पाकिस्तानी राजदूत को अमेरिकी ऑडियंस ने दिखाया आईना, जमकर उड़ाई खिल्ली
हकीकत यह है कि पाकिस्तान में कई आतंकी सुरक्षित तरीके से पनाह लिए हुए हैं। इस बात की तस्दीक अफगानिस्तान, इराक और यूएन में अमेरिका के राजदूत रह चुके जैल्मी खलीलजाद भी करते हैं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। देश-अमेरिका, शहर-वाशिंगटन, व्यक्ति-पाकिस्तानी राजनयिक, बात-पाकिस्तान में आतंकियों के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं। बस फिर क्या था वहां मौजूद लोग ठहाके लगाने लगे। दरअसल पाकिस्तानी राजनयिक वाशिंगटन में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। वह वहां मौजूद लोगों को बार-बार विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि उनके देश में आतंकवादियों के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं है। यहां तक कि उन्होंने कहा, तालिबान का सर्वोच्च नेता मुल्ला उमर कभी पाकिस्तान नहीं आया। इस पर वहां मौजूद लोगों से रहा नहीं गया और वे ठहाके लगाने लगे। बता दें कि मुल्ला उमर के हाल ही में कराची के अस्पताल में मौत होने की खबर आयी थी।
ऑडियंस में मौजूद वाशिंगटन के थिंक टैंक ने जब पाकिस्तानी राजदूत ऐजाज अहमद चौधरी की इन बातों पर ठहाके लगाए तो उनके चेहरे के भाव देखने लायक थे। लग रहा था जैसे वह पूछना चाहते हों कि इसमें हंसने वाली बात क्या है? लेकिन जिस देश में ओसामा बिन लादेन जैसा दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी कैंट एरिया में छिपा मिला हो उस देश का राजनयिक इस तरह की बातें करेगा तो लादेन को मार गिराने वाले देश का थिंकटैंक इस तरह से ठहाके न लगाए तो और क्या करे।
यह है हकीकत
हकीकत यह है कि पाकिस्तान में कई आतंकी सुरक्षित तरीके से पनाह लिए हुए हैं। इस बात की तस्दीक अफगानिस्तान, इराक और यूएन में अमेरिका के राजदूत रह चुके जैल्मी खलीलजाद भी करते हैं। वह कहते हैं, 'मुल्ला उमर के पाकिस्तान में होने के हमारे पास काफी पुख्ता सबूत हैं, जहां वह गया, रहा और अस्पताल में भर्ती भी हुआ।' यहां तक कि उन्होंने यह भी कहा कि काफी लंबे समय तक यह भी माना जाता था कि ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान नहीं छोड़ा और वह पाकिस्तान नहीं गया। जबकि हकीकत यह है कि ओसामा सालों तक पाकिस्तान के छावनी क्षेत्र एबटाबाद में रहा और यहीं पर उसे अमेरिकी सील कमांडो ने मार गिराया था।
पूर्व राजनयिक ने कहा, 'इस बात के काफी सबूत हैं कि जब अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई चल रही थी, उसी समय हक्कानी नेटवर्क ने मुल्ला उमर को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करायी थी।' पूर्व राजनयिक अटलांटिक काउंसिल साउथ एशिया सेंटर में 'रीजनल पर्सपेक्टिव्ज ऑन द यूएस स्ट्रैटजी इन अफगानिस्तान' पर एक पैनल डिस्कशन में शामिल थे।
पाकिस्तान में आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं होने की बात कहकर चौधरी इस बहस में अलग-थलग पड़ गए। क्योंकि इस बहस में अन्य दो व्यक्तियों में से एक पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और दूसरे अमेरिकी शिंक टैंक एक्सपर्ट एस्ले टेलिस ने भी खलीलजाद की बात की तस्दीक की। इन दोनों ने भी कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह हैं और किसी न किसी स्तर पर पाकिस्तानी सरकार की तरफ से भी आतंकियों को शह मिलती है।
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कौन सी सदी की बात कर रहे हैं आप?
