रिश्ते सुधारने अमेरिका गए पाक मंत्री ख्वाजा आसिफ करा रहे अपनी ही फजीहत
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा के मुंह से एक बार फिर सच निकला है। उन्होंने माना है कि पाकिस्तान कोई संत नहीं है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। कुछ समय से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। दोनों ही एक दूसरे पर तीखी बयानबाजी करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद इन रिश्तों में तल्खी कुछ ज्यादा बढ़ी है। इसकी वजह है कि ट्रंप का पाकिस्तान और अमेरिका के प्रति दो टूक रवैया। इसके अलावा इस तल्खी की एक और वजह अमेरिका द्वारा भारत को लगातार दी जा रही तवज्जो है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयानों में भी उनकी नाराजगी अब साफतौर पर छलकने लगी है। वह लगातार अमेरिका के प्रति तीखी बयानबाजी कर रहे हैं। पहले उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन जैश, लश्कर और हक्कानी नेटवर्क कभी अमेरिका की डार्लिंग हुआ करते थे। इनका अमेरिका ने अपने हितों के लिए भरपूर इस्तेमाल किया। वहीं अब उन्होंने यह कहकर की अमेरिका अफगान युद्ध पहले ही हार चुका है दोनों देशों के बीच तल्खी को और बढ़ाने का काम किया है। उनके इस बयान ने सभी को चौंका कर रख दिया है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि यह दोनों ही संगठन भारत के जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते आ रहे हैं।
अफगानिस्तान में अपनी स्थिति संभालने में जुटा यूएस
आसिफ ने कांग्रेस (अमेरिकी संसद) समर्थित थिंक-टैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में अपने भाषण में कहा कि अमेरिका, अफगानिस्तान युद्ध पहले ही हार चुका है। अब वह सिर्फ वहां की स्थिति को संभालने में जुटा है। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के हितैषी माने जाने वाले प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैक्केन की भी कड़ी आलोचना की है। उन्होंने यह तक कह डाला कि मैक्कैन को इतिहास का बेहद कम ज्ञान है। दरअसल आसिफ इसलिए मैक्कैन से नाराज थे क्योंकि उन्होंने अफगानिस्तान की तुलना वियतनाम से की थी। पाक विदेश मंत्री ने अफगान समस्या के लिए सैन्य समाधान के विकल्प को लेकर भी अमेरिका को आगाह किया। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर तालिबान और इस्लामिक स्टेट (आइएस) हाथ मिला सकते हैं। दोनों आतंकी संगठनों का साथ आना पाकिस्तान और क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी आफत होगी। हम अपने क्षेत्र में ऐसी परिस्थिति बनते हुए नहीं देखना चाहते। यही वजह है कि पाकिस्तान, अमेरिका के साथ पूरी क्षमता, ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ सहयोग करना चाहता है।
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यूएस ही अफगानिस्तान के हालात कर सकता है काबू
इस बाबत जागरण डॉटकॉम से बात करते हुए ऑब्जरवर सिसर्च फाउंडेशन प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना था कि अफगानिस्तान के बिगड़े हालात पर यदि कोई काबू पा सकता है तो वह अमेरिका ही है। चीन की बात करें तो अफगानिस्तान में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। वहीं भारत को लेकर पाकिस्तान अपनी परेशानी जता चुका है। अमेरिका की मांग के बाद भी भारत ने इस क्षेत्र में अपनी फौज भेजने से इंकार कर दिया है। इस संबंध में रूस की स्थिति भी जगजाहिर है। इनके अलावा अन्य कोई देश यहां पर आना नहीं चाहता है।
पाकिस्तान की बौखलाहट
पाक मंत्री के बयान को प्रोफेसर पंत पाकिस्तान की एक बौखलाहट के तौर पर देखते हैं। उनका कहना है कि भारत के साथ मजबूत होते संबंध पाकिस्तान के लिए चिंता का सबब बनते रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बयान में यह बात कई बार सामने भी आई है। ख्वाजा आसिफ का ताजा बयान भी इसका ही एक अगला कदम है। उनके मुताबिक अमेरिका की बदली अफगान पॉलिसी पर पाकिस्तान शुरू से ही नाराज रहा है। वह मानते हैं कि अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी पाकिस्तान को बर्दाश्त नहीं है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका आतंकवाद पर कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान पर लगातार दबाव बना रहा है।
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संत नहीं है पाकिस्तानएक सवाल के जवाब में आसिफ ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान संत नहीं है। अतीत में हमने भी कुछ गलतियां की होंगी, लेकिन, पिछले तीन-चार वर्षो से पाकिस्तान पूरे दिल और प्रतिबद्धता के साथ आतंकी संगठनों को खत्म करने में जुटा है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जो कार्रवाई अमेरिका चाहता है वह की जाएगी। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान आतंकियों को खदेड़े, तो हम यह जरूर करेंगे, लेकिन इस बाबत खोखले आरोप पाकिस्तान केा कभी स्वीकार्य नहीं होंगे।
हाफिज सईद को बताया था बोझ
आसिफ ने हाल में ही जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद को बोझ बताया था। हालांकि उनके इस बयान के बाद आतंकी हाफिज सईद ने आसिफ पर 10 करोड़ रुपयों की मानहानि का दावा ठोका है। इसके बाद दोबारा आसिफ ने उसके खिलाफ बयान देने की हिम्मत नहीं दिखाई है। ट्रंप ने अगस्त में अफगानिस्तान और दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया नीति की घोषणा करते वक्त पाकिस्तान को आतंकी गुटों की सुरक्षित पनाहगाह करार देते हुए अविलंब कार्रवाई करने या फिर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। अमेरिका से तल्ख होते रिश्ते सुधारने के लिए ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ इन दिनों वाशिंगटन की यात्रा पर हैं।
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