जयंत सिन्हा बोले, काला धन छुपाने वालों पर एमेनस्टी नहीं पेनाल्टी
वैश्र्विक मंदी और सूखे की मार से अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों और जन आकांक्षाओं के बीच मोदी सरकार ने आम बजट 2016-17 पेश किया है। बजट का फोकस क्या है और इसमें कर प्रस्तावों और धन आवंटन के मायने मायने क्या हैं?
नई दिल्ली। वैश्र्विक मंदी और सूखे की मार से अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों और जन आकांक्षाओं के बीच मोदी सरकार ने आम बजट 2016-17 पेश किया है। बजट का फोकस क्या है और इसमें कर प्रस्तावों और धन आवंटन के मायने मायने क्या हैं? क्या यह बजट किसानों को संकट से उबारने, युवाओं को नौकरी दिलाने और कालेधन को निकालने में कामयाब होगाा? हमारे विशेष संवाददाता हरिकिशन शर्मा ने इन सब सवालों पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा से लंबी बातचीत की । पेश है अंश:
आम बजट 2016-17 का फोकस क्या है?
यह बजट 9 स्तंभ पर बना है। ये सभी महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से हमने ग्रामीण क्षेत्र पर जोर दिया है। 'आधार' नंबर को कानूनी जामा पहनाकर गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा तंत्र बनाने पर जोर है। वहीं टैक्स विवादों और समस्याओं को खत्म करना, टैक्स प्रणाली को स्पष्ट और पारदर्शी बनाना तथा टैक्स प्रशासन को करदाताओं के अनकूल बनाकार क्रांति लाने पर विशेष फोकस है।
टैक्स के क्षेत्र किस प्रकार क्रांति होगी ?
टैक्स का इतिहास देखें तो चार क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं। पहला, 1997 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उठाया। उन्हांेने व्यक्तिगत आयकर की दरें सरल बनाकर 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत कीं। दूसरा क्रांतिकारी कदम पूर्व वित्त मंत्री मेरे पिताजी यशवंत सिन्हा ने उत्पाद शुल्क की दरें 8, 16 और 24 प्रतिशत कर उठाया। तीसरा कदम जीएसटी है जिस पर 2006 से काम चल रहा है। वैट एनडीए सरकार ने ही लागू किया था। चौथा क्रांतिकारी कदम हमने इस साल के बजट में उठाया है। हमने टैक्स प्रणाली को सरल, स्थायी और तर्कसंगत बनाने का काम किया है।
बजट में गांव के लिए क्या-क्या घोषणाएं हैं?
सरकार ने मनरेगा का बजट बढ़ाया है और पंचायत को पैसे दे रहे हैं। दीर्घावधि निवेश के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना पर यूपीए सरकार 9 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही थी, हमने 27,000 करोड़ रुपये दिए हैं। 2019 तक हर गांव को सड़क के जरिए शहर से जोड़ने और बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। साथ ही सिंचाई का बजट बढ़ाया भी बढ़ाया गया है।
इन घोषणाओं को जमीन पर उतारने में कितना वक्त लगेगा?
हमारी कई योजनाएं आज गांव तक पहुंच गई हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना और मुद्रा योजना का लाभ लोगों को मिल रहा है। राज्यों में सड़क और सिंचाई की कई योजनाओं में केन्द्र की मदद से काम हो रहा है। मेरे ही राज्य झारखंड मंे मुख्यमंत्री ने योजना बनाओ अभियान शुरु किया है, उससे काफी परिवर्तन आ रहा है। इस तरह लोग हमारी योजनाओं का प्रभाव महसूस कर रहे हैं।
महंगाई को लेकर लोगों की शिकायत है?
महंगाई पर हमने नियंत्रण किया है। थाली में सिर्फ दाल की कटोरी छोड़कर अन्य चीजों जैसे चावल, सब्जी, गेहूं, घी और तेल के दामों पर नियंत्रण हैं। वर्षा न होने के कारण दाल की फसल खराब हुई जिससे इसके दाम बढ़े। बाकी चीजों के दाम नियंत्रण में हैं। पेट्रोल, डीजल, ब्याजदरें देखंे तो इनके रेट कम हुए हैं।
ईपीएफ पर टैक्स लगाने का विरोध हो रहा है। क्या सरकार इसे वापस लेगी?