ऑडियंस की प्रतिक्रिया से पाकिस्तानी राजदूत काफी परेशान दिखे। उन्होंने एक के बाद एक कई सवाल पूछ डाले। उन्होंने कहा, 'आप कौन सी सदी की बात कर रहे हैं? अगर आप भूतकाल में रहना चाहते हैं तो अपने वर्तमान को नहीं सुधार सकते। हक्कानी और तालिबान हमारे दोस्त नहीं हैं। वह हमारे प्रतिनिधि नहीं हैं। आप कौन से क्वेटा शूरा और कौन से पेशावर शूरा की बात कर रहे हैं?' हालांकि यह बहस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची बीच में ही रुक गई।
एस्ले टेलिस ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह हैं और अफगानिस्तान से उन्हें वित्तीय व रंगरूटों की सप्लाई हो रही है। लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि तालिबान नेताओं का पाकिस्तान से संबंध है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, अब समय आ गया है कि पाकिस्तान अपने गिरेबां में झांके कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी जो पाकिस्तान के सेना प्रमुख से मिलने रावलपिंडी तक गए, वह आखिर क्यों पाकिस्तान के खिलाफ हो गए। गनी लगातार कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने उनके देश के खिलाफ एक अघोषित युद्ध छेड़ रखा है।
पाकिस्तान की विदेश नीति का अंग हैं आतंकवादी
विदेश मामलों के जानकार कमर आगा कहते हैं, पाकिस्तान जब से बना है, तभी से आतंकवादियों का इस्तेमाल करता आया है। आतंकियों की मदद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर के एक हिस्से को अपने कब्जे में लिया है। साल 1965 के युद्ध में भी पाकिस्तान ने आतंकवादियों का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि 1971 की जंग में भी पाकिस्तान ने रजाकार का इस्तेमाल किया था।
कमर आगा का कहना है, 'आतंकवादी पाकिस्तान की विदेश नीति का एक अहम अंग है। इन्हीं की मदद से वह आगे बढ़ना चाहता है। धर्म ने नाम पर आतंकवाद फैलाकर वह अपनी अहमियत बढ़ाना चाहता है।' उन्होंने कहा, अपनी अहमियत बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के पास न तो कोई बहुत ज्यादा टेक्नोलॉजी है और न ही पैसा। इसलिए वह आतंकवाद का इस्तेमाल करता है।
पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले कुछ प्रमुख आतंकवादी संगठन
- लश्कर-ए-तैयबा
- हिजबुल मुजाहिद्दीन
- हरकत-उल-मुजाहिद्दीन
- हक्कानी नेटवर्क
- अल-कायदा
- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी)
- आईएसआईएस
- अल बद्र
- लश्कर-ए-झांगवी
- जुंदाल्लाह
- ईस्ट तुर्कीस्तान इस्लामिक मुवमेंट
- इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उजबेकिस्तान
- जैश अल अद्ल
इनके आलावा भी कई अन्य आतंकी संगठन हैं जिन्हें पाकिस्तान में सुरक्षित पनाहगाह मिली हुई है।
UN जिन्हें आतंकी बताता है, वह पाकिस्तान के प्यारे हैं
कमर आगा ने बताया, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी जिन आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित घोषित किया है वह पाकिस्तान में हैं। अफसोस की बात यह है कि पाकिस्तान उन्हें भारत के हवाले तो नहीं ही करता, बल्कि उन्हें हर तरह से सैनिक, राजनीतिक व नैतिक सहयोग देता है। आतंकियों को सुरक्षा प्रदान करता है। इनके लिए बाहर से फंड का भी जुगाड़ करता है।
उन्होंने कहा, 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद से ही पाकिस्तान लगातार इस पॉलिसी पर चल रहा है कि भारत को इतना सताओ कि उसके विकास पर असर पड़े। वह जानता है कि कश्मीर को तो वह भारत से छीन नहीं सकता, लेकिन भारत पर आतंकवाद के जरिए दबाव बनाने के लिए वह आतंकियों का इस्तेमाल करता है।
पाकिस्तान में भारतीय गुनहगार
भारत में मासूमों का खून बहाने वाले आतंकी संगठन और उनके सरगना पाकिस्तान में खुलेआम घूमते हैं। कई को तो संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया हुआ है, इसके बावजूद वह पाकिस्तान में छुट्टे फिरते हैं। हाफिज सईद, मसूद अजहर, दाउद इब्राहिम और लखवी तो बस कुछ नाम भर हैं। ऐसे आतंकियों की लंबी-चौड़ी लिस्ट है जिनकी पाकिस्तान खूब खातिरदारी करता है।
- सैयद सलाउद्दीन
- हाफिज सईद
- मौलाना मसूद अजहर
- दाउद इब्राहिम
- जकी-उर-रहमान लखवी
- इलियास कश्मीरी
- टाइगर मेमन
- छोटा शकील
- अनीस इब्राहिम
- जावेद चिकना
- परमजीत सिंह
यह लिस्ट इतनी भर नहीं है। भारत सरकार ने ऐसे 50 आतंकियों की लिस्ट जारी की है।
पाकिस्तान से निपटने के लिए क्या करें
कमर आगा कहते हैं, दक्षिण एशिया के सभी देश आपस में मिलें और बातचीत करें और आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीति बनाएं। पाकिस्तान पर दबाव बनाया जाना चाहिए, ताकि वह आतंकी गतिविधियों से अलग हो।
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