इस किसान ने छोटी सी जमीन पर किया कुछ ऐसा, कमा रहे एक-डेढ़ लाख महीना
सोलन के नंद किशोर शिमला मिर्च और टमाटर के उत्पादन से सालाना कमा रहे 12 से 15 लाख रुपये, ढाई बीघे की जमीन में पॉलीहाउस बनाकर उगाई फसल, इंटरनेट से की मार्केटिंग।
सुनील शर्मा, सोलन। मिट्टी सोना उगल सकती है। बस जरूरत है जज्बे, कड़ी मेहनत और लगन की। इसे साबित कर दिखाया है सोलन जिले के मतीबल गांव के प्रगतिशील किसान नंद किशोर शर्मा ने, जिन्होंने खेतीबाड़ी से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि और लोगों को भी प्रेरित किया। सोलन को देशभर में सिटी ऑफ रेड गोल्ड (टमाटर) का ताज मिला है तो इसमें नंद किशोर जैसे प्रगतिशील सोच वाले किसानों की बड़ी भूमिका है।
हिमाचल के सोलन के पिछड़े क्षेत्र में रहने के बावजूद नंद किशोर ने सिंचाई सुविधा न होने के बाद भी दो साल पहले टमाटर व शिमला मिर्च का उत्पादन शुरू किया। जमीन के छोटे से हिस्से में पॉलीहाउस बनाकर उन्होंने प्रयोग किया और सफलता पाई। उनके प्रयोग की सफलता ने गांव के अन्य लोगों के लिए राह खोल दी। अब गांव में कई लोग शिमला मिर्च व टमाटर की खेती करने लगे हैं। सब्जी उत्पादन के साथ वह लोगों से उसे लगाने के तरीके और अन्य जानकारी भी साझा करते हैं, जिससे ग्रामीण अच्छी फसल पा सकें। नंद किशोर फसल की ग्रेडिंग और पैकिंग तो खुद करते ही हैं, आसपास के गांवों के लोगों की इस काम में मदद भी करते हैं।
इंटरनेट से की मार्केटिंग
कई लोगों के लिए मोबाइल फोन व इंटरनेट मनोरंजन का साधन है, लेकिन इस सुविधा के सदुपयोग से नंदकिशोर ने अपने जीवन का सबसे बड़ा हल हासिल किया है। टमाटर व शिमला मिर्च के उत्पादन के बाद किसानों व बागवानों को इसकी बिक्री की चिंता होती है। इंटरनेट के प्रयोग से वह दिल्ली, मुंबई समेत देश की विभिन्न मंडियों के दामों का आकलन करते हैं। उसके बाद वहां फसल बेचते हैं, जहां दाम अच्छे मिलें। उनकी देखादेखी गांव के अन्य लोग भी इंटरनेट की अहमियत समझने लगे हैं।
ढाई बीघा भूमि पर पॉलीहाउस
जमीन का मात्र ढाई बीघा हिस्सा ही उन्होंने डॉ. वाइएस परमार स्वरोजगार योजना के लिए दिया है। इसी जमीन से वह प्रति माह एक से डेढ़ लाख रुपये कमाने में सक्षम हो पाए हैं। इस स्कीम में कृषि विभाग से उन्हें 85 फीसद अनुदान मिला। नंद किशोर ने मई, 2015 में पॉलीहाउस बनाया और उसी वर्ष दिसंबर में शिमला मिर्च का नौ लाख रुपये का कारोबार किया।
बारिश के पानी का मोल समझा
नंद किशोर अपनी और पड़ोसियों की छतों से गिरने वाले बारिश के पानी को स्टोरेज टैंक में रखते हैं, जिससे कई महीनों तक पानी का समाधान हो जाता है। पानी का पॉलीहाउस में बाहर की अपेक्षा 80 फीसद कम इस्तेमाल होता है।
कृषि विभाग करेगा सम्मानित
कृषि विशेषज्ञ एसएमएस डॉ. धर्मपाल गौतम ने बताया कि नंद किशोर ने मई 2015 में आत्मा प्रोजेक्ट के तहत पॉलीहाउस बनाया था। उनके प्रोजेक्ट का दौरा किया था जोकि एक नायाब पहल है। कृषि विभाग नंद किशोर को सम्मानित करने जा रहा है।