सजायाफ्ता सांसदों पर अध्यादेश मामले में राहुल गांधी ने भले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा कर दिया हो, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेपीसी ने उन्हें राहत दे दी। बहुमत से पारित ड्राफ्ट रिपोर्ट में पीएम को क्लीन चिट देते हुए पूर्व संचार मंत्री ए. राजा और राजग काल के मंत्री जगमोहन को कठघरे में खड़ा किया गया। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में बदले अंकगणित और बाहर बदली हुई राजनीतिक स्थिति का सहारा लेते हुए समिति ने 16:11 से ड्राफ्ट को पारित करा लिया।
By Edited By: Updated: Sat, 28 Sep 2013 12:06 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सजायाफ्ता सांसदों पर अध्यादेश मामले में राहुल गांधी ने भले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा कर दिया हो, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेपीसी ने उन्हें राहत दे दी। बहुमत से पारित ड्राफ्ट रिपोर्ट में पीएम को क्लीन चिट देते हुए पूर्व संचार मंत्री ए. राजा और राजग काल के मंत्री जगमोहन को कठघरे में खड़ा किया गया। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में बदले अंकगणित और बाहर बदली हुई राजनीतिक स्थिति का सहारा लेते हुए समिति ने 16:11 से ड्राफ्ट को पारित करा लिया।
पढ़ें : 2जी की जेपीसी पर फिर मची रार पिछले कुछ सत्रों से लगातार बढ़ाए जा रहे कार्यकाल के बाद शुक्रवार को जेपीसी अपने अंतिम दौर पर पहुंच गई। इस बीच अंकगणित भी सरकार के पक्ष में तैयार हो चुका था। लिहाजा बड़ी आसानी से वह ड्राफ्ट रिपोर्ट पारित हो गया, जो सरकार चाहती थी और कुछ महीने पहले तक समिति के आधे सदस्य खारिज करना चाहते थे। पिछले सत्र में विपक्ष की आपत्ति के बावजूद सरकार ने मनोनीत सदस्य अशोक गांगुली को समिति में शामिल कर लिया था। शुक्रवार को उन्होंने कांग्रेस के साथ वोट किया।
पढ़ें : पीएम सफाई दें वरना गुनहगार माने जाएंगे राजग से नाता तोड़ चुके जदयू ने बैठक से गैरहाजिर रहकर परोक्ष रूप से मदद कर दी। गौरतलब है कि भाजपा, तृणमूल, द्रमुक, अन्नाद्रमुक, बीजद, वाम दलों के साथ साथ जदयू के दो सदस्यों ने भी लिखित रूप में ड्राफ्ट रिपोर्ट खारिज करने और समिति के अध्यक्ष पीसी चाको को हटाने की मांग की थी। इन सदस्यों की मांग थी कि आरोपी मंत्री राजा को भी गवाही देने की इजाजत मिलनी चाहिए। खुद राजा ने भी समिति से आग्रह किया था कि उन्हें गवाही के लिए बुलाया जाए। लेकिन कांग्रेस सदस्य इसके पक्ष में नहीं थे। बदली हुई परिस्थिति में शुक्रवार को कांग्रेस के लिए राह आसान थी। 30 सदस्यीय समिति में कांग्रेस के 11 सदस्यों के साथ-साथ राकांपा और सपा के एक-एक, बसपा के दो और गांगुली ने रिपोर्ट के पक्ष में वोट दिया। चाको ने कहा कि विरोध में मत डालने वाले सदस्यों को अपनी असहमति जताने के लिए 15 दिनों का मौका दिया जाएगा। राजग काल में 40 हजार करोड़ का नुकसान
पढ़ें : पीएम के खिलाफ कोई सुबूत नहीं ड्राफ्ट रिपोर्ट ने 1.76 लाख करोड़ के नुकसान के आंकड़े को नकारते हुए राजग काल में 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का जिक्र किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन संचार मंत्री ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भ्रमित किया था। जबकि राजग के मंत्री जगमोहन ने सेल्यूलर कंपनियों को जो माइग्रेशन पैकेज दिया, उससे बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। ध्यान रहे कि कैग रिपोर्ट में संप्रग सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया गया था।
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