राफिया पर कमेंट करने वाले जरा नाउफ मारावी से लें सबक
इस्लाम की जन्मस्थली सऊदी अरब में योग को खेलकूद का दर्जा मिल गया है। इसके पीछे नाऊफ-अल-मारावी की मेहनत है। इधर रांची की राफिया नाज भी कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं
नई दिल्ली, (स्पेशल डेस्क)। सऊदी अरब ने पिछले दिनों ही योग को खेलकूद का दर्जा देकर बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह इसलिए भी बेहद खास हो जाता है, क्योंकि सऊदी अरब इस्लाम की जन्मस्थली है। इसके अलावा यह इस लिहाज से भी बेहद खास है क्योंकि पिछले ही दिनों भारत के रांची शहर में रहने वाली योग प्रशिक्षक राफिया नाज के खिलाफ कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मीडिया में काफी कुछ कहा था। बहरहाल हम यहां राफिया की बात बाद में करेंगे पहले हम आपको उसके बारे में बता देना चाहते हैं, जिसकी बदौलत सऊदी अरब ने इतना बड़ा फैसला लेकर कट्टर सोच रखने वालों के मुंह पर तमाचा मारा है। आखिर सऊदी अरब में जिसकी वजह से योग को खेलकूद का दर्जा दिया गया वह भी एक महिला ही है जो पिछले करीब बीस वर्षों से योग के प्रति लोगों की जागरुकता बढ़ाने का काम कर रही है। नाऊफ-अल-मारावी की मेहनत का ही नतीजा है कि आज सऊदी अरब में योग को खेलकूद का दर्जा मिला। अब कहीं भी सार्वजनिक तौर पर योग किया या करवाया जा सकेगा।
कैंसर की शिकार हो चुकी हैं मारावी
मारावी 2005 से ही सरकार की विभिन्न एजेंसियों से योग को मान्यता देने के लिए जद्दोजहद कर रही थीं। नाऊफ मारावी के फेसबुक पोस्ट के मुताबिक वह ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो चुकी हैं। लेकिन योग के जरिए उन्होंने अपनी बीमारी पर काबू पाया है। सऊदी अरब द्वारा योग को खेलकूद का दर्जा दिए जाने की जानकारी उन्होंने 12 नवंबर को ही अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए पूरी दुनिया को दे दी थी। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि योग हर सीमाओं के पार है। इसमें उन्होंने यहां तक कहा है कि योग के जरिए उन्हें भगवान ने वह शक्ति प्रदान की, जिसके दम पर वह सभी मुश्किलों को पार करती चली गईं।
Faced challenges to teach yoga officially in Saudi, says Yogacharinie Nouf Marwaai
— ANI Digital (@ani_digital) November 14, 2017
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किंग सलमान को कहा शुक्रिया
योग को खेलकूद का दर्जा प्रदान करने के लिए उन्होंने वहां के राजा सलमान बिल अब्दुल अजीज और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का भी शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने सऊदी अरब को कट्टरता और भ्रष्टाचार से मुक्त रखने के लिए राजा और युवराज का शुक्रिया किया। मारावी सऊदी अरब में योग और आयुर्वेद की आधिकारिक प्रमोटर भी हैं। वह खुद 1998 से योग कर रही हैं। मारावी ने 2009 में योग पद्धति और चीनी इलाज पद्धति आधारित चिकित्सा केंद्र की स्थापना की। मारावी सऊदी अरब योग फाउंडेशन की संस्थापक भी हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत 2008 में की थी। 2009 में अंतराष्ट्रीय योग खाड़ी क्षेत्र की निदेशक बनीं। 2010 में सऊदी में अंतरराष्ट्रीय योग संघ की मानद सचिव बनीं। 2012 में वह भारत में योगलिंपिक समिति की उपाध्यक्ष नियुक्त हुईं।
छात्रों समेत टीचरों को दे चुकी हैं योग की शिक्षा
मारावी 2005 से अब तक तीन हजार छात्रों को योग की शिक्षा दे चुकी हैं। जबकि 2009-14 के बीच 70 से अधिक शिक्षकों को योग सिखाने के लिए प्रमाणपत्र दिया। इसके लिए केरल सरकार ने उन्हें योगचारिणी की उपाधि दी है। सरकार अब योग शिक्षकों को भी लाइसेंस जारी करेगी। यहां पर यह बता देना जरूरी होगा कि सऊदी अरब उन 18 देशों में शामिल था, जो 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में रखे प्रस्ताव का सह-प्रायोजक नहीं थे। ऐसे में सऊदी अरब का यह फैसला अहम है।
मीडिया की सुर्खियों में राफिया
इधर भारत में झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाली राफिया नाज पिछले दिनों मीडिया की सुर्खियां बनी हुई थीं। इसकी वजह उसके खिलाफ कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा बवाल करना था। दरअसल राफिया रांची में अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वहां लोगों को योग भी सिखाती हैं। इसके लिए उनको पचास से अधिक अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। वह बाबा रामदेव के साथ योग का मंच भी साझा कर चुकी हैं। लिहाजा मुस्लिम कट्टरपंथियों को यह तमाम बातें नागवार गुजर रही थीं। उनके लिए इस्लाम में योग का कोई स्थान नहीं है और ऐसा करना या कराया जाना गैर-इस्लामिक है। यही वजह थी कि बीते कुछ दिनों से राफिया को लगातार परेशान किया जा रहा था। हद तो तब हो गई जब एक न्यूज चैनल पर लाइव प्रोग्राम के दौरान उनके घर पर पत्थरबाजी की गई और उनके घर के बाहर लोगों की भीड़ इकटठा हो गई। इसके बाद राफिया को पुलिस ने सुरक्षा उपलब्ध करवाई थी। सोशल मीडिया पर इस पूरे वाकये पर लोगों ने राफिया का जमकर साथ दिया।
योग खुद को स्वस्थ रखने का नायाब तरीका
यह सब हम इसलिए बता रहे हैं कि वह सभी लोग जो इस्लाम में योग को लेकर सवाल उठाते हैं उन्हें यह पता चल जाए कि इसका किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं है। बल्कि यह अपने को स्वस्थ रखने की हजारों वर्ष पहले की पद्धति है। ऐसा सिर्फ हम ही नहीं बल्कि ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. उमेर अहमद इलियासी भी कहते हैं। उनका कहना है कि योग भारत की देन है और भारत के ऋषि-मुनि इसका ज्ञान हजारों वर्षों से देते आ रहे हैं। आज योग पूरी दुनिया में फैल चुका है। वह उन लोगों की तीखी आलोचना करने से भी नहीं चूकते हैं जो इसको गैर-इस्लामिक बताते हैं या ये कहते हैं कि इस्लाम में यह नाजायज है।
योग को धर्म से जोड़ना गलत
उनका साफ कहना है कि योग को धर्म के बंधन में बांधना पूरी तरह से गलत है। यह शरीर को स्वस्थ रखने का नायाब तरीका है। उनका यह भी कहना है कि जो लोग इसको लेकर सवाल उठाते हैं बेहतर होगा कि वह एक बार इसको करके देख लें, उन्हें खुद इसका जवाब भी मिल जाएगा। रांची की राफिया का जिक्र करने पर उन्होंने सीधेतौर पर कट्टरपंथियों को आड़े हाथों लेते हुए राफिया को दैनिक जागरण के जरिए भरोसा दिलाया कि उन्हें किसी से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। वह बिना किसी डर के अपना काम करती रहें, वह उनके साथ हैं।
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