एससी/एसटी कानून में बदलाव, अब दलितों को जल्द मिलेगा न्याय
सरकार ने दलितों व आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए एससी/एसटी कानून में बदलाव किए हैं। अब उत्पीड़न के मामलों में 60 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए एससी/एसटी कानून में व्यापक बदलाव किया है। नए प्रावधानों से अब दलितों और आदिवासियों को जल्द न्याय मिलना संभव हो सकेगा।
दलित उत्पीड़न के सभी मामलों में अब जांच एजेंसी को 60 दिनों के अंदर जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करना होगा। इसके अलावा वंचित तबके की महिलाओं के साथ दुष्कर्म होने पर पहली बार राहत राशि देने का प्रावधान किया जा रहा है। महिला अपराधों में खासतौर पर सख्ती बरती जाएगी। पीडि़त महिलाओं को कानूनी मदद देने का इंतजाम भी किया जाएगा।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने दलित/आदिवासी उत्पीडऩ कानून में संशोधन कर इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर पिछले 14 अप्रैल को यह अधिसूचना जारी की गई। अब विभिन्न सरकारी एजेंसियों और राज्य सरकारों को इस पर अमल करने को कहा जा रहा है।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि दलितों और आदिवासियों को अत्याचार से मुक्ति दिलाकर समरसता लाने के अंबेडकर के सपने को पूरा करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा।
अंबेडकर की राजनीतिक विरासत पर दावा करने के साथ ही सरकार ने यह कदम उठाकर अपनी जमीन और मजबूत कर ली है। नए नियमों में कहा गया है कि अब राज्य, जिला और सब डिवीजन स्तर पर एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा। उसकी नियमित बैठकों के जरिये इस योजना की नियमित समीक्षा की जाएगी।
राहत राशि में सुधार
दलित/आदिवासी उत्पीडऩ के मामलों में राहत राशि में भी सुधार किया गया है। इसे जनवरी के औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य तालिका के साथ जोड़ दिया गया है। पहले जहां राहत राशि 75 हजार से 7.5 लाख तक थी, अब इसे बढ़ाकर 85 हजार से 8.25 लाख के बीच कर दिया गया है। यह रकम अपराध की प्रकृति के अनुसार तय की जाएगी। अत्याचार के पीडि़तों, उनके परिवार वालों और आश्रितों को सात दिन के अंदर आर्थिक या अन्य राहत देने का प्रावधान भी किया गया है। इनमें खाना, पानी, आवास, कपड़े और चिकित्सा सहायता जैसी मदद शामिल है।
तुरंत न्याय पर जोर
-एससी/एसटी कानून के नए प्रावधानों में सरकार का सबसे ज्यादा जोर तुरंत न्याय दिलाने पर है।
-इस कानून के उल्लंघन के किसी मामले में जांच एजेंसी को दो महीने के अंदर आरोप पत्र पेश करना होगा।
-दलित और आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में राहत राशि देने का प्रावधान पहली बार किया गया है।
-दुष्कर्म के मामलों में पांच लाख और सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में 8.25 लाख रुपये की मदद दी जाएगी।
-अश्लील इशारे या पीछा करने जैसे यौन उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं को राहत पाने के लिए मेडिकल परीक्षण कराना अनिवार्य नहीं होगा।
-महिलाओं के खिलाफ गंभीर किस्म के मामलों में सुनवाई पूरी होते ही उन्हें राहत राशि दी जा सकेगी।