कोलेजियम के खिलाफ एक सुर में बोली संसद, आज पारित हो सकता है बिल
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जिस मजबूती से न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था की तरफदारी की थी उससे भी ज्यादा जोरदार ढंग से संसद ने इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए आवाज बुलंद की है। सांसदों ने एक सुर में न्यायाधीशों की नियुक्ति व्यवस्था बदलने के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक का समर्थन किया। हालांकि, नियुक्ति प्रक्रिया को निष्पक्ष व पारदर्शी बनाने की बात करते हुए कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जरूर कहा कि सरकार न्यायपालिका का बहुत सम्मान करती है और उसका इ
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जिस मजबूती से न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था की तरफदारी की थी उससे भी ज्यादा जोरदार ढंग से संसद ने इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए आवाज बुलंद की है। सांसदों ने एक सुर में न्यायाधीशों की नियुक्ति व्यवस्था बदलने के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक का समर्थन किया। हालांकि, नियुक्ति प्रक्रिया को निष्पक्ष व पारदर्शी बनाने की बात करते हुए कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जरूर कहा कि सरकार न्यायपालिका का बहुत सम्मान करती है और उसका इरादा न्यायपालिका के कार्यक्षेत्र ने दखल देने का नहीं है और न ही सरकार का इस पर न्यायपालिका के साथ कोई टकराव है। बुधवार को यह विधेयक सदन से पारित हो सकता है।
पक्ष हो या विपक्ष व्यवस्था बदलने के लिए सब एकमत थे। कुछ लोगों ने विधेयक में थोड़े बहुत बदलाव की सलाह दी तो कुछ ने हाईकोर्ट में नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए अलग से राज्य न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने का सुझाव दिया। चर्चा के दौरान सांसद यह कहने से भी नहीं चूके कि न्यायपालिका जब चाहती है उन पर (राजनीतिज्ञों पर) आलोचनात्मक टिप्पणियां करती है। उनके पास भी न्यायपालिका की आलोचना के कई मुद्दे हैं लेकिन वे न्यायपालिका का सम्मान करते हैं इसलिए टिप्पणी नहीं कर रहे। न्यायपालिका को भी यह बात समझनी चाहिए।