उमर को गिरफ्तार करने JNU पहुंची पुलिस, प्रशासन ने अंदर जाने से रोका
देश के खिलाफ नारेबाजी के मुख्य आरोपी उमर खालिद समेत पांच आरोपी छात्र जेएनयू में ही शरण लिए हुए हैं। पुलिस ने कुलपति से उनका सरेंडर कराने का आग्रह किया, लेकिन कोई बात नहीं बनी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 22 Feb 2016 08:28 PM (IST)
नई दिल्ली ([एजेंसी)]। देश के खिलाफ नारेबाजी के मुख्य आरोपी उमर खालिद समेत पांच आरोपी छात्र जेएनयू में ही शरण लिए हुए हैं। पुलिस ने कुलपति से उनका सरेंडर कराने का आग्रह किया, लेकिन कोई बात नहीं बनी। दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने कहा है कि छात्रों ने जांच में सहयोग नहीं किया तो पुलिस के पास कई विकल्प मौजूद हैं।
दोनों ओर से टसल के बीच जेएनयू में छात्र-पुलिस के बीच तकरार का अंदेशा है। जेएनयू में छिपे पांचों आरोपियों को पुलिस 12 फरवरी से तलाश रही थी। रविवार देर रात ये परिसर में प्रकट हुए तो पुलिस मौके पर पहुंच गई, लेकिन कुलपति की अनुमति नहीं मिलने से वह अंदर प्रवेश नहीं कर सकी। उप-राज्यपाल जंग से मिले बस्सी पुलिस ने जेएनयू में घुसकर उमर व अन्य आरोपियों को दबोचने की तैयारी कर ली है। पुलिस आयुक्त बस्सी ने सोमवार को दिल्ली के उप--राज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात कर उन्हें हालात की जानकारी दी। इससे पूर्व बस्सी ने कहा था कि छात्रों को जांच में सहयोग करना चाहिए। यदि वे निर्दोषष हैं तो उन्हें सबूत पेश करना होंगे। पुलिस कानून का पालन कराने वाली एजेंसी है, वह किसी के साथ अन्याय नहीं करती।
ये हैं परिसर में मौजूद :
उमर खालिद, अनिर्बन भट्टाचार्य, रामा नागा, आशुतोष कुमार और अनंत प्रकाश। ये छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की 12 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद से लापता हो गए थे।'नाम उमर खालिद है पर आतंकी नहीं हूं'
जेएनयू कैंपस में मौजूद उमर खालिद का कहना है, 'पिछले कुछ दिनों में मुझे कुछ ऐसी बातें पता चलीं, जो मैं नहीं जानता था। मुझे पता चला कि मैं मई में 2 बार पाकिस्तान जा चुका हूं। मेरा नाम उमर खालिद है, लेकिन मैं आंतकवादी नहीं हूं। मुझे पता चला कि मैं मास्टरमाइंड हूं और ये कार्यक्रम मैंने 17--18 यूनिवर्सिटी में चलाया हुआ है।'
उमर खालिद, अनिर्बन भट्टाचार्य, रामा नागा, आशुतोष कुमार और अनंत प्रकाश। ये छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की 12 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद से लापता हो गए थे।'नाम उमर खालिद है पर आतंकी नहीं हूं'
जेएनयू कैंपस में मौजूद उमर खालिद का कहना है, 'पिछले कुछ दिनों में मुझे कुछ ऐसी बातें पता चलीं, जो मैं नहीं जानता था। मुझे पता चला कि मैं मई में 2 बार पाकिस्तान जा चुका हूं। मेरा नाम उमर खालिद है, लेकिन मैं आंतकवादी नहीं हूं। मुझे पता चला कि मैं मास्टरमाइंड हूं और ये कार्यक्रम मैंने 17--18 यूनिवर्सिटी में चलाया हुआ है।'
पढ़ें: जेएनयू कैंपस में मौजूद खालिद, गिरफ्तारी या सरेंडर पर बना सस्पेंस भी़ड़ द्वारा हत्या का भय था जेएनयू के छात्रों व शिक्षकों ने कुलपति से पांचों छात्रों की मदद की गुहार की है। छात्रसंघ की उपाध्यक्ष शेहला राशिद शोरा ने कहा कि ये छात्र इसलिए छिपे रहे, क्योंकि उन्हें भी़ड़ द्वारा पीट--पीटकर मार डालने का भय था। परिसर में सामान्य स्थिति बहाल होने पर ही वे लौटे हैं। हम चाहते हैं कि कुलपति जगदीश कुमार जादवपुर यूनिवर्सिटी व अलीग़़ढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की तरह पुलिस को परिसर में न आने दें। कुलपति दिल्ली पुलिस से सारे आरोप वापस लेने को कहें। हिंसा की ही सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट एक अन्य घटनाक्रम के तहत सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जेएनयू विवाद में वह अपनी सुनवाई का दायरा नहीं ब़़ढाएगी। वह सिर्फ 15 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में हुई हिंसा तक ही सीमित रहेगी। कोर्ट में वकीलों के एक गुट ने पत्रकारों, छात्रों व शिक्षकों पर हमला किया था।प्रोफेसरों के घरों में छिपे थे :
अभाविप अभाविप ने आरोप लगाया कि देशद्रोह के आरोपी छात्र जेएनयू के प्रोफेसरों के घरों में छिपे हुए थे। जेनएयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव सौरभ कुमार शर्मा ने कहा कि इन छात्रों के मददगारों की भी जांच होना चाहिए।जेएनयू में जो हुआ वह राष्ट्रद्रोह : जस्टिस हेगड़े
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एन. संतोषष हेगड़े ने कहा है कि देश के खिलाफ होने वाली नारेबाजी और बातचीत को रोकने के लिए राष्ट्रद्रोह कानून का इस्तेमाल होना चाहिए। विरोध व्यक्त करने के अधिकार का मतलब यह नहीं कि आप देश को बुरा-भला कहने लगें।
अभाविप अभाविप ने आरोप लगाया कि देशद्रोह के आरोपी छात्र जेएनयू के प्रोफेसरों के घरों में छिपे हुए थे। जेनएयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव सौरभ कुमार शर्मा ने कहा कि इन छात्रों के मददगारों की भी जांच होना चाहिए।जेएनयू में जो हुआ वह राष्ट्रद्रोह : जस्टिस हेगड़े
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एन. संतोषष हेगड़े ने कहा है कि देश के खिलाफ होने वाली नारेबाजी और बातचीत को रोकने के लिए राष्ट्रद्रोह कानून का इस्तेमाल होना चाहिए। विरोध व्यक्त करने के अधिकार का मतलब यह नहीं कि आप देश को बुरा-भला कहने लगें।