई थीं। इनको दूर करने के लिए कई तरह की तैयारियां की गई। इसके बाद सेना के आधुनिकीकरण को लेकर कई कार्यक्रम शुरू किए गए। लेकिन सेना की आक्रमण क्षमता में वृद्धि के लिए नए हथियारों को हासिल करने में विलंब हुआ।
जानकार की रायरक्षा मामलों के जानकार पी के सहगल ने Jagran.Com से खास बातचीत में कहा कि पाकिस्तान की ये आदत बन चुकी है कि वो अपनी अंदरूनी दिक्कतों के लिए भारत को जिम्मेदार बताता है। जहां तक कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत की बात है तो भारत पहले भी साफ कर चुका है कि वो किसी देश के खिलाफ कभी युद्ध नहीं छेड़ेगा।लेकिन अगर भारत की सुरक्षा को लेकर खतरा होगा तो वो मुुंहतोड़ जवाब देगा। पाकिस्तान में जियाउल हक के जमाने से ही पाक फौज आतंकी विचारों से प्रभावित हो चुकी थी। जिया उल हक के जमाने में सेना में शामिल अफसर अब बड़े ओहदों पर हैं, जो आतंकियों से सहानुभूति रखते हैं, ऐसे में पाक के परमाणु हथियार आतंकी संगठनों के हाथों में जा सकते हैं, जिससे न केवल भारत बल्कि दुनिया भी प्रभावित होगी।
अब्बासी ने एक सवाल के जवाब में एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक से कहा कि परमाणु संपत्ति पर हमारे पास एक बहुत ही मजबूत, सुरक्षित कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम है। समय ने यह साबित किया है कि यह बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया है। यह न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (एनसीए) की निगरानी में पूरी हुई है। पाकिस्तान की यह अथॉरिटी देश के परमाणु हथियारों से संबंधित कमांड, कंट्रोल और ऑपरेशनल फैसलों के लिए उत्तरदायी है।
अब्बासी ने जोर देते हुए कहा कि पूरी दुनिया में परमाणु मामलों में हमारा कमांड एंंड कंट्रोल सबसे ज्यादा सुरक्षित है। इसलिए इस बात की कोई गुंजाइश नहीं है कि किसी आतंकी संगठन या आतंकी द्वारा इस शक्ति का दुरुपयोग किया जा सकेगा।
मॉडरेटर डेविड सेंगर ने कहा कि पाकिस्तान दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होने वाली परमाणु शक्ति है। दुनिया में कोई ऐसी शक्ति नहीं है, जो पाकिस्तान की तरह परमाणु मामलों में इतनी तेजी के साथ विकसित हुई हो। सेंगर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के अलावा उत्तर कोरिया तेजी से परमाणु मामले में आगे बढ़ रहा है, जिसने अमेरिका की चिंता ज्यादा बढ़ा दी है, क्योंकि वे हथियार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। वे हथियार के कमांड और कंट्रोल को लेकर परेशान हैं।
'भारत का कोई कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत नहीं'पाकिस्तान से युद्ध ही सिर्फ भारत की समस्या नहीं है बल्कि चीन एक दूसरा मोर्चा खोल देगा। दोनों मोर्चों पर एक अलग तरह का खेल होगा, हालांकि दो मोर्चों पर युद्ध की रणनीति सिद्धांत रूप में आनी बाकी है। ऐसा माना जा रहा है कि संभावित दो मोर्चों पर युद्ध की रणनीति पर काम जारी है। चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सहयोग को देखते हुए यह संभव है कि भारत को दो मोर्चों पर युद्ध का सामना करना पड़े। भारत सिर्फ पाकिस्तान को ध्यान में रखकर कोल्ड स्टार्ट का सिद्धांत नहीं लागू कर सकता है।
लेकिन जिस समय ये खबरें आ रही थीं कि पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत पर काम कर रहा है उस वक्त तत्कालीन सेना प्रमुख वीके सिंह ने कहा था कि इस तरह के किसी सिद्धांत पर भारत काम नहीं कर रहा है। दरअसल गोपनीय अमेरिका दस्तावेजों में अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर ने भारतीय सेना के पाक सेना के खिलाफ रवैये का विश्लेषण किया था और इन दस्तावेजों का विकीलिक्स ने खुलासा कर दिया था। लेकिन तत्कालीन सेना प्रमुख ने कहा था कि भारतीय फौज में न तो कोल्ड स्टार्ट जैसा कोई सिद्धांत है न तो कोई चीज है।अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर ने भारतीय सेना को धीमा और बेकार भी बताया था।
पूरी दुनिया में हथियारों को जमा करने की एक तरह से होड़ सी मची हुई है। हथियारों की इस होड़ में सभी देश एक-दूसरे से आगे निकल जाना चाहते हैं। हैरानी की बात ये है कि जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर फेंके गए परमाणु बम की भयावहत को देखने के बावजूद आज सभी देश इसे अपनी सुरक्षा के लिए बेहद अहम मान रहे हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियारों का जखीरा अगर किसी के पास है तो वह है रूस। जिसके बाद नंबर आता है अमेरिका का। आईये आपको बताते है कि किसके पास कितने परमाणु हथियारों का जखीरा है। साल 2017 के अनुसार जिन देशों के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियारों का जखीरा है वो हैं-
पाक का परमाणु जखीरा हितों के लिए खतरा
एक अमेरिकी थिंक टैंक के विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तान के पास फिलहाल 120 परमाणु हथियार हैं और उसका परमाणु हथियारों का बढ़ता जखीरा अमेरिकी हितों के लिए 'गंभीर खतरा' है। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में परमाणु नीति कार्यक्रम के सह-निदेशक टोबी डाल्टन ने पाकिस्तान पर कांग्रेशनल सुनवाई के दौरान सीनेट की विदेशी संबंध समिति के सदस्यों को बताया, 'पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु क्षमता और खौफ पैदा करने का उसका व्यापक होता इरादा अमेरिका के उन हितों के लिए गंभीर चुनौती है, जिसके तहत अमेरिका परमाणु विस्फोट को रोकना चाहता है और परमाणु हथियारों और सामग्री की मजबूत सुरक्षा बनाए रखना चाहता है'।
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