ईपीएफ मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया है। इस प्रस्ताव पर बहुत प्रतिक्रिया हुई है, लोगों ने विरोध किया है। इन सब बातों पर हम विचार कर रहे हैं, अध्ययन कर रहे हैं। जब इस पर सदन में चर्चा होगी तब इन बातों को विचार कर अगर संशोधन पारित करना होगा तो हम संशोधन के बारे में सोचेंगे।
ज्वैलर्स भी आभूषणें पर उत्पाद शुल्क लगाने का विरोध कर रहे हैं, क्या सरकार उनकी मांग मानेगा?
उनकी बात पर ध्यान दिया जाएगा। हम इसका विश्लेषण करेंगे। देखेंगे कि उक्त कर प्रस्ताव से घाटा कितना है और फायदा कितना। नफा-नुकसान का विश्लेषण कर, निर्णय किया जाएगा।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने कालाधन रखने वालों को एमनेस्टी दी है?
कुछ लोगों ने एमनेस्टी शब्द का प्रयोग किया है। यह पूरी तरह गलत है और मैं इसे खारिज करता हूं। हमने वित्त विधेयक में जो प्रस्ताव किया है वह इनकम डिस्क्लोजर स्कीम (आय घोषणा योजना) है जिसमें 15 प्रतिशत पेनॉल्टी का प्रावधान है। जितना टैक्स भरना है वो देना ही होगा, उसके अतिरिक्त 15 प्रतिशत पेनॉल्टी भी देनी होगी। इसलिए इसमें एमनेस्टी की कोई नहीं है। कालाधन रखने वालों को एमनेस्टी नहीं पेनॉल्टी देनी होगी। यूपीए के कार्यकाल मंे देश में काफी कालाधन देश और विदेश में जमा हुआ था। पिछले साल हमने विदेशी कालेधन पर सख्त कार्रवाई की।
इस योजना से कितना कालाधन निकलेगा?
हमने इसका अनुमान नहीं किया है। हमारा लक्ष्य कर चोरी रोकना और कालाधन निकालना है। जो लोग टैक्स चोरी करते हैं उन्हें कड़ा संदेश देना है कि वे देश मंे हर सुविधा का लाभ भी उठाएं और टैक्स चोरी भी करें, ऐसा अब नहीं चलेगा।
विदेश से कितना कालाधन वापस आया?
अभी तक चार हजार करोड़ रुपये से अधिक कालाधन पकड़ा गया है। सख्ती से कार्रवाई कर रहे हैं और आने वाले समय में कुछ और जरूर मिलेगा।
रोजगार बढ़ाने के लिए क्या उपाय हैं?
कौशल विकास पर जोर है। 1500 मल्टी स्किल केंद्र खोलेंगे। जहां युवाओं को हुनर देंगे और रोजगार ढूंढ़ने मंे सहायता करेंगे। युवाओं को दस्तावेज रखने के लिए डिजिटल डिपोजिटरी बना रहे हैं। मुद्रा योजना के तहत 1,20,000 करोड़ रुपये लोन को अगले साल बढ़ाकर 1,80,000 करोड़ रुपये करेंगे। इसके साथ ही स्टार्ट अप इंडिया, स्टेंडअप इंडिया तथा मेक इन इंडिया के लिए भी कई प्रकार के कर प्रोत्साहन दिया गया है। खाद्य प्रसंस्करण में शत प्रतिशत एफडीआइ की इजाजत दी गई है, इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा।
बजट में योजनागत- गैर योजनागत वर्गीकरण खत्म करने की घोषणा हुई है, क्या पंचवर्षीय योजनाओं की व्यवस्था खत्म होगी?
नेहरुवियन समाजवादी सोच अब खत्म हो चुकी है। यह नेहरुयुगीन सोच थी जिसमें सरकार को भ्रम था कि पांच साल की योजना बनाकर देश का विकास हो जाएगा। आज यह विचारधारा इतिहास हो चुकी है। हमें इसे छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए और समझना चाहिए कि आधुनिक दुनिया में कैसे विकास होता है। सरकार की भूमिका पंचवर्षीय योजना बनाने के बजाय उद्यमियों का सहयोग करना चाहिए ताकि आगे बढ़ सके।