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झामुमो को नहीं मिला पिछली सरकार का लाभ

भाजपा से समर्थन वापस लेकर अपनी सरकार बनाने में सफल हुए हेमंत सोरेन चुनाव में कोई फायदा नहीं उठा पाए। विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को सीटों के लिहाज से लाभ नहीं हुआ। हेमंत सोरेन ने तामझाम से 14 माह बनाम 14 साल का नारा दिया था, लेकिन इसकी

By manoj yadavEdited By: Updated: Tue, 23 Dec 2014 07:26 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, रांची। भाजपा से समर्थन वापस लेकर अपनी सरकार बनाने में सफल हुए हेमंत सोरेन चुनाव में कोई फायदा नहीं उठा पाए। विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को सीटों के लिहाज से लाभ नहीं हुआ। हेमंत सोरेन ने तामझाम से 14 माह बनाम 14 साल का नारा दिया था, लेकिन इसकी हवा निकल गई। हेमंत सोरन के लिए सबसे बड़ा झटका दुमका में पराजय का मुंह देखना रहा। दुमका झामुमो का परंपरागत गढ़ रहा है। यहां से भाजपा की डॉ लुइस मरांडी के हाथों हेमंत सोरेन को हार ने उन्हें सकते में डाल दिया।

गौरतलब है कि हेमंत ने चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा वक्त दुमका और उसके आसपास के क्षेत्रों में दिया था। हेमंत को उम्मीद थी कि उन्हें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस समेत अन्य दलों का साथ मिलेगा, जो सरकार बनाने में मददगार थे। कांग्रेस के इन्कार से यह भ्रम टूट गया और झामुमो के परंपरागत किले संताल परगना को भी हेमंत सोरेन बचा नहीं सके। यहां पार्टी के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए, जबकि भाजपा ने आश्चर्यजनक रूप से जीत हासिल की।

झामुमो का कांग्रेस पर भी निशाना

झामुमो ने बगैर किसी का नाम लिए कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधा है। बकौल पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, कुछ नेता कॉरपोरेट घरानों के हाथ में खेल रहे थे। वे नहीं चाहते थे कि झामुमो के साथ समझौता कर चुनाव लड़ा जाए। यह पूछे जाने पर कि क्या उनका इशारा कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह की तरफ है? उन्होंने कहा कि किसी का नाम लेने की आवश्यकता नहीं है, जनता सबकुछ जानती-समझती है।

कॉरपोरेट घरानों ने हराया : झामुमो

झामुमो का दावा है कि राजनीतिक चुनौती से इतर पार्टी के समक्ष कॉरपोरेट घरानों की चुनौती थी। इसे दल के नेता समझ नहीं सके और यही कारण रहा कि झामुमो का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो सका। पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि दुमका सीट हारने का हमें मलाल है। संताल परगना में भी भाजपा ने सेंधमारी की। हालांकि सिल्ली में सुदेश और खरसावां में अर्जुन मुंडा की शिकस्त को पार्टी अपनी उपलब्धि बता रही है। पार्टी नेताओं ने कहा कि दोनों नेताओं को अहंकार हो गया था, जिन्हें झामुमो ने सबक सिखाया।

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