इस बम का एक धमाका कर सकता है कई शहरों को खत्म!
हाइड्रोजन बम परमाणु बम की तुलना में एक हजार गुणा अधिक शक्तिशाली होता है। अभी तक महज पांच देशों के पास ही इस तरह के बम हैं, अब उत्तर कोरिया ने इस बम का परीक्षण किया है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अमेरिका, जापान और चीन समेत पूरी दुनिया की हिदायतों को खारिज करते हुए रविवार को छठा परमाणु परीक्षण कर यह जता दिया है कि वह किसी से डरने वालों में से नहीं है। उत्तर कोरिया ने रविवार को अपने सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया, जिसके बाद रूस, जापान, चीन और दक्षिण कोरिया तक में भूकंप के झटके महसूस किए गए। आपको यहां पर बता दें कि हाइड्रोजन बम की ताकत परमाणु बम से करीब हजार गुणा अधिक होती है और यह उससे ज्यादा संहारक भी है। आपको बता दें कि दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर दो एटम बम गिराए थे, जिससे वहां पर करीब 1,85,000 लोगों की मौत हो गई थी।
कई देशों ने की परीक्षण की आलोचना
विभिन्न देशों ने उत्तर कोरिया के इस परीक्षण की कड़ी आलोचना की है। इसके अलावा दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध और कड़े करने की भी अपील अमेरिका से की है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात कर उत्तर कोरिया को तेल आपूर्ति रोकने को कहा है। भारत ने इसे शांति के लिए बड़ा खतरा बताया है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उत्तर कोरिया पर यूरोपीय यूनियन द्वारा नए प्रतिबंध लगाने की जरूरत बताई है। सबसे बड़े सहयोगी चीन ने उत्तर कोरिया से फौरन वार्ता के लिए आगे आने को कहा। रूस ने संबद्ध पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। उत्तर कोरिया के इस परीक्षण से न सिर्फ उसके करीबी देश, बल्कि पूरी दुनिया सन्न है।
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सिर्फ पांच देशों के पास है हाइड्रोजन बम
यहां पर आपको यह भी बता देना जरूरी होगा कि विश्व के केवल पांच देशों के पास ही अब तक हाइड्रोजन बम हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन का नाम शामिल है। अब इन देशों की फेहरिस्त में उत्तर कोरिया का नाम भी शामिल हो रहा है। हालांकि अमेरिका ने इस बात को मानने से इंकार किया है कि उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इस परीक्षण के बाद अमेरिका भी कहीं न कहीं सिहर उठा है।
आईसीबीएम के लिए बनाया हाइड्रोजन बम
उत्तर कोरिया ने यह परीक्षण अपनी अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल ह्वासोंग-14 के लिए किया है। इस बम को इसमें ही लगाया जाना है। हाइड्रोजन बम की एक बड़ी खासियत यह भी होती है कि यह आकार में परमाणु बम की तुलना में छोटा होता है, लेकिन तबाही में उससे कहीं अधिक होता है। कूटनीतिक और रक्षा मामलों के जानकार इसे गंभीर मसला मान रहे हैं। वे अब उत्तर कोरिया को वैश्विक समुदाय से एकदम अलग-थलग करना ही एकमात्र रास्ता बता रहे हैं।
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क्या होता है हाइड्रोजन बम
दरअसल, हाइड्रोजन बम एक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस है, जिसमें हमारे सूरज की तरह फ्यूजन रिएक्शन से भयंकर ऊर्जा निकलती है। इस फ्यूजन रिएक्शन को शुरू करने के लिए 5 करोड़ डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की जरूरत होती है, जिसे फिशन डिवाइस से पैदा किया जाता है, जिसे आमतौर पर छोटे एटम बम से करते हैं। हाइड्रोजन बम शक्तिशाली परमाणु बम है। इस में हाइड्रोजन के आइसोटोप ड्यूटीरियम और ट्राइटीरियम की आवश्यकता पड़ती है। परमाणुओं का फ्यूजन करने से इस बम में विस्फोट होता है। जब परमाणु बम आवश्यक उर्जा उत्पन्न करता है तभी हाइड्रोजन परमाणु रिलीज होते हैं। इस फ्यूजन से ऊष्मा और शक्तिशाली किरणें उत्पन्न होती हैं जो हाइड्रोजन को हीलियम में बदल देती हैं। हाइड्रोजन बम के लिए क्योंकि हाइड्रोजन परमाणु का इस्तेमाल होता है इसलिए इसे हाइड्रोजन एक्स्प्लोजन भी कहते हैं। इससे बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और हानिकारण विकिरण पैदा होते हैं जो बेहद खतरनाक होते हैं। जहां पर यह विस्फोट किया जाता है वहां पर जीवन की सम्भावनाएं न के ही बराबर होती हैं।
