आबादी के लिहाज से मुसलमानों को मिले आरक्षण
मुसलमानो के लिए अलग आरक्षण का मुद्दा गर्माता जा रहा है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने इसके लिए एक मजबूत आंदोलन छेड़ने का आह्वान किया है।
By Edited By: Updated: Fri, 18 May 2012 10:48 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। मुसलमानों के लिए अलग आरक्षण का मुद्दा गर्माता जा रहा है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने इसके लिए एक मजबूत आंदोलन छेड़ने का आह्वान किया है।
जमीयत की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुस्लिम आरक्षण की मांग करते हुए उसे हर हाल में जरूरी करार दिया गया। कई राज्यों से जमीयत के आला पदाधिकारी इस बैठक में शरीक हुए। जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना कारी उस्मान ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मुस्लिम आरक्षण निहायत जरूरी है। मुसलमानों के लिए अल्पसंख्यक उप कोटा काफी नहीं है, बल्कि उनको आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाए। उन्होंने मांग की कि मुसलमानों को जिंदगी के हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्व मिले। शासन में चार फीसद का आरक्षण दिया है। उससे जमीयत की मांग पूरी नहीं होती है। ओबीसी का कोटा अलग किया जाए और संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन कर मुस्लिमों और अति पिछड़ों को उसमें शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि ओबीसी का कोटा आज की आबादी के अनुपात में बढ़ाया जाए। इस बैठक में सांप्रदायिक दंगों की रोकथाम के लिए कानून बनाने, मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी पर अफसोस जताने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिए जाने, वक्फ की जमीनों का संरक्षण, कश्मीर की जनता के साथ इंसाफ, असम में मुसलमानों को नागरिकता देने और इस्लामी जगत के मसलों को हल करने पर विचार-विमर्श किया गया।
मौलाना कारी उस्मान ने कहा कि दहशतगर्दी के मामले में मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी का मुद्दा काफी गंभीर है। इसे किसी मजहब या संप्रदाय से जोड़ कर देखना गलत है। तफ्तीश के अमल में पारदर्शिता को जरूरी करार देते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग अदालत से बरी हो चुके हैं, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ-साथ चरित्र प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। कारी ने बताया कि शनिवार की शाम को रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा ए हिंद की जनसभा का आयोजन किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पेश की गई मांगों को उठाया जाएगा।
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