मुरादाबाद, ज्ञानेंद्र त्रिपाठी। फिल्मी दुनिया से आकर आजम खां के शहर रामपुर की सियासी फिल्म बदलने का माद्दा रखने वाली सांसद जयाप्रदा की तीसरी सियासी फिल्म का ट्रेलर अब दिखने लगा है। कल तक आजम द्वारा नवाबी दौर की तोड़ी गई इमारतों का जो मुद्दा आजम और नवेद के बीच था उसे अब जयाप्रदा ने हथिया लिया है। उनकी नजर नवेद की मां की
By Edited By: Updated: Fri, 27 Dec 2013 10:14 AM (IST)
मुरादाबाद [ज्ञानेंद्र त्रिपाठी]। फिल्मी दुनिया से आकर आजम खां के शहर रामपुर की सियासी फिल्म बदलने का माद्दा रखने वाली सांसद जयाप्रदा की तीसरी सियासी फिल्म का ट्रेलर अब दिखने लगा है। कल तक आजम द्वारा नवाबी दौर की तोड़ी गई इमारतों का जो मुद्दा आजम और नवेद के बीच था उसे अब जयाप्रदा ने हथिया लिया है। उनकी नजर नवेद की मां की कांग्रेसी सीट पर भी है, जिनको साइकिल पर सवार होकर दो बार जयाप्रदा मात दे चुकी हैं। अब साइकिल नहीं है। सो, कांग्रेस के हाथ का साथ पा कर नई पारी खेलना चाहती हैं और कांग्रेसी सुर में सुर मिलाने लगी हैं।
रामपुर की संसदीय सीट पर अर्से तक नवाबी खानदान के साथ कांग्रेसी कब्जा रहा है तो विधानसभा की सीट पर आजम का दबदबा। पर, वर्ष 2004 के संसदीय चुनाव में यहां की हवा ही बदल गई। अमर सिंह के साथ फिल्मी दुनिया से जयाप्रदा आईं और आजम के नेतृत्व में चुनाव लड़ नवाबी सीट पर काबिज हो गई।
पढ़ें: रामपुर में आजम के जुल्म की इंतहा: जयाप्रदा राजनीति की इस दोतरफा की जमीन पर पहली दफा तीसरे चेहरे का उदय हुआ। यहां पर तीसरी पार्टी भाजपा थी, लेकिन उसमें उतनी धार नहीं। पर, 2009 के संसदीय चुनाव में आजम खां ने जयाप्रदा का विरोध किया, लेकिन सपा ने आजम को ही बाहर कर दिया और जयाप्रदा ने आजम खां के विरोध के बावजूद नूरबानो को लगातार दूसरी बार पराजित कर सीट पर कब्जा जमा लिया।
इस तरह जयाप्रदा ने एक बार आजम के साथ तो दूसरी दफा उनके विरोध के बावजूद अपना राजनीतिक रसूख बनाए रखा, लेकिन दोनों बार सपा साथ थी। अब उनके विरोधी आजम हैं, लेकिन उनके साथ कोई पार्टी नहीं है, क्योंकि सपा ने उन्हें निकाल दिया है। ऐसे में जयाप्रदा ने अपनी नई सियासी फिल्म के लिए बैनर खोजना शुरू कर दिया, जिसका संकेत पिछले दिनों तब मिला जब वह रामपुर आईं और राहुल गांधी का गुणगान कर गईं। नतीजा यह रहा कि राहुल रैली में आए तो कांग्रेस नेत्री के रूप में जयाप्रदा का बैनर भी लगा। इस पर किसी ने कोई विरोध दर्ज नहीं कराया। हां, यह बात फैलने लगी कि इस बार नूरबानो की जगह जयाप्रदा कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगी। इसे बल तब मिला जब लोकसभा चुनाव के लिए मुरादाबाद से कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम के पैनल में नूरबानो का नाम भेजा गया, जो रामपुर से लड़ती रही हैं।
बुधवार को रामपुर पहुंची जयाप्रदा ने एक बार फिर खुद इस कयास को पूरा बल दे दिया। उन्होंने घोषणा की कि आजम द्वारा तुड़वाए गए नवाबी दौर के गेट को वह सांसद निधि से बनवाएंगी। अब तक गेट की विधिक व उच्चस्तरीय लड़ाई नूरबानो के बेटे नवेद लड़ते रहे हैं, जो आजम के साथ साथ जयाप्रदा के भी विरोधी रहे हैं। पर, अब इस पूरे मामले को जयाप्रदा भी राष्ट्रपति तक ले जाने व दोषियों को दण्डित कराने की कसम खा रही हैं, जो वैचारिक रूप में सही आजम के विरोधी और आपस में भी सियासी विरोधी नवाब खानदान और जयाप्रदा को एक मंच पर ला दिया है। फिर, जयाप्रदा का यह कहना कि वह रामपुर से ही चुनाव लड़ेंगी और किसी पार्टी से लड़ेंगी, इस बात का साफ संकेत हैं कि सबकुछ ठीक रहा तो जयाप्रदा की तीसरी सियासी फिल्म कांग्रेस के पर्दे पर ही प्रदर्शित होगी, क्योंकि सपा में उनकी राह में आजम रोड़ा हैं तो भाजपा से कोई नजदीकी अभी नहीं दिख रही है। साथ ही आजम से पार पाने को उनसे अधिक कहीं नवाब खानदान बेचैन है। दोनों ही इस समय एक सुर से आजम पर निशाना साधे हुए हैं, जो दोनों के बीच सियासी समझौते के संकेत दे रहा है, जिसपर जयाप्रदा हां तो नहीं कहती हैं, लेकिन ना भी नहीं बोलती हैं, जिसे आजम खां के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
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