1922 में सबसे पहले चला था पता
1922 में सबसे पहले यह पता चला था कि हाइड्रोजन परमाणु के विस्फोट से बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है। 1932 में ड्यूटीरियम और 1934 में ट्राइटीरियम नामक भारी हाइड्रोजन का आविष्कार हुआ। 1950 में संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रू मैन ने हाइड्रोजन बम तैयार करने का आदेश दिया था। इसके लिए 1951 में साउथ कैरोलिना में एक बड़े कारखाने की स्थापना की गई। हाइड्रोजन बम का पहला परीक्षण अमेरिका ने 1952 में किया था। 1953 में राष्ट्रपति आइजेनहाबर ने घोषणा की थी कि उन का हाइड्रोजन बम तैयार हो गया है। इसके बाद 1955 में सोवियत संघ ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया, फिर चीन और फ्रांस ने भी इस का परीक्षण किया।
उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण
पहला (नौ अक्टूबर, 2006): उत्तर कोरिया ने पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया। इससे एक किलोटन से कम विस्फोटक ऊर्जा उत्पन्न होने के साथ 4.3 तीव्रता का भूकंप आया।
दूसरा (25 मई, 2009): इस परीक्षण में 2.35 किलोटन की विस्फोटक ऊर्जा निकली और 4.7 तीव्रता का भूकंप आया।
तीसरा (12 फरवरी, 2013): तीसरे परीक्षण में 16 किलोटन विस्फोटक ऊर्जा निकलने का आकलन हुआ था इससे 5.1 तीव्रता का भूकंप आया।
चौथा (6 जनवरी, 2016): इस परीक्षण से 15.5 किलोटन विस्फोटक ऊर्जा निकली। इसे हाइड्रोजन बम बताया गया था और इससे भी 5.1 तीव्रता का भूकंप आया था।
पांचवां (9 सितंबर, 2016): इस परीक्षण में 30 किलोटन तक विस्फोटक ऊर्जा उत्पन्न होने का दावा किया गया था। इससे 5.3 तीव्रता का भूकंप आया था।
ऐसे चला मिसाइल कार्यक्रम
1987-92 : स्कड-सी (मारक क्षमता 500 किमी) जैसी मिसाइल, नोडोंग-1 (1300 किमी) ताइपोडोंग-1 (2,500 किमी), मुसुदन-1 (3,000 किमी) और ताइपोडोंग-2 (6,700 किमी) का निर्माण शुरू।
1998 : जापान के ऊपर से ताइपोडोंग-1 का परीक्षण।
5 जुलाई, 2009 : लंबी दूरी की ताइपोडोंग-2 का जापान के ऊपर से परीक्षण।
9 मार्च, 2016 : थर्मो न्यूक्लियर वारहेड को लघु रूप में निर्मित किए जाने की घोषणा।
23 अप्रैल, 2016 : पनडुब्बी से मिसाइल परीक्षण।
8 जुलाई, 2016 : अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम थाड लगाने की घोषणा की।
3 अगस्त, 2016 : जापान के समुद्री क्षेत्र में पहली बार सीधी बैलिस्टिक मिसाइल दागी।
7 मार्च, 2017 : द. कोरिया में थाड लगाना शुरू।
14 मई, 2017 : जापानी समुद्री क्षेत्र में ह्वासोंग-12 मिसाइल गिराई। इसने सात सौ किमी दूरी तय की।
4 जुलाई, 2017 : ह्वासोंग-14 आइसीबीएम दागी। अमेरिका के अलास्का तक पहुंच का दावा।
28 जुलाई, 2017 : दस हजार किमी की दूरी तक मार करने वाली केएन-14 आइसीबीएम का परीक्षण।
29 अगस्त, 2017 : ह्वासोंग-12 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण। यह जापान के ऊपर से गुजरी।
उत्तर कोरियाई मिसाइलों की रेंज
उन्नत ताइपोडोंग-2 | 10,000 किमी |
केएन-08/14 | 6,000 +किमी |
मुसुदन | 4,000 किमी |
नोडोंग | 1,300 किमी |
स्कड ईआर |
1,000 किमी |
टोक्सा | 120 किमी |
प्योंगयांग (उत्तर कोरिया) से इन शहरों की दूरी
बीजिंग | 1,000 किमी |
टोक्यो | 1,000 किमी |
सिंगापुर | 1,500 किमी |
हवाई | 1,0000 किमी |
सैन फ्रांसिस्को | 4,000 किमी |
सिडनी | 6,000 किमी |