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पाक में अब नहीं बचेंगे आतंकी कैंप, यूएस ने कहा - बनाएंगे निशाना

पीएम मोदी के यूएस दौरे में एच-1बी वीजा और पेरिस क्लाइमेट समझौते का मुद्दा बातचीत में शामिल नहीं था। लेकिन सलाहुद्दीन के मुद्दे पर जबरदस्त कामयाबी मिली।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Tue, 27 Jun 2017 04:25 PM (IST)
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पाक में अब नहीं बचेंगे आतंकी कैंप, यूएस ने कहा - बनाएंगे निशाना

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । पीएम मोदी का अमेरिकी दौरा संपन्न हो चुका है। एक तरफ जहां इस दौरे को सफलतम दौरों में से एक बताया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दलों का मानना है कि इस दौरे से भारत को कुछ हासिल नहीं हुआ। पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ये साफ किया कि दोनों देशों की मजबूती विश्व की स्थिरता के लिए जरूरी है। दोनों देशों के सामने संभावनाएं और चुनौतियां एक जैसी हैं, लिहाजा बेहतर समझ के साथ हम आगे बढ़ सकते हैं। आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि दुनिया के लिए कैंसर बन चुके आतंकी संगठनों को वो कहीं पर कभी भी निशाना बनाने के लिए स्वतंत्र होगा। पीएम मोदी के दौरे में भारत को क्या हासिल हुआ इसे जानने के पहले उन बयानों पर गौर करना जरूरी है जो संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दुनिया के सामने आए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस की खास बातें

न्यू इंडिया और मेक अमेरिका ग्रेट अगेन एक जैसे हैं-पीएम मोदी

अमेरिका दुनिया के प्राचीनतम लोकतंत्रों में से एक है और भारत दुनिया की बड़ी डेमोक्रेसी में से एक है। 

भारत-अमेरिका के संबंध इतने मजबूत और मधुर कभी नहीं थे- ट्रंप

मेरा यह स्पष्ट मत है कि एक मजबूत और सफल अमेरिका में ही भारत का हित है, इसी तरह भारत का विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती भूमि का अमेरिका के हित में भी है - पीएम मोदी

अमेरिका और भारत आतंकवाद के शिकार हैं। अमेरिका उन देशों को आगाह कर रहा है जो आतंकी या आतंकी संगठनों को पाल-पोस रहे हैं- डोनाल्ड ट्रंप

आज की बातचीत हर प्रकार से अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि यह परस्पर विश्वास पर आधारित थी - पीएम मोदी

शुरू से लेकर हमारी वार्ता के समापन तक राष्ट्रपति ट्रंप के मित्रता भरे वेलकम का मैं ह्रदय से आभारी हूं - पीएम मोदी

साझा बयान में ट्रंप ने कहा- भारत और अमेरिका के संविधान के पहले तीन शब्द एक जैसे हैं-'We the People

अमेरिका, जापान और भारत की नौसेना का अब तक सबसे बड़ा संयुक्त अब्यास होगा-ट्रंप

क्या मिला, क्या नहीं मिला

संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनिया के दो बड़े नेताओं के बयानों से साफ हो गया कि अमेरिका और भारत के बीच सामंजस्य आज के समय की मांग है। दोनों देशों में अपार संभावनाएं जिसका दोहन वैज्ञानिक तरीके से जनहित में करने की जरूरत है। ये बात सही है कि भारत और अमेरिका के बीच विवादास्पद एच-1बी वीजा, पेरिस क्लाइमेट पर किसी तरह की बातचीत नहीं हुई। लेकिन दोनों नेताओं के मिलने से ठीक पहले हिज्बुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार देना भारत के लिए अहम कामयाबी थी। एग्जीक्यूटिव  ऑर्डर 13324 के तहत हिज्बुल पर नकेल कस दिया है। अमेरिका ने साफ कर दिया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को सतर्क रहने की जरूरत है। 

ट्रंप ने आतंकवाद पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि अमेरिका और भारत मिलकर इस्लामिक आतंकवाद का खात्मा करेंगे। दोनों देशों के बीच आतंकवाद के मसलों पर इंटेलिजेंस शेयरिंग को लेकर भी सहमति बनी है। ट्रंप ने कहा कि हम आतंकवाद और आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को निशाना बनाएंगे।

जानकार की राय

Jagran.com से खास बातचीत में पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर ने कहा कि दुनिया के दो महान नेता पहली बार एक दूसरे से रूबरू हो रहे थे। पीएम मोदी का ये दौरा ट्रंप के साथ व्यक्तिगत रिश्तों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक पहल थी। स्वभाविक तौर पर जब इस तरह की मुलाकात होती है तो विवादास्पद मुद्दों को दूर ही रखा जाता है। जहां तक भारत को क्या मिला तो उसका जवाब बेहद साफ है कि आज देश के सामने आतंकी संगठन एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। सैयद सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करना देश के लिए अहम कामयाबी है। 

 क्या है एच-1बी वीजा मामला ?

ट्रंप ने एच-1बी वीजा को सख्त बनाकर भारतीय आइटी इंडस्ट्री की नींव हिला दी है। ऐसा नहीं है कि ट्रंप ने अचानक वीजा घटाने या सख्ती बरतने का फैसला किया था। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ही उन्होंने अपना रुख साफ कर दिया था कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो वीजा पर सख्ती करेंगे।  ट्रंप ने कहा था कि अमेरिकी नागरिकों की नौकरी सुरक्षित करने के लिए वे 'हायर अमेरिकन' नियम लाएंगे। 

सत्ता संभालते ही ट्रंप ने सबसे पहले एच-1बी वीजा की फीस 2 हजार डॉलर से बढ़ाकर 6 हजार डॉलर कर दी। वहीं एल1 वीजा की फीस 4000 डॉलर तय कर दी। इससे भारतीय आईटी कंपनियों का खर्च बहुत ज्यादा बढ़ गया।इतना ही नहीं, ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए मिनिमम सैलरी 60 हजार डॉलर से बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है। आमतौर पर आईटी कंपनियां भारतीयों को 60,000 डॉलर में नियुक्त करती थीं।अमेरिकी कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी ज्यादा होती थी। लेकिन भारतीय और अमेरिकियों के बीच सैलरी का फर्क खत्म होने से साफ है कि कंपनियां भारतीयों का वीजा खर्च उठाने के बजाय सीधे अमेरिकियों को ही भर्ती करेंगी।  

ये सच है कि दोनों नेताओं के बीच एच-1बी वीजा के मुद्दे पर किसी तरह की बातचीत नहीं हुई। लेकिन ट्रंप ने कहा कि हमारे पास संबंधों को सुधारने का विजन है। उन्होंने कहा कि नई तकनीक, नए इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं और खुशी है कि दोनों देशों के बीच कारोबार तेजी से बढ़ा है। ट्रंप ने कहा कि भारत द्वारा अमेरिका से सैकड़ों एयरक्राफ्ट्स के आयात से हजारों अमेरिकियों को रोजगार मिला है।